उज्जैन: CJI महाकाल दर्शन करने पहुंचे थे; रात यहीं रुकना था, पर चले गए, क्यों?

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उज्जैन: CJI महाकाल दर्शन करने पहुंचे थे; रात यहीं रुकना था, पर चले गए, क्यों?

उज्जैन. द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल भगवान महाकाल पूरे देश में पूजनीय हैं। आम समेत कई हस्तियां यहां पूजा-अर्चना के लिए आ चुकी हैं। वीवीआईपी यहां दर्शन करने तो आते हैं, लेकिन रात में नहीं ठहरते। क्या इसके पीछे कोई तर्क है, कोई शास्त्रीय या शासकीय परंपरा है या इसके पीछे कोई रहस्य छिपा है? इस पर एक बार फिर चर्चा छिड़ गई है। 18 नवंबर को चीफ जस्टिस एनवी रमना महाकाल दर्शन करने पहुंचे थे। उनकी उज्जैन में रुकने की व्यवस्था थी, इसके बावजूद वे नहीं रुके।

उज्जैन आए, दर्शन किए और इंदौर निकल गए

मान्यता है कि बाबा महाकाल उज्जैन के राजा हैं। इसलिए शासन, प्रशासन शीर्षस्थ व्यक्ति शहर सीमा में रात्रि विश्राम नहीं करते। सीजेआई के मुख्य कार्यक्रम के मुताबिक, गुरुवार (18 नवंबर) को उन्हें सड़क मार्ग से उज्जैन पहुंचना था और महाकालेश्वर दर्शन करके रात्रि विश्राम यहीं करना था। उनके स्टे के लिए क्षिप्रा नदी के दूसरी तरफ बनी एक निजी होटल में इंतजाम किए गए थे। वे समय पर यहां पहुंच भी गए और महाकालेश्वर की संध्या आरती में शामिल भी हुए।

इसके बाद वे सपत्नीक हरसिद्धि मंदिर और काल भैरव मंदिर भी गए और पूजा-अर्चना की। इसके बाद वे सीधे इंदौर रवाना हो गए। इस बीच, एक पुलिस अफसर ने पुष्टि की कि CJI शुक्रवार (19 नवंबर) की अलसुबह करीब 4 बजे इंदौर से सड़क मार्ग द्वारा वापस उज्जैन आएंगे। वे महाकालेश्वर मंदिर में भस्मआरती में शामिल होंगे और इसके बाद इंदौर लौट जाएंगे।

CJI के फैसले सभी अचंभित

चीफ जस्टिस रमना का उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करने का निर्णय सभी को अचंभित कर गया। लोगों के मन में सवाल उठा कि आखिर वे भरी ठंड में 2-2 बार (महज 10 घंटे के अंतराल) में उज्जैन की यात्रा क्यों करना चाहते हैं? पिछले दो दशक के दौरान मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और राज्यपालों ने भी उज्जैन में रात्रि विश्राम करने से तौबा ही की है...!

विद्वानों के अपने-अपने तर्क

उज्जैन में हस्तियों के रात ना गुजारने को लेकर विद्वानों के अपने-अपने तर्क हैं। प्रख्यात विद्वान डॉ. मोहन गुप्त ने कहा कि वीवीआईपी उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करते, ये सब फालतू की बात है। महाकालेश्वर राजा हैं, ये तो सत्य है, लेकिन प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री वगैरह राजा नहीं हैं। प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू यहां सर्किट हाउस में ठहर चुके हैं। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद समेत उनके जैसी कई शख्सियतें उज्जैन में सर्किट हाउस में रात्रि में रुकी हैं। शायद इंदौर में सुविधाएं ज्यादा हैं, इसलिए ये लोग आजकल वापस लौट जाते हैं, लेकिन उज्जैन में ठहरने में कोई आपत्ति नहीं है।

वयोवृद्ध इतिहासकार डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित बताते हैं कि ये केवल एक अफवाह है जो एक बार चली तो चलती गई, अकारण। ऐसा कोई नियम नहीं है और ना ही इस तरह का कोई प्रमाण उपलब्ध है। महाकवि कालिदास ने तो ‘रघुवंशम’ में उल्लेख किया है कि राजा का राजमहल महाकालेश्वर मंदिर के पास में स्थित था। मालूम नहीं ये परम्परा कहां से चालू हो गई? उज्जैन से जुड़ा ऐसा कोई शकुन या अपशकुन भी नहीं है।

प्रसिद्ध ज्योतिर्विद पंडित आनंद शंकर व्यास के अनुसार, ग्वालियर स्टेट के जमाने में ये मान्यता जरूर थी कि स्टेट के राजा महाकाल जी को उज्जैन का सम्राट मानते थे। एक राज्य में दो राजा नहीं रुकते थे, तो वे खुद नगर सीमा के बाहर ठहरा करते थे। ना मालूम वीवीआपीपी लोगों को कौन फीडबैक दे देता है जो वे किसी भय की आशंका से उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करते?

Ujjain mahakal darshan Chief Justice NV Ramanna had come to visit but did not spend the night