INDORE, हाऊसिंग सोसायटियों की जमीनें बिक गईं, कॉलोनियां कट गईं। इन सारे कारनामों के लिए इजाजत भी अफसरों ने ही दी। अब सरकार कह रही है, जो जमीनें बिकी उनकी रजिस्ट्री शून्य की जाए। घपलेबाजों पर केस दर्ज करें और उन अफसरों को भी कार्रवाई के घेरे में लें जो इस कार्रवाई में घपलेबाजों के साथ हितग्राही रहे हों। बहरहाल, इंदौर में दस कुख्यात संस्थाओं से बची जमीन वापस लेने की कार्रवाई शुरू हो गई है।
उक्त आदेश भोपाल से प्रदेश के तमाम जिलों में चला है। कहा तो यह भी गया है कि पूरी कार्रवाई के लिए सहकारी समितियों के पदाधिकारियों का इंतजार नहीं करें क्योंकि संभव है वे भी इस घपले में शामिल हों, इसलिए विभाग ही अपने सरकारी वकील को खड़ा कर अदालती कार्रवाई करे। जरूरी फीस भी भरे।
एक हफ्ते में इंदौर में दस अन्य शहरों में पांच पर करें केस
आदेश एक जुलाई को तैयार हुआ। सात जुलाई को इंदौर पहुंचा। इसमें लिखा है कि एक हफ्ते के अंदर इंदौर में कम से कम दस हाउसिंग सोसायटियों और अन्य महानगरों में कम से कम पांच सोसायटियों के खिलाफ जमीन वापस लेने का केस कोर्ट में दाखिल करें। इनके खिलाफ पंद्रह दिन में संबंधित थानों में केस भी दर्ज करवाएं। यह सारा पराक्रम अभियान चलाकर पूरा करें। सूत्रों के मुताबिक सरकार के आदेश पर इंदौर ने कार्रवाई तेज कर दी है। यहां दस कुख्यात हाऊसिंग सोसायटियों के खिलाफ प्रकरण तैयार हो गए हैं और अदालत में जाने की तैयारी है। हालांकि पुलिस केस दर्ज करने वाला मामला फिलहाल प्रक्रिया में है।
इन संस्थाओं की बिकी जमीन होगी शून्य
-करतार गृह निर्माण सहकारी संस्था
-नवभारत गृह निर्माण सहकारी संस्था
-संतोषी माता गृह निर्माण सहकारी संस्था
-कर्मचारी राज्य बीमा निगम सह. संस्था
-महिराज गृह निर्माण सह. संस्था
-कल्पतरू गृह निर्माण सहकारी संस्था
-न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण सह.संस्था
-आदर्श श्रमिक गृह निर्माण सह.संस्था
-श्रीराम गृह निर्माण सहकारी संस्था
-देवी अहिल्या गृह निर्माण सह. संस्था
जो बची वो ही हाथ लगेगी
जिन दस संस्थाओं की बिकी जमीन की रजिस्ट्री शून्य करवाने के लिए सहकारिता विभाग अदालत में जाने की तैयारी कर रहा है उसमें अधिकांश में शहर के बड़े भूमाफिया बरसों पहले घुसपैठ कर अपना हित साध चुके हैं। विभाग की कोशिश है कि जो बचा है वो ही हाथ लग जाए। विभाग के उपायुक्त (सहकारिता) एम.एल. गजभिए ने द सूत्र से कहा-इन संस्थाओं ने सदस्यों को प्लॉट भी दिए हैं और अवैधानिक तरीके से जमीन भी बेची हैं। जो बिकी जमीन खाली पड़ी है, उसी की रजिस्ट्री शून्य करवाने की कार्रवाई की जा रही है।
कभी अफसर ही देते थे अनुमति
हाऊसिंग सोसायटियों की जमीन गैर सदस्यों को बेचने का चलन करीब पंद्रह-बीस साल पहले शुरू हुआ। तब संयुक्त आयुक्त और उपायुक्त के हाथ में ही जमीन बेचने की अनुमति देने के अधिकार थे, इन्हीं ने कई संस्थाओं की जमीन बेचने के आदेश दिए। उसके बाद संस्थाओं की जमीन खरीदने में भूमाफियाओं ने ऐसी घुसपैठ की कि हजारों सदस्य आज तक अपने प्लॉट के लिए भटक रहे हैं जबकि जमीन को भूमाफिया ठिकाने लगा चुके हैं। अब तो बची जमीन पर ही विभाग और प्लॉट की उम्मीद लगाए बैठे लोगों की आस है।
कलेक्टर पहले ही कर चुके शुरुआत
सरकार का आदेश भले ही अभी आया हो लेकिन इंदौर में कलेक्टर मनीष सिंह पहले ही भूमाफियाओं से जमीन मुक्त करवाकर पात्र लोगों को प्लॉट देने की मुहिम शुरू कर चुके हैं। काफी हद तक उन्हें सफलता भी मिली है लेकिन फिर भी कई मामले अभी भी विचाराधीन हैं जिन पर कार्रवाई चल रही है।