विजय मांड्गे, Bhopal. इन दिनों बीजेपी संगठन में बैठकों का दौर चल रहा है। पार्टी नेता इसे तो रूटीन प्रक्रिया बता रहे हैं लेकिन अंदरखाने से खबर ये है कि जून के महीने में होने वाले कैबिनेट फेरबदल को आखिरी रूप दिया जा रहा है। कैबिनेट में फेरबदल तय है और इसमें तीन मंत्रियों को हटाया जा सकता है और तीन नए चेहरों को जगह मिल सकती है।
दिल्ली में कोर कमेटी ने ये तय किया
बीजेपी में चल रही इन बैठकों के पीछे क्या है रणनीति। सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बनाने के साथ-साथ क्या कैबिनेट फेरबदल पर आखिरी मुहर लगाई जा रही है। हालांकि कैबिनेट में बदलाव केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से होता है। पिछले दिनों दिल्ली में हुई कोर कमेटी की बैठक में परफॉर्मेंस के आधार पर मंत्रियों का आंकलन किया गया था और तय किया गया था कि बदलाव किया जाए। नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। द सूत्र को पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तीन मंत्रियों को हटाया जा सकता है, जिसमें से दो बीजेपी के और एक सिंधिया समर्थक मंत्री का नाम है और इनकी जगह तीन नए चेहरों को मौका मिल सकता है।
इन्हें मिलेगा मौका
विंध्य के कद्दावर नेताओं में शुमार राजेंद्र शुक्ल की कैबिनेट में वापसी लगभग संभव है। राजेंद्र शुक्ल के नाम के पीछे क्षेत्रीय समीकरण को भी साधना है। दरअसल 2020 में जब बीजेपी की सरकार बनी तब सिंधिया समर्थकों को कैबिनेट और राज्य मंत्री बनाया गया दलील ये दी गई कि इन्हीं की वजह से सरकार बनी है। इसलिए प्रतिनिधित्व देना जरूरी है। ऐसे में महाकौशल से तो केवल एक मंत्री रामकिशोर कांवरे को कैबिनेट में जगह मिली और विंध्य से किसी चेहरे को मौका नहीं मिला। लंबे समय से इसे लेकर बीजेपी के अंदरखाने में खदबदाहट थी। अब विंध्य को इसके जरिए प्रतिनिधित्व देने की तैयारी है। दूसरी तरफ जोबट से उपचुनाव जीतीं सुलोचना रावत को भी मंत्री बनाया जा सकता है क्योंकि कांग्रेस छोड़कर जब वो बीजेपी में आई थीं, तब उन्हें मंत्री बनाने का बीजेपी ने भरोसा दिया था।
तीन बार हो चुका है कैबिनेट का विस्तार
इसके जरिए आदिवासी क्षेत्रों में पैठ बनाने की कोशिश की जाएगी, खासतौर पर मालवा और निमाड़ क्षेत्र में। एक नाम गौरीशंकर बिसेन का भी लिया जा रहा है। बिसेन पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष है और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। महाकौशल को प्रतिनिधित्व देने की इसे कवायद माना जा रहा है। 2020 में सरकार बनने के बाद अब तक तीन बार कैबिनेट विस्तार हो चुका है। 2020 में 21 अप्रैल को छोटा कैबिनेट विस्तार हुआ था, जिसमें 5 मंत्रियों ने शपथ ली थी।
इसके पांच महीने बाद 2 जुलाई को दूसरा विस्तार हुआ, जिसमें 28 मंत्री बनाए गए। इसके बाद पिछले साल 3 जनवरी को तीसरा विस्तार हुआ, जिसमें तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने फिर मंत्रीपद की शपथ ली। सिंधिया समर्थक मंत्रियों की संख्या 11 है। अब चौथे कैबिनेट विस्तार में सिंधिया समर्थक एक मंत्री को हटाया जा सकता है तो वो कौन होगा इसपर कयासों का बाजार फिलहाल गर्म है।