नवीन मोदी, गुना. यहां 7 साल पहले इंजीनियरों ने जिस इमारत को खतरनाक घोषित किया था। अब उस बिल्डिंग में 150 बेड का चाइल्ड वार्ड बनाया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग (PWD) ने पुरानी बिल्डिंग को सुधारने का काम भी शुरू कर दिया है। द सूत्र ने बिल्डिंग का मुआयना किया। बिल्डिंग की हालात बेहद खराब हो चुकी है। शौचालय, गैलरी के अलावा बिल्डिंग का ज्यादातर इन्फ्रास्ट्रक्चर खस्ता हालात में है। पीडब्लूडी इसके रिपेयरिंग का काम कर रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही कि जिस बिल्डिंग को 7 साल पहले खतरनाक घोषित किया जा चुका है। उसमें चाइल्ड वार्ड बनाया क्यों जा रहा है। अगर ऐसे में कोई बड़ा हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
4 साल से खाली है इमारत: 2455 वर्ग फीट में फैली इस इमारत को लेकर इंजीनियरों ने दो रिपोर्ट पेश की थी। 2015 में पेश रिपोर्ट में इसे खतरनाक घोषित किया गया था। इसके बाद किसी अप्रिय घटना के डर से 2018 में इसे खाली करा दिया गया। बाद में इंजीनियरों ने दूसरी रिपोर्ट पेश की। इसमें बिल्डिंग की मरम्मत की इजाजत दे दी गई। प्रशासन से बिल्डिंग की मरम्मत के लिए 3.21 करोड़ रुपए का बजट भी मंजूर हुआ है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन एच वी जैन ने बताया कि 2018 के बाद से बिल्डिंग खाली थी। इसी बीच सरकार की ओर से बिल्डिंग भवन को नए सिरे बनाने की जानकारी लगने पर लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से उक्त प्रोविजन के सम्बंध में चर्चा की। तब इसकी मरम्मत का काम शुरू हुआ।
भ्रष्टाचार की आशंका: जिला अस्पताल के कुछ कर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पूरी बिल्डिंग कंडम हो चुकी है। सिर्फ खाना पूर्ति के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार किया जा रहा है। मेडिकल विंग का ये वार्ड काफी जर्जर है। इसे मरम्मत और रंगरोगन करके चमकाया जा रहा है। ऐसे में बिल्डिंग से कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? बता दें कि 1983 में इस इमारत का निर्माण किया गया था। वहीं, कलेक्टर फ्रेंक नोबेल ए ने बताया कि पहले इंजीनियरों ने इमारत को असुरक्षित बताया। अब इसकी मरम्मत करने उपयोग करने के लिए कहा गया है। ऐसी स्थिति में हमने चीफ इंजीनियर का अभिमत मांगा है।