अरुण सिंह, PANNA NEWS. भव्य प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में स्थित सुप्रसिद्ध बलदाऊ मंदिर में 17 अगस्त को 12 बजे हलधर का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का भव्य और अनूठा मंदिर पन्ना शहर में स्थित हैं। हलछठ के दिन इस विश्व प्रसिद्ध बल्देव के मंदिर में भगवान बलराम का जन्मोत्सव परम्परागत ढंग से मनाया गया। इस मौके पर मंदिर को बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
पन्ना के बलदाऊ मंदिर में 17 अगस्त को श्रद्धालुओं, प्रशासनिक अधिकारियों तथा मंदिर समिति के सदस्यों की मौजूदगी में हलधर का जन्मोत्सव धूमधाम और श्रद्धा से मनाया गया। जैसे ही घड़ी की सुईयों ने 12 बजने का संकेत दिया, हलधर के जयकारों से बलदाऊ मंदिर गूंज उठा। मंदिर के गर्भग्रह में परम्परागत तरीके से जन्म संस्कार, आरती तथा भगवान के जन्म दर्शन हुए।
जन्मोत्सव उपरांत महिलाओं ने गाये बधाई गीत
पन्ना के इस ऐतिहासिक मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की चहल-पहल बढ़ गई थी। इसमें महिलाओं की संख्या सर्वाधिक देखी गई। बलदाऊ का जन्मोत्सव संपन्न होते ही उपस्थित महिलाओं ने बधाई गीत गाने शुरू कर दिये, जिससे मंदिर प्रांगण का वातावरण और भी धार्मिक हो गया। महिलाओं ने व्रत रखकर भगवान बल्देव की पूजा करके परिवार व समाज की खुशहाली की मांग की। महिलायें इस दिन व्रत रखकर पुत्र के दीर्घायु होने की कामना के साथ हलछठ की पूजा करती हैं। मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को हलछठ की पूजा के लिये आवश्यक व्यवस्थायें मंदिर समिति द्वारा की गई हैं। भगवान के जन्मोत्सव के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।
पूर्व और पश्चिम की स्थापत्य का अनूठा संगम है यह मंदिर
पवित्र नगरी पन्ना में स्थिति श्री बल्देव जी मंदिर की निराली छटा आज देखते ही बनती है। इस विशाल और भव्य मंदिर का निर्माण तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा रूद्रप्रताप सिंह ने लगभग 145 वर्ष पूर्व सन् 1876 में करवाया था। यह मंदिर पूर्व और पश्चिम की स्थापत्य कला का अनूठा संगम है। इस मंदिर की स्थापत्य कला और अनुपम सौंदर्य को निहारकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। भगवान कृष्ण की सोलह कलाओं के प्रतीक, मंदिर निर्माण में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं। मंदिर में प्रवेश हेतु 16 सोपान सीढ़ी, 16 झरोखे, 16 लघु गुम्बद व 16 स्तम्भ पर विशाल मण्डप है। मंदिर का शिखर स्वर्ण कलश से सुशोभित है। महाराजा रूद्रप्रताप सिंह को कृषि से अत्यधिक लगाव था, इसलिये उन्होंने हलधर भगवान बल्देव की नयनाभिराम कृष्णवर्णी प्रतिमा मंदिर के गर्भग्रह में प्रतिष्ठित कराई थी। यह अनूठा मंदिर राज्य की पुरातात्विक धरोहर में शामिल किया गया है।