बीआईएस का केयर एप नहीं बता पाता सोना कितना सोणा है, 5 बड़े ज्वेलर में से 4 के शोरूम में हॉलमार्किंग नंबर को बताया इनवैलिड

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Vivek Sharma
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बीआईएस का केयर एप  नहीं बता पाता सोना कितना सोणा है, 5 बड़े ज्वेलर में से 4 के शोरूम में हॉलमार्किंग नंबर को बताया इनवैलिड

BHOPAL. धनतेरस और दिवाली के मौके पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। इसी परंपरा के चलते सबसे बड़े त्योहार के मौके पर बाजार में सोने की ज्वेलरी की खरीदारी बढ़ जाती है। ज्वेलरी खरीदने वालों के मन में यही आशंका होती है कि वे जो सोना खरीद रहे हैं वो शुद्ध है या नहीं। ग्राहकों की इसी आशंका को दूर करने के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने यानी बीआईएस ने जुलाई 2020 में एक खास एप लांच किया है। इसमें आप अपने मोबाइल फोन में अपनी पसंद की ज्वेलरी का हॉलमार्क नंबर (Hallmark Unique Identification) यानी एचयूआईडी  डालकर उसकी शुद्धता की जानकारी हासिल कर सकते हैं। एप के बारे में ये बीआईएस का दावा है लेकिन हकीकत ऐसी नहीं है। 



द सूत्र की टीम पड़ताल में सच्चाई सामने आई



द सूत्र की टीम ने केयर एप की उपयोगिता परखने के लिए भोपाल के 5 बड़े ज्वेलर के यहां पड़ताल की तो इसकी कलई खुल गई। आपको जानकार हैरानी होगी कि 5 में से 4 ज्वेलर के यहां एप में पसंद की गई ज्वेलरी का एचयूआईडी नंबर डालने पर स्क्रीन पर इनवैलिड लिखा नजर आया। इस पर संबंधित ज्वेलर से सवाल करने पर इसे नेटवर्क की समस्या बताया लेकिन सराफा कारोबार के पुराने जानकारों की मानें तो बीआईएस के केयर एप में ये कोई तकनीकी समस्या नहीं बल्कि हॉलमार्किंग के चार्ज से बचने के लिए ज्वेलर की सोची समझी रणनीति है। इसके तहत वे एक समान ज्वेलरी की हॉलमार्किंग के लिए एक ही एचयूआईडी नंबर लेते हैं। ऐसे में एक एचयूआईडी नंबर दूसरी बार डालने पर एप उसे इनवैलिड ही बताएगा। आइए आपको बताते हैं सोने की हॉलमार्किंग की सटीक जानकारी देने वाला बीआईएस का केयर एप हकीकत में कितना खरा है।                



पहले समझिए क्या होता है हॉलमार्क 



भारत में हॉलमार्क कीमती धातु की वस्तुओं की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले आधिकारिक चिन्ह है। हॉलमार्क तीन चिन्हों/प्रतीकों से बना होता है। ये तीन सिंबल्स उस धातु के बारे में अलग-अलग जानकारी देते हैं। इसमें पहला ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) का लोगो यानि बीआईएस हॉलमार्क (BIS Hallmark) होता है, दूसरा शुद्धता (Purity) के बारे में बताता है और तीसरा छह अंकों का अल्फान्यूमेरिक कोड (HUID Number) होता है।



ज्वेलरी पर HUID नंबर के मायने  



एचयूआईडी यानी Hallmark Unique Identification (HUID) नंबर एक छह अंकों का अल्फान्यूमेरिक कोड होता है, हॉलमार्किंग के समय, हर आभूषण को एक यूनिक एचयूआईडी नंबर दिया जाता है, जो और किसी का नहीं हो सकता, इसका मतलब ये है कि एक एचयूआईडी नंबर से दो आइटम नहीं हो सकते।   



 केयर ऐप से ऐसे करें सोने की शुद्धता की जांच 



ऐप में ‘Verify HUID’ का फीचर दिया गया है जिससे आप हॉलमार्क ज्वेलरी की शुद्धता की जांच कर सकते हैं। इसके अलावा ब्रांडेड प्रोडक्ट्स की जांच करने के लिए ऐप के "check licensing details" सेक्शन में जायें। अगर आप क्वालिटी से संतुष्ट नहीं है तो आप ऐप के 'Complaints' फीचर का इस्तेमाल कर आप शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।  



जानिए द सूत्र की पड़ताल में कैसे सामने आई एप में गड़बड़ी की हकीकत



पड़ताल एक : अनूपचंद त्रिलोकचंद ज्वेलर्स, रोशनपुरा चौराहा



द सूत्र की टीम ने यहां गोल्ड का पेंडल सेट देखा। ज्वेलरी पर एचयूआईडी नंबर नहीं होने से जब इसके बारे में पूछा गया तो थोड़ा झल्लाते हुए कर्मचारी ने कहा कि पुरानी ज्वेलरी में नहीं है। कुछ नई ज्वेलरी में भी नहीं है। जो लेटेस्ट ज्वेलरी आई है उसमें मिलेगा, पर आपको इसके लिए अपना बजट बढ़ाना होगा। जबकि हकीकत यह है कि सोने की शुद्धता की जांच के लिए 16 जून 2021 से हॉलमार्क जरूरी कर दिया गया है। ऐसे में पुरानी ज्वेलरी को तो सवाल ही नहीं उठता। 



पड़ताल दो : कल्याण ज्वेलर्स, रोशनपुरा चौराहा



द सूत्र की टीम ने यहां सोने की अंगूठी देखी। ज्वेलरी पर एचयूआईडी नंबर तो था, पर जब उसे एप में फीड किया तो करसर ही घूमता रहा। कर्मचारी ने बताया कि नेटवर्क या सर्वर इश्यू होगा। कर्मचारी ने भरोसा दिलाया कि कल्याण ज्वेलर्स तमाम सर्टिफिकेट देता है, इसलिए आप ज्वेलरी खरीद सकते हैं। कुल मिलाकर ऐप यहां सोने की शुद्धता की जांच में कोई सहयोग नहीं कर पाया। 



पड़ताल तीन : आनंद ज्वेलर्स, डीबी सिटी मॉल



द सूत्र की टीम ने यहां भी गोल्ड रिंग देखी। ज्वेलरी पर एचयूआईडी नंबर तो था, पर जब उसे एप में फीड किया तो उसने नंबर गलत बताया। मौके पर मौजूद महिला कर्मचारी ने बताया कि हमारा रजिस्ट्रेशन गलत हुआ होगा, इसलिए एप काम नहीं कर पा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि जब द सूत्र की टीम ने डीपी ज्वेलर्स पर एचयूआईडी ऐप में फीड की तो पूरी डिटेल 1 सेकेंड में ही आ गई थी। 



पड़ताल चार : सजावट ज्वेलर्स, बिट्टन मार्केट



द सूत्र की टीम ने यहां बैंगल देखे। ज्वेलरी पर एचयूआईडी नंबर तो था, पर उसे एप में फीड करने में बार-बार नंबर गलत ही बताया। मौके पर मौजूद महिला कर्मचारी ने कहा कि ऐप से पता नहीं चलता, हमारे यहां आधुनिक मशीनें लगी है..आप चाहे तो उससे सोने की शुद्धता की जांच कर सकते हैं। कुल मिलाकर यहां भी ऐप सोने की शुद्धता जांचने में कोई सहायता नहीं कर पाया।



यूएचआईडी के चार्ज और जीएसटी से बचने का खेल



सराफा कारोबार के जानकारों ने द सूत्र को बताया कि दरअसल ये पूरा खेल यूएचआईडी पर लगने वाले शुल्क को बचाने के लिए खेला जा रहा है। सामान्य भाषा में कहे तो एक तरह की टैक्स चोरी ही है। 2 ग्राम से कम वजन वाली ज्वेलरी को यूएचआईडी से बाहर रखा गया है। 2 ग्राम से ऊपर वजन की ज्वेलरी में यह अनिवार्य है। एक ज्वेलरी का एक ही यूएचआईडी होता है, यह दूसरी ज्वेलरी पर नहीं हो सकता। 



18 प्रतिशत जीएसटी बचाने की पूरी कवायद



एक ज्वेलरी पर एचआईडी के लिए निर्माता या रिटेलर को 45 रूपए और 18 प्रतिशत जीएसटी यानी कुल 53.10 रूपए देना होते हैं। ज्वेलरी कितने भी वजन की हो यह शुल्क फिक्स है। बस इसी राशि को बचाने के लिए ही यह खेल खेला जाता है। जानकार बताते हैं कि एक ज्वेलरी पर यूएचआईडी लेकर लेजर मशीन से इसे अन्य ज्वेलरी पर भी चढ़ा दिया जाता है। जब आप इसे बीआईएस केयर ऐप पर चेक करेंगे तो जिस आरिजनल ज्वेलरी का यह यूएचआईडी है, उसे ट्रेस करने पर यह खुल जाएगा, बाकि अन्य ज्वेलरी पर यह या तो गलत बताएगा या एरर शो करने लगेगा। 



सराफा व्यापारी संघ का तर्क मिस मैच हुए होंगे नंबर



भोपाल सराफा व्यापारी संघ के उपाध्यक्ष आनंद सोनी ने कहा कि बीआईएस केयर ऐप दुकानदार और ग्राहक दोनो के लिए काफी फायदेमंद ऐप है। एचयूआईडी नंबर लेजर से चढ़ता है, मिस मेच होने से वह ट्रेस नहीं हो रहा होगा। पुरानी ज्वेलरी का डाटा ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंर्डड को पहले ही भेजा जा चुका था, जिस पर पुराना हॉलमार्क है। बाकि एचयूआईडी नंबर होना जरूरी है।

 


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