उद्यानिकी में IFS पोस्टिंग के बाद से बढ़े घपले-घोटाले, लोकायुक्त-EOW में फंसे विभाग के 2 संचालक, ACS के जिम्मे डायरेक्टर की कुर्सी

author-image
Shivasheesh Tiwari
एडिट
New Update
उद्यानिकी में IFS पोस्टिंग के बाद से बढ़े घपले-घोटाले, लोकायुक्त-EOW में फंसे विभाग के 2 संचालक, ACS के जिम्मे डायरेक्टर की कुर्सी

हरीश दिवेकर, BHOPAL. किसानों को नई उन्नत​ की खेती सीखाना और एग्रीकल्चर बेस्ड इंडस्ट्रीज को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट बनाया गया है। लेकिन आज ये विभाग घोटालों का विभाग बनकर रह गया है। केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं में मिलने वाली सब्सिडी को हड़पने के मामले लगातार कई सालों से सामने आ रहे हैं। लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। लोकायुक्त ने हाल ही में पहली बार तत्कालीन संचालक और आईएफएस सत्यानंद के खिलाफ सब्सिडी में घोटाला करने के मामले में एफआईआर दर्ज की है। इस मामले में उद्यानिकी विभाग के 15 अधिकारियों सहित निजी कंपनियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। इसके पहले प्याज घोटाले की शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने दो साल पहले तत्कालीन संचालक एवं आईएफएस अफसर मनोज अग्रवाल के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर जांच शुरू की थी, लेकिन अब तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई।



प्रमुख सचिव ने जांच करवाने का प्रयास किया तो हुआ तबादला



दरअसल पहले हॉर्टिकल्चर विभाग के संचालक का पद आईएएस कॉडर में था, लेकिन आईएएस कॉडर रिव्यू के दौरान केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय डीओपीटी ने हॉर्टिकल्चर डायरेक्टर का पद समाप्त कर दिया। इसके चलते सरकार अब इस पद पर आईएफएस को पदस्थ कर रही है। हॉर्टिकल्चर में अब तक 7 आईएफएस पदस्थ रहे हैं। सभी के खिलाफ मंत्रालय से लेकर ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त तक शिकायतें पहुंची। आईएफएस अफसरों को मंत्रालय के अफसरों का वरदहस्त होने के कारण कई शिकायतें ठंडे बस्ते में चली गईं। तत्कालीन संचालक मनोज अग्रवाल के प्याज घोटाले की शिकायत के मामले में विभाग की तत्कालीन प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव ने इस मामले में कार्रवाई करने का प्रयास किया तो सरकार ने विभाग से कल्पना श्रीवास्तव का ही तबादला कर दिया। इसके चलते आईएफएस अग्रवाल पर होने वाली कार्रवाई रुक गई। हॉर्टिकल्चर में कुछ ऐसे बड़े घोटाले भी हुए, जिन्हें सरकार चाह कर दबा नहीं पा रही है। वर्तमान में पिछले 10 महीने से हॉर्टिकल्चर संचालक का प्रभार अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया के पास ही है। 



इन अफसरों ने किए घोटाले



आईएफएस सत्यानंद- इन पर आरोप है कि उन्होंने 15 अन्‍य अधिकारियों और निजी कंपनियों से सांठगांठ कर किसानों को उद्यानिकी विभाग से मिलने वाली सब्सिडी में घोटाला किया है। जांच में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत अनार के पौधों एवं ड्रिप इरिगेशन सिस्टम के भुगतान में भी अनियमितताएं पाई गई हैं। इन योजनाओं का पैसा डीबीटी के माध्यम से हितग्राही कृषक के बैंक खाते में भेजना था, जो नहीं करते हुए सीधे पौधा वितरण कंपनी एंव ड्रिप इरिगेशन संयंत्र कंपनी को भुगतान कर दिया गया। योजनांतर्गत प्रदान किए गए अनार के सभी पौधे वर्ष 2017-18 में गर्मी पड़ने से सूख गए और किसानों को कोई सहायता राशि नहीं मिली। उद्यानिकी विभाग ने प्रथम आओ, प्रथम पाओ नीति का भी पालन नहीं किया। यंत्र प्रदाता कंपनी ने किसानों से सीधे भुगतान प्राप्त किया। योजना की शर्तों में द्वितीय वर्ष में 80 प्रतिशत और तृतीय वर्ष में 90 प्रतिशत पौधे जीवित होने पर ही अनुदान राशि का भुगतान करना था। लेकिन राशि पौधा वितरित करने के बाद ही कंपनियों को प्रदान कर दी गई। 



आईएफएस एम. कालीदुर्रई- पुराने बने हुए कोल्ड स्टोरेज को नया बताकर करोड़ों रुपए की सब्सिडी का खेल कर दिया। मामला खुला तो सरकार में बैठे जिम्मेदार अफसर चाहकर भी मामले को दबा नहीं पाए। बाद में कालीदुर्रई के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई। इतना ही नहीं कालीदुर्रई ने यंत्रीकरण घोटाला, सीधी में 5 करोड़ का पैक हाउस, 10 करोड़ का प्लास्टिक क्रेट, 7.8 करोड़ का गेंदा बीज और 2 करोड़ का नमामि देवी नर्मदे घोटाला, 5 करोड़ का प्लास्टिक मलचिंग और 2 करोड़ के स्टीविया घोटाले सामने आए थे। कालीदुर्रई ने उद्यानिकी संचालक रहते हुए कोल्ड स्टोरेज के लिए कंपनियों और पॉलीहाउस निर्माण और स्प्रिंकलर के लिए किसानों को अनुदान दिया था, जिसमें घोटाला किया गया था। साल 2019-20 में उद्यानिकी विभाग के तत्कालीन आयुक्त एम कालीदुर्रई सहित कुछ अधिकारियों ने किसानों को पावर टिलर के स्थान पर पावर विडर व पावर स्प्रेयर वितरित कर दिए। पावर टिलर की कीमत लगभग 1.50 लाख रुपए होती है। जांच में आरोप सिद्ध होने पर कालीदुर्रई कुछ समय तक बिना बताए गायब रहे। सरकार ने सख्ती दिखाई तो नौकरी पर हाजिर हो गए। 



आईएफएस मनोज अग्रवाल- इन पर आरोप है कि इन्होंने 1100 रुपए प्रति किलो वाले प्याज का बीज 2300 रुपए किलो दर पर नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) इंदौर से खरीदा था। यह बीज एमपी एग्रो की जगह दूसरी संस्थाओं से खरीदा गया। राष्ट्रीय बागवानी मिशन में उसी साल पहली बार खरीफ फसल में प्याज को शामिल किया गया था। इसके बाद विभाग ने दो करोड़ रुपए में 90 क्विंटल प्याज बीज को खरीद लिया। उद्यानिकी विभाग को एमआईडीएच योजना में संकर सब्जी बीज के नाम पर केन्द्र सरकार से 2 करोड़ रुपए मिले थे। इस राशि से नियमों को ताक पर रखकर निम्न गुणवत्ता के अप्रमाणित प्याज बीज की किस्म एग्रीफाउंड डार्क रेड की खरीदी कर ली गई थी। इस मामले में अग्रवाल के खिलाफ ईओडब्ल्यू में ​शिकायत हुई। ईओडब्ल्यू ने मामले में संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी लेकिन अब तक एफआअईआर नहीं की। इस मामले में अग्रवाल के खिलाफ एक्शन लेने वाली प्रमुख सचिव कल्पना ​श्रीवास्तव को विभाग से हटा दिया गया। अब मामला मुख्य सचिव इकबाल सिंह के पास लंबित है। अग्रवाल के खिलाफ विभागीय जांच का कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना है।


Madhya Pradesh News मध्यप्रदेश न्यूज Corruption in Horticulture Department Lokayukta registers FIR against IFS Satyanand EOW registers complaint against Manoj Agarwal हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार आईएफएस सत्यानंद पर लोकायुक्त की एफआईआर मनोज अग्रवाल के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने रजिस्टर्ड की शिकायत