जबलपुर. मध्यप्रदेश लोक सेवा परीक्षा-2019 की प्रिलिम्स और मेन्स एग्जाम नतीजों की संवैधनिकता को चुनौती देने वाली याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गई हैं। अब इस पर सुनवाई 10 फरवरी को होगी। अब ये मामला दूसरी बेंच को रैफर कर दिया गया है। नई बेंच में जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव नहीं होंगे।
केस नई बेंच में क्यों: असल में जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव (मौजूदा हाईकोर्ट जज) पूर्व में एडवोकेट जनरल (AG) की हैसियत से प्रकरणों में अपीयर हुए थे। इसे देखते हुए जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आरवी मलीमठ ने 8 फरवरी को आदेश जारी किया कि MPPSC-19 एग्जाम से जुड़ा केस अन्य बेंच को सौंपा जाए। इससे पहले 4 फरवरी को सुनवाई हुई थी, जिसमें 2 दिन में याचिका में उठाए मुद्दों पर अप्लीकेंट्स को जवाब दाखिल करने को कहा था।
किसने दायर की है याचिका: कु. शैलवाला भार्गव, कु.पूर्णिमा त्रिपाठी, हिरदेश गौतम और मस्तराम कुर्मी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा, रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह पैरवी कर रहे हैं।
ये है मामला: हाईकोर्ट में लंबित 45 याचिकाओं में नियमों की संवैधानिकता और प्रिलिम्स-2019 के घोषित रिजल्ट की वैधता को चुनौती दी गई है। याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने मेन्स एग्जाम के नतीजे घोषित कर दिए। बताया जाता है कि PSC ने संशोधित नियमों को दरकिनार कर मेन्स के नतीजे घोषित कर दिए। अब PSC-2019 की प्रिलिम्स और मेन्स के नतीजे निरस्त (Cancel) हो सकते हैं।
गड़बड़ी कहां हुई: उक्त असंवैधानिक नियमों के तहत कुल आरक्षण 113% था। ये आरक्षित वर्ग (Reserved Category) के प्रतिभावन छात्रों को अनारक्षित/ओपन सीट (Unreserved/Open Seat) पर माइग्रेट करने से रोकते थे। इन नियमों को मध्य प्रदेश शासन को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद 20 दिसंबर 21 को निरस्त करना पड़ा।