सीएम ने फिर शुरु की सोशल इंजीनियरिंग, पूरी होने की राह तक रहीं पुरानी घोषणाएं

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Anjali Singh
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सीएम ने फिर शुरु की सोशल इंजीनियरिंग, पूरी होने की राह तक रहीं पुरानी घोषणाएं

Bhopal, अरुण तिवारी. सूबे की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल इंजीनियरिंग पर बहुत काम किया है। सीएम हाउस में अलगअलग वर्ग की पंचायतें बुलाकर उन्होंने हर वर्ग को साधने की कोशिश की है। महिला,युवा,किसान समेत अलगअलग जातिवर्ग की पंचायतें बुलाकर उनके लिए खजाना खोलने का ऐलान किया। लेकिन इन पंचायतों की कई घोषणाएं फाइलों में बंद होकर दम तोड़ चुकी हैं। एक बार फिर सीएम ने ये सिलसिला शुरु किया है। ऐलान भी हो रहे हैं लेकिन लाख टके का सवाल ये है कि काम की पंचायतें हैं चुनाव की पंचायतें।



पाठ्यक्रम में परशुराम



अक्ष्य तृ​तीया यानी परशुराम जयंति पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ब्राह्मण समाज के कार्यक्रम में गुफा मंदिर पहुंचे। इस कार्यक्रम में ब्राह्मण समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे। सीएम ने मंच संभाला और मौके पर चौका भी मार दिया। ऐलान कर दिया कि स्कूल के पाठ्यक्रम में भगवान परशुराम शामिल किए जाएंगे। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को नई पीढ़ी भी जान सकेगी। इतना ही नहीं मंदिर के पुजारियों को पांच हजार रुपए महीने देने और मंदिर की जमीन को बेचने पर रोक लगाने का भी ऐलान कर दिया।



मन चंगा तो कठौती में गंगा



सीएम हाउस में मोची समाज की पंचायत हुई। सीएम ने संत रविदास की कहानी सुनाते हुए समाज के लोगों से कहा कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। संत रविदास की जयंति को गांवगांव मनाने का ऐलान कर दिया। मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य की गारंटी ले ली। बाटा की तरह जूता बनाने की कारीगिरी की ट्रेनिंग देने और दुकान खोलने के लिए लोन देने का भी ऐलान कर दिया।



और भी होंगी पंचायतें



अभी तो पंचायतों का ये सिलसिला शुरु हुआ है। अगले एक साल तक इस तरह के आयोजन नजर आने वाले हैं। ओबीसी को 35 फीसदी आरक्षण देने का खाका तैयार किया तो आदिवासियों को जंबूरी मैदान में बुलाकर केंद्रीय मंत्री अमित शाह से योजनाओं का ऐलान करवा दिया। सीएम शिवराज का ये सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला है। इस फॉर्मूले ने शिवराज को जनता के बीच लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई है। इस अचूक फॉर्मूले का इस्तेमाल फिर शुरु हो गया है। ये पंचायतें भले ही समाज के काम न आएं लेकिन बीजेपी के लिए बड़े काम की हैं।



पूरे वोटअधूरी घोषणाएं




  • पंचायतों के जरिए सोशल इंजीनियरिंग कर बीजेपी ने वोट तो बटोर लिए लेकिन घोषणाएं अधूरी ही रह गईं। आइए हम आपको बताते हैं कुछ अहम पंचायतों में की गईं अहम घोषणाएं जो अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाईं।


  • युवा पंचायत में युवाओं को रोजगार देने, उनकी दिक्कतों को दूर करने के लिए युवा आयोग के गठन का ऐलान किया गया लेकिन ये ऐलान सिर्फ नोटिफिकेशन तक सीमित रहा। बीजेपी सरकार में इस आयोग में नियुक्तियां नहीं हो पाईं। पहली बार कमलनाथ सरकार ने युवा आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की।

  • महिला पंचायत में महिलाओं के लिए सीएम ने खजाना खोल दिया। सीएम हाउस में खूब आव भगत हुई। घोषणाएं भी दिल खोलकर की गईं। स्व सहायता समूहों की महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए सात फीसदी ब्याज सरकार भरेगी। हर तीसरी राशन की दुकान महिला की होगी। स्वसहायता समूहों को मजबूत करने डेढ़ से ढाई हजार करोड़ फंड बनेगा। ये सारी घोषणाएं महिलाओं से कोसों दूर नजर आ रही हैं।

  • वकील पंचायत में वकील प्रोटेक्शन एक्ट बनाने की बात हुई लेकिन आज तक अमल में नहीं आई।

  • किसान पंचायत और किसान आंदोलन के समय सीएम ने किसान हित की कई घोषणाएं कीं। किसानों को उनकी लागत का लाभकारी मूल्य दिया जाएगा। किसानों को अपनी फसल कम भाव के कारण फेंकना नहीं पड़ेगा। नुकसान का भरपूर मुआवजा मिलेगा। सरकार किसानों को कई योजनाओं में सब्सिडी देती है, उनको जीरो परसेंट ब्याज पर कर्ज भी देती है लेकिन फिर भी किसानों को संतुष्ट करने में कामयाब नहीं रही है।



  • कांग्रेस का तंज



    कांग्रेस इन पंचायतों को सिर्फ घोषणा की पंचायतें करार देती है। कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि कमलनाथ सरकार ने किसानों के कर्ज माफ किए, बिजली पर सब्सिडी दी, महिला सुरक्षा की बात की, युवाओं को रोजगार देने पर काम शुरु किया लेकिन शिवराज सरकार ने सिर्फ कोरी घोषणाएं की हैं।


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