Neemuch. देश के कई राज्यों में इस समय लंपी वायरस का प्रकोप है जिससे अब तक बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हो चुकी है। इस खतरनाक बीमारी से पशुपालकों में भारी दहशत है। राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश के नीमच जिले में भी लंपी वायरस ने दस्तक दे दी है। एक पशु की मौत के बाद प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग हरकत मे आये हैं। अब तक 135 पशुओं में लंपि वायरस के लक्षण पाए गए हैं, इनमे से अधिकांश जानवरों के ठीक होने का भी दावा किया गया है।
62 गांव प्रभावित
लंपी वायरस से जिले के लगभग 62 गांव प्रभावित हुए हैं। इन गांवों में पशुओं का सर्वे और सेम्पलिंग की जा रही है। इसके अलावा ग्रामीणों को अपने पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।
लंपी वायरस की दस्तक के बाद जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है, वहीं पशु चिकित्सा विभाग की टीम के द्वारा गांव-गांव जाकर जिनके घरो में पशु हैं वहां पशुपालकों को सतर्क रहने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। पशुओं के सैम्पल लिए जा रहे हैं। संदिग्ध पशुओं को अन्य पशुओं से दूर आइसोलेट किया जा रहा है। ऐसे हालातों में पशुपालको में दहशत है। लगभग कई गांवों से पशुओं के बीमार होने की सूचनाएं आ रही है। इस मामले पर नीमच कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान के नजदीक होने के कारण लंपी वायरस को लेकर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर पशु परिवहन पर रोक लगाई गई है। पशु चिकित्सा टीमों को व्यापक सर्वे और उपचार के अलावा टीकाकरण के निर्देश दिए गए हैं। अब तक 13 हजार से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।
शासकीय पशु चिकित्सालय पर लटक रहे हैं ताले, गोवंश भगवान के हवाले
गोवंश की सुरक्षा एवं उपचार प्रबंधों को लेकर शासन प्रशासन एवं राजनेता चाहे लाख दावे करें लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंशो में जो लक्षण दिखाई दे रहे हैं। निश्चित रूप से किसी बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता।धरातल पर हालात तेजी से बद से बदतर होते जा रहे हैं। ग्राम जाट में लंपी वायरस से 1 गाय की मौत हो जाने के बाद भी नीमच जिला प्रशासन के आला अधिकारी बेखबर होकर आंखें मूंदकर गहरी नींद में सोए हुए हैं। जिला पशु चिकित्सा विभाग ने गो पालको को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान के निर्देशानुसार नीमच जिला कलेक्टर ने अन्य राज्यों से गो परिवहन पर प्रतिबंधात्मक आदेश तो जारी कर दिए हैं लेकिन क्षेत्र में पशुओं मे लंपी वायरस के उपचार के लिए चिकित्सकों की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है।
तेजी से फैल रही बीमारी
जिले में बैठे विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते कई क्षेत्रों में अभी तक टीकाकरण की भी व्यवस्था नहीं हो पाई है और इस खतरनाक बीमारी की चपेट में गोवंश की तादाद बढ़ती जा रही है। ग्राम जाट में शासकीय पशु औषधालय पर कोई चिकित्सक न होने से ताले लटके हुए हैं। ग्राम के पशुओं का सही ढंग से उपचार नहीं हो पा रहा है।गो पालक बालूराम गुर्जर की 1 गाय की मृत्यु हो चुकी है जिसे जमीन में दफनाया गया। इनकी 1 गाय और इस रोग से ग्रसित है। ग्राम के ही किशनलाल पिता चुन्नीलाल प्रजापत का बैल जिसके गले में सूजन है। 2/3 और गायों में भी इस बीमारी के लक्षण पाए गए है। गो सेवक रिजवान अंसारी द्वारा वैक्सीन लगाई जा रही है एवं ग्रामीण खुद ही देशी इलाज कर रहे है जिला प्रशासन द्वारा अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो पूरे गांव के पशुओं में तेजी से यह वायरस फेल सकता है।
मप्र के 10 जिलों में लंपी वायरस का कहर
मध्य प्रदेश के 10 जिलों में 2,171 पशु लंपी त्वचा रोग से पीड़ित हैं जिसके बाद प्रशासन ने इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावित गांवों और जिलों में पशुओं के आवागमन को प्रतिबंधित कर दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां शुक्रवार को लंपी त्वचा रोग की प्रदेश में स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि इस बीमारी से पशुओं की मृत्यु ना हो, यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि बीमारी से प्रभावित जिलों से सटे जिलों में अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है। साथ ही अन्य राज्यों से आ रहे पशुओं पर भी प्रतिबंध लगाया जाए। लंपी बीमारी से बचाव के लिए अधिक से अधिक पशुओं में आवश्यक टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए। पशुपालकों को मार्गदर्शन और सहायता उपलब्ध कराने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी करें। लंपी त्वचा रोग गौ वंशीय पशुओं में वायरस से होता है। यह बीमारी पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के रतलाम, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, बैतूल, इंदौर और खंडवा में इस रोग की पुष्टि हुई है। धार, बुरहानपुर, झाबुआ में पशुओं में इस बीमारी के लक्षण दिखने की सूचना प्राप्त हुई है।