Bhopal. महापौर और पार्षद का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को इस बार एक-एक पाई का हिसाब देना होगा। निर्वाचन से 30 दिन के भीतर तो चुनावी खर्च बताना ही है, साथ ही कितना पैसा नगद बचा है और वह रकम किसके पास है, उसकी भी जानकारी देनी होगी। राज्य निर्वाचन आयोग इस बार चुनावी खर्च पर लगाम लगाने की पूरी तैयारी की है।
पार्षदों को खर्च की यह जानकारी पहली बार देने को कहा गया है, वह भी इतनी बारीकी से कि नकद राशि एक से ज्यादा व्यक्तियों के यहां रखी है तो उसकी जानकारी भी देना होगा। चुनावों में 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर निगमों में पार्षद के चुनाव खर्च की लिमिट 8.75 लाख रुपए रखी गई है, जबकि महापौर के लिए 35 लाख रुपए है। इतन ही नहीं महापौर और पार्षद पद के प्रत्याशियों को यह भी बताना होगा खर्च की गई राशि कहां से आई है, उसका भी विवरण देना होगा। पार्षदों के लिए यह भी बताना होगा कि प्रदेश में इस बार पार्षद पद के 6507 प्रत्याशियों के लिए 50 हजार से प्रत्याशी मैदान में होंगे, जबकि 437 निकायों के महापौर और अध्यक्ष पद के लिए 4000 से ज्यादा प्रत्याशी मैदान में हैं।
नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष को नहीं देना होगा
निकाय चुनावों में खास यह भी होगा कि नगरपालिका और परिषद के अध्यक्षों को खर्च का ब्योरा नहीं देना होगा। इसकी वजह पालिका और परिषद के अध्यक्षों का चुनाव पार्षद करेंगे। नगर पालिका और परिषद के पार्षदों को सीधे जनता चुनेगी। यानी नगरपालिका और परिषद के अध्यक्ष को पार्षद का चुनाव लड़ना जरूरी होगा क्योंकि चुने हुए जिस दल के पार्षदों का बहुमत होगा, उनमें से ही अध्यक्ष को चुना जाएगा।
सोशल मीडिया पर प्रचार के खर्च के बारे में बताना होगा
चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद चुनाव लड़ने वाला प्रत्येक उम्मीदवार या उसका चुनाव एजेंट चुनाव खर्च का विवरण जमा कराएगा, जिसमें अतिविशिष्ट व्यक्तियों के साथ हुई सार्वजनिक बैठक, रैली, जुलूस, प्रचार सामग्री में खर्च हुई राशि का जानकारी देना होगा। सोशल मीडिया पर किए गए प्रचारी की भी मॉनिटरिंग होगी। इस खर्च के साथ शपथ पत्र भी देना आवश्यक होगा। शपथ पत्र न देने पर चुनाव खर्च की दी गई जानकारी मान्य नहीं की जाएगी।
उम्मीदवार को रखना होगा रजिस्टर
- उम्मीदवार को व्यक्ति, दल, संस्था, निकाय किसी अन्य का नाम जिससे राशि प्राप्त की गई है।