भिंड जिले में चंबल नदी उफान पर, 25 से ज्यादा गांव डूबे; लोगों का घरों और मंदिरों की छतों पर बना बसेरा

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The Sootr CG
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भिंड जिले में चंबल नदी उफान पर, 25 से ज्यादा गांव डूबे; लोगों का घरों और मंदिरों की छतों पर बना बसेरा

सुनील शर्मा,BHIND.भिंड जिले का अटेर क्षेत्र पिछले कई दिनों से बाढ़ से जूझ रहे है। बाढ़ से जूझते 25 गांवो में से एक गांव देवालय की खास रिपोर्ट हमने तैयार की है। देवालय के लोग अब टापू में फंसे हुए हैं। प्रशासन की अपील के बाद भी अपनी पूंजी,गल्ला और मवेशियों का मोह उन्हें गांव से बाहर नहीं निकलने दे रहा है।



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खेतों में 30 से 40 फीट बाढ़ का पानी



ये गांव ऊंचाई पर है। घरों में पानी घुस चुका है। लोग अपनी गृहस्ती समेट रहे हैं। वहीं आधे से ज्यादा लोग अपना अनाज,फर्नीचर बिछौने और मवेशियों को बचाने में लगे हैं। खेती पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है और गांव का विकास दशकों पीछे चला गया है। देवालय गांव की हर छत पर बाढ़ से बचने का प्रयास कर रहे ग्रामीण और उनका सामान है। जिन गरीबों के घर पूरी तरह डूब गए हैं। वे ऊंचाई पर बने दूसरों के घरों में रह रहे हैं। वहीं गांव के एक बुजुर्ग ने बताया की पानी लगातार बढ़ रहा है। कई घरों में बाढ़ का पानी घुसा है। ऐसे में लोग अपनी गृहस्ती छतों पर रखने को मजबूर हैं,घर खाली कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि ग्रामीणों को प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है। इस वजह से वो लोग ही एक-दूसरे का सहारा बन रहे हैं।



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ग्रामीणों का हुआ लाखों का नुकसान 



गांव में रहने वाले रिटायर्ड सूबेदार राकेश ने बताया की बाढ़ आने की वजह से उनका लाखों का नुकसान हो गया है। घर में लाखों रुपए का फर्नीचर लगवाया था। मेहनत से कमाया पैसा इस तरह डूबता नजर आ रहा है। इससे वो बहुत आहत हैं। राकेश का कहना है कि वो लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि बाढ़ पीड़ितों को किसी ऊंचे स्थान पर भेजा जाए। बाढ़ प्रभावित गांव को विस्थापित किया जाए, या फिर कोई ऊंची सड़क बनाई जाए। इससे आवागमन में परेशानी ना हो। सरकार को इन लोगों को मुआवजे देने की प्लानिंग करनी चाहिए।



प्रशासन को जल्द लेना चाहिए एक्शन



वर्तमान स्थिति में चंबल नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार खुद अभी और पानी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। प्रशासन को समय रहते इन ग्रामीणों को समझा-बुझा कर रेस्क्यू करवा लेना चाहिए। अगर प्रशासन ऐसा नहीं करता है तो कौन जाने आगे क्या परिणाम देखने को मिले। ग्रामीणों को उनका गांव और मवेशियों का मोह,उन्हें गांव से बाहर आने नहीं दे रहा है।



100 साल का टूटा रिकार्ड



वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है कि उनके जीवनकाल और उनके बुजुर्गों के जीवन काल में चंबल मां इस प्रकार कभी नहीं चढ़ीं हैं। गांव में बाढ़ तो पहले भी कई बार आई लेकिन इस प्रकार का जलजला उन्होंने पहली बार देखा है।




 


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