जौरा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताए हुए रास्ते का अनुसरण करते हुए चंबल घाटी के बागियों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर अंहिसा को अपनाया था। पूरी दुनिया के सामने अंहिसा का ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत किया था। चंबल घाटी के महात्मा गांधी सेवा आश्रम में 14 अप्रैल को बागी समर्पण दिवस की 50वीं वर्षगांठ अयोजित की जा रही है। 50 वर्ष पूर्व डॉ. एसएन सुब्बाराव और पी.व्ही. राजगोपाल सहित अनेक गांधीवादियों के सफल प्रयास के फलस्वरूप बागियों ने अपने हाथियार डाले और शांति-अंहिसा का मार्ग अपनाया। बागी समर्पण दिवस के ऐतिहासिक 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ केन्द्रीय मंत्री डॉ. नरेन्द्र सिंह तोमर के द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर एकता परिषद, राष्ट्रीय युवा योजना तथा गांधी विचारों से जुड़े अनेक संगठनों के लोग शामिल होंगे।
अभियान में युवा समाज की विशेष भूमिका
राष्ट्रीय सम्मेलन शांति और न्याय जैसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। वर्तमान समय में महात्मा गांधी, विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण और डॉ. सुब्बाराव के विचारों को लेकर एक देशव्यापी अभियान की आवश्यकता है। इस अभियान का व्यापक उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए न्याय और शांति सुनिश्चित करना होगा। इस अभियान में युवा समाज की विशेष भूमिका है।
गांधीवादी संगठनों का सामूहिक प्रयास
शांति और न्याय के लिए आयोजित इस सम्मलेन में आए देश भर के युवाओं के साथ मिलकर संभावनाओं और सामूहिक प्रयासों की रूप रेखा बनाई जाएगी। एकता परिषद का मानना है कि देश के वंचितों को न्याय और शांति सुनिश्चित करने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर सामूहिक प्रयास करना चहिए।
प्रख्यात गांधीवादी चिंतक करेंगे शिरकत
इस सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में जल पुरुष राजेन्द्र सिंह, प्रख्यात राजनीतिक चिंतक सुधींद्र कुलकर्णी, प्रख्यात पर्यावरणीय वंदना शिवा, राष्ट्रीय आदिवासी मोर्चा के निकोलस बार्ला, वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. राजेश, टंडन तथा वनवासी सेवा आश्रम से विभो प्रेम आदि आमंत्रित है। इस सम्मेलन में भारत के लगभग सभी प्रांतों से लगभग 1 हजार लोगों की भागीदारी होगी। शांति और न्याय के लिए आयोजित ये राष्ट्रीय सम्मेलन गांधीवादी नेता पी.व्ही. राजगोपाल के नेतृत्व में महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा (मुरैना) में 14 से 16 अप्रैल 2022 को अयोजित किया गया है।