BHOPAL. मध्य प्रदेश को समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन के बीच बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार ने पिछले साल खरीदा गया 18 लाख टन गेहूं लेने से इनकार कर दिया है। भारतीय खाद्य निगम ने इसे अमानक पाया है। दरअसल, पिछले साल उपार्जन के समय बारिश हो गई थी, जिसमें गेहूं भीग गया था। किसानों को नुकसान न हो, इसलिए सरकार ने गेहूं खरीद लिया था। इसके लिए केंद्र सरकार से विशेष अनुमति भी ली गई थी, लेकिन निर्धारित मापदंड उससे ज्यादा चमकहीन गेहूं ले लिया गया, जो मान्य नहीं है। अब सरकार इस गेहूं को भी नीलाम करेगी।
FCI का गेहूं लेने से इनकार
पिछले साल 1 हजार 975 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सरकार ने 128 लाख टन गेहूं का उपार्जन किया था। करीब 30 लाख टन गेहूं ऐसा था, जो चमकविहीन था। इसमें 12 लाख टन गेहूं तो एफसीआइ ने स्वीकार कर लिया लेकिन 18 लाख टन गेहूं लेने से इंकार कर दिया। दरअसल, एफएक्यू के अनुकूल गेहूं नहीं पाया गया था। शिवराज सरकार ने किसानों को नुकसान से बचाने के लिए केंद्र सरकार से चमकविहीन गेहूं, लेने के प्रविधान में छूट की विशेष अनुमति ली थी। दस प्रतिशत तक चमकविहीन गेहूं को मान्य किया गया था, लेकिन 18 लाख टन गेहूं में यह प्रतिशत अधिक पाया गया है।
पहले भी गेहूं लेने से किया था मना
इससे पहले साल 2019-20 में खरीदे गए लगभग साढ़े छह लाख टन गेहूं लेने से मना कर दिया था। प्रतिवर्ष उपार्जन के लिए केंद्र सरकार द्वार लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं। इसमें यह शर्त भी रहती है कि उपार्जन के पहले सरकार बोनस या प्रोत्साहन देने संबंधी कोई कदम नहीं उठाएगी क्योंकि इसका असर बाजार पर पड़ता है। कमल नाथ सरकार ने 160 रुपये प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी। इसे केंद्र सरकार ने बोनस माना और काफी विचार-विमर्श के बाद 67.25 लाख टन गेहूं सेंट्रल पूल में लेने के लिए तैयार हुई।
सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य हित में बचे हुई गेहूं को सेंट्रल पूल में लेने का अनुरोध भी किया, लेकिन नीतिगत मामला होने की वजह से बात नहीं बनी। आखिरकार सरकार को इसे नीलाम करने का निर्णय लेना पड़ा। अभी तक सरकार 12 लाख 25 हजार टन गेहूं नीलाम कर चुकी है।