सुनील शर्मा, BHIND. भिंड जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। भिंड जिले में एक बेटा मजबूरन अपने पिता को हाथ ठेले पर लेटाकर अस्पताल पहुंचा। पूरा मामला मारपुरा गांव का बताया जा रहा है। मारपुरा गांव निवासी हरिकृष्ण विश्वकर्मा की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है। मामला लहार के दबोह अस्पताल का बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक पास के ही गांव में एक व्यक्ति की तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद एंबुलेंस बुलाने के प्रयास किए गए। जब एंबुलेंस नहीं आई तो गांव से 6 किमी तक हाथठेले पर बीमार व्यक्ति का बेटा उसे लेकर अस्पताल पहुंचा। अब इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
क्या है पूरा मामला
भिंड जिला प्रशासन ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए पत्रकारों को बलि का बकरा बनाकर उन पर गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। क्योंकि उक्त मामले की खबर इन पत्रकारों द्वारा चलाई गई थी। जबकि इस मामले के संबंध में उसी दिन लहार ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर धर्मेंद्र श्रीवास्तव से बात की गई थी। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराकर मामले की जांच कराने का आश्वासन भी दिया था।
पीड़ित परिवार के कथन दिखाकर दर्ज कराई एफआईआर
मीडिया संस्थानों ने पीड़ित के वक्तव्य और ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के ऑफिशियल स्टेट्मेंट (बाइट) के साथ प्रकाशन और प्रसारण किया। लेकिन अखबारों और न्यूज चैनल पर इस खबर के चलने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मचा गया। आनन-फानन में भिंड कलेक्टर के आदेश पर दबोह तहसीलदार, स्थानीय पटवारी, ग्राम पंचायत सचिव, सरपंच और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पीड़ित के घर पहुंचे। मामले की जांच कर कलेक्टर को प्रतिवेदन सौंपे। इसमें बताया कि पीड़ित ग्याप्रसाद और उनकी पत्नी कौशल्या दोनों को वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त होती है। गरीबी रेखा कार्ड भी है। प्रधानमंत्री किसान कल्याण योजना, मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना का लाभ भी मिलता है और उनके पास 2 बीघा भूमि भी है।
ग्याप्रसाद विश्वकर्मा और उनके बड़े बेटे पूरन विश्वकर्मा के नाम अलग-अलग प्रधानमंत्री आवास मिले हुए हैं, जिनमें एक की पहली किस्त मिल चुकी है और दूसरे का काम शुरू होने वाला है। पीड़ित जिस चार पहिए के ठेले पर पिता को ले जा रहा है उसका वह अपना ठेला है और उस पर पानीपुरी का व्यवसाय करता है। हाथ आई जांच रिपोर्ट में बताया गया कि उसने एंबुलेंस को कोई भी कॉल नहीं किया है। अतः भ्रामक जानकारी का वीडियो वायरल करने के कारण संबंधित पत्रकार के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की जाती है।
इन धाराओं में दर्ज कराया गया केस
इसके बाद दबोह पुलिस ने तीन पत्रकारों पर गैर जमानती संगीन धाराओं में केस दर्ज किया। इन धाराओं में 420 (जालसाजी), 505 (2) (वर्गों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयान) और आईटी एक्ट की 66 (एफ) 1 आदि शामिल हैं। इस केस में फरियादी लहार शासकीय अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर को बनाया गया।
पीड़ित परिवार को धमकाया फिर कोरे कागज पर कराए हस्ताक्षर
मामला दर्ज होने के बाद स्थानीय पीड़ित पत्रकार कुंज बिहारी कौरव एक बार फिर पीड़ित के घर पहुंचे और देखा तो ग्याराम जिस घर में छोटे बेटे के साथ रहते हैं। वह बांस और घासफूस से बनी हुई छोटी-सी झोपड़ी है। छोटे बेटे हरिसिंह को न ही किसी प्रकार का आवास मिला है। बातचीत की तो पीड़ित गया प्रसाद विश्वकर्मा और उसके छोटे बेटे हरि सिंह विश्वकर्मा ने बताया कि उनके घर पर तहसीलदार सहित कल चार पांच लोग पहुंचे और उन्होंने दबाव बनाते हुए कहा कि कोरे कागजों पर दस्तखत कर दो। अन्यथा आपकी सारी योजनाएं और उनका लाभ वापस ले ली जाएंगी। साथ ही जुएं के केस में आपको जेल में भी बंद करा दिया जाएगा। इस तरह हरि सिंह पर दबाव बनाकर कोरे कागज पर साइन करा ले गए। वहीं दूसरी ओर जांच प्रतिवेदन के आधार पर भोपाल जनसंपर्क द्वारा फैक्ट चेक के माध्यम से पोस्टर जारी किया गया, जिसमें कई मीडिया संस्थानों द्वारा चलाई गई उस खबर को गलत साबित किया गया।