5 महीने बाद भी बंद नहीं हुआ सीपीए, उल्टे नए साल के बजट में दे दिए 160 करोड़

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5 महीने बाद भी बंद नहीं हुआ सीपीए, उल्टे नए साल के बजट में दे दिए 160 करोड़

भोपाल. मुख्यमंत्री (Chief Minister) शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने 20 अगस्त 2021 को राजधानी परियोजना प्रशासन (Capital Project Administration) को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश मुख्य सचिव (Chief Secretary) इकबाल सिंह बैंस (Iqbal Singh Bains) को दिए थे। उन्होंने मंत्रालय में एक बैठक में कहा था ‘आज तत्काल प्रभाव से सीपीए (CPA) समाप्त, सीपीए की कोई जरूरत नहीं।’ लेकिन सीएम के निर्देश के 5 महीने बाद भी सीपीए बंद नहीं हुआ है। हैरानी की बात ये है कि वित्त विभाग (Finance Department) ने 1 अप्रैल से शुरू होने वाले नए फायनेंशियल ईयर (2022-23) के बजट में सीपीए के लिए बजट का प्रावधान भी कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक नए बजट में सीपीए को करीब 160 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।  





5 महीने से चल रही सीपीए बंद करने की कवायद : सड़कों की बदहाली पर नाराज हुए मुख्यमंत्री के इस फरमान पर 5 महीने बाद भी अमल नहीं हो सका है। सीपीए का कामकाज जारी है और वो नए कार्यों के लिए टेंडर भी जारी कर रहा है। इससे सीपीए में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों के साथ कांट्रेक्टर्स में भी असमंजस की स्थिति है। हालांकि नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि सीपीए बंद होगा। 





कैबिनेट में होगा सीपीए बंद करने का फैसला : मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद सरकार में बीते 5 महीने से सीपीए को बंद करने की प्रक्रिया ही चल रही है। सीपीए में काम करने वाले अधिकारी, कर्मचारियों की जानकारी शासन को भेज दी गई है। वहीं सीपीए के पेंडिंग और वर्तमान में चल रहे विकासकार्यों की सूची शासन को भेजी जा चुकी है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सीपीए को बंद करने का प्रशासकीय अनुमोदन कर दिया है। जानकारों का कहना है कि सीपीए को बंद करने के लिए अंतिम रूप से कैबिनेट की मुहर लगना जरूरी है। इसके बाद ही इसे बंद करने का नोटिफिकेशन जारी होगा।   





सीपीए में कार्यरत हैं 1 हजार से ज्यादा कर्मचारी : राजधानी परियोजना प्रशासन यानी सीपीए में 1000 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं। सीपीए के बंद होने के बाद इन्हें अन्य विभागों में मर्ज किया जाएगा। सीपीए में पदस्थ अधिकारियों के लिहाज से देखें तो यहां फिलहाल एक अधीक्षण यंत्री, 4 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, 20 एसडीओ, 50 सब इंजीनियर के अलावा 250 कर्मचारियों समेत कुल 325 लोगों का स्टाफ है। इनके अलावा बड़ी संख्या में स्थाई कर्मी के रूप में श्रमिक भी हैं। इनमें से कुछ अन्य विभागों से डेपुटेशन पर भी आए हैं, जिन्हें अब मूल विभाग में भेजा जाएगा। 





1960 में बना था सीपीए : राजधानी भोपाल का सुनियोजित तरीके से विकास और सौंदर्यीकरण करने के उद्देश्य से अक्टूबर 1960 में सीपीए का गठन किया गया था। सीपीए ने 33 बड़ी सरकारी बिल्डिंग जिनमें मंत्रालय और विधानसभा भी शामिल हैं, बनवाए हैं। वो अभी इन भवनों का मेंटेनेंस भी कर रहा है। भोपाल में 132 एकड़ में फैले एकांत, प्रियदर्शनी, चिनार, मयूर, प्रकाश तरण पुष्कर (स्वीमिंग पूल)  समेत 7 बड़े पार्कों की जिम्मेदारी भी सीपीए के पास हैं। शहर की 92 किलोमीटर की 52 सड़कों का मेंटेनेंस भी सीपीए के पास हैं। सीपीए के बंद होने के बाद  इन भवनों और सड़कों का मेंटेनेंस पीडब्ल्यूडी को और पार्कों का मेंटेनेंस वन विभाग को सौंपे जाने की बात कही जा रही है। 





गठन के 5 साल बाद ही बंद हो जाना था सीपीए- घाणेकर : पूर्व आईएएस वीणा घाणेकर का कहना हैं कि राजधानी के रूप में भोपाल के विकास के लिए केंद्र से बड़ा बजट मिला था। इससे विकासकार्यों के लिए निर्माण एजेंसी बनाई गई जिसे सीपीए नाम दिया गया। घाणेकर के मुताबिक कायदे से 1965 में ही सीपीए को बंद कर दिया जाना था क्योंकि इसका गठन नए भोपाल में राजधानी के अनुरूप विकास और सुविधाएं जुटाना था। लेकिन तब तक सतपुड़ा और विंध्याचल भवन जैसे प्रोजेक्ट नहीं बने थे। लिहाजा बात टलती गई। अब करीब 60 साल बाद उसे बंद करने की बात कही जा रहीं हैं तो कोई हैरत नहीं होनी चाहिए। सरकार के मुखिया के रूप में सीएम के निर्देश के बाद तो सीपीए को तत्काल बंद कर दिया जाना चाहिए था। 



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