उज्जैन में सीएम शिवराज का ऐलान- महाकाल की ही सरकार है, कॉरिडोर को महाकाल लोक के नाम से जाना जाएगा

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Shivasheesh Tiwari
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उज्जैन में सीएम शिवराज का ऐलान- महाकाल की ही सरकार है, कॉरिडोर को महाकाल लोक के नाम से जाना जाएगा

UJJAIN. आज यानी 27 सितंबर को मध्यप्रदेश कैबिनेट की बैठक उज्जैन में संपंन हुई। कैबिनेट बैठक के शुरू होने से पहले सीएम शिवराज ने कहा कि उज्जैन के राजा बाबा महाकाल हैं, इसलिए हमारी कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता आज बाबा ही करेंगे। इसके बाद बैठक में मुख्य सीट पर बाबा महाकाल की तस्वीर रखी गई। उसके आजू-बाजू मुख्यमंत्री और बाकी के मंत्री बैठे। जबकि कभी कैबिनेट की बैठक होती है तो कैबिनेट का नेता, या फिर वरिष्ठ मंत्री द्वारा अध्यक्षता की जाती है। करीब 200 वर्षो बाद ऐसा पहली बार मौका आया है कि सरकार सेवक के रूप में उज्जैन में बैठक कर रही है। 



इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान किया कि महाकाल कॉरिडोर को अब महाकाल लोक के नाम से जाना जाएगा। महाकाल महाराज ही सरकार हैं, यहां के राजा हैं, इसलिए आज महाकाल महाराज की धरती पर हम सभी सेवक बैठक कर रहे हैं। हम सभी के लिए यह ऐतिहासिक पल है। हमने कल्पना की थी कि महाकाल महाराज के परिसर का विस्तार किया जाएगा। हमने शुरुआती चरण में नागरिकों, मंदिर समिति के सदस्यों से चर्चा की और उनके सुझावों को लेकर ही हमने योजना बनाई।



महाकाल ने इसलिए की अध्यक्षता



.उज्जैन के राजा महाकाल माने जाते हैं। वहां दूसरा कोई राजा बनकर ना तो काम नहीं करता है और ना ही रात गुजारता है। इसी किंवदंती के कारण आज तक सीएम शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उज्जैन में रात नहीं गुजारी। इस बार उज्जैन में कैबिनेट बैठक होना तय हो गया था। उज्जैन में राजा बनकर कोई काम नहीं किया जा सकता था। पंडितों से विचार-विमर्श कर इसका रास्ता निकाला गया। पंडितों ने कहा कि कैबिनेट बैठक बाबा महाकाल की अध्यक्षता में की जाए बनाया जाए। ऐसा ही किया गया। कैबिनेट बैठक में पहली बार बीच में बाबा महाकाल की फोटो लगाई गई।



उज्जैन में रात बिताई तो खोनी पड़ी कुर्सी



मान्यता है कि अगर कोई नेता रात रुकता है तो उसकी कुर्सी छिन जाती है। इसका खामियाजा एक प्रधानमंत्री भुगत चुके हैं। ऐसा भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ हुआ था। मोरारजी उज्जैन में बाबा के दर्शन करने के बाद रात रुक गए थे, जिसके बाद दूसरे ही दिन उनकी सत्ता चली गई, सरकार गिर गई। इतना ही नहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी उज्जैन में रात बिताई थी। इसके बाद उन्हें 20 दिनों के अंदर अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मान्यताओं के मुताबिक, उज्जैन में राजा भोज के वक्त से ही कोई राजा, नेता, मंत्री, प्रधानमंत्री यहां रात में विश्राम नहीं कर सकता। जो भी रात रुकना चाहता है, वो उज्जैन से बाहर ही रात रुकता है।


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