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Jabalpur. जबलपुर में निजी अस्पताल में हुए भीषण अग्निकांड के बाद भी सीएमएचओ कार्यालय गंभीर नहीं हुआ है। अजब बात है कि इस कार्यालय से 51 अस्पतालों को एनओसी व हॉस्पिटल सेफ्टी संबंधित प्रमाण पत्र कार्यालय में जमा करने संबंधित पत्र और हॉस्पिटल्स की लिस्ट जारी की जाती है,बाद में यह कहा जाता है कि यह फर्जी है। सवाल यह है कि कौन सीएमएचओ कार्यालय में आकर कम्प्यूटर पर लिस्ट बनाकर जाती कर रहा है और यदि ये फर्जी है तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। हालात ये हैं कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान सीएमएचओ और फायर सेफ्टी अधिकारी को निलंबित करने का फरमान देते हैं, बावजूद उसके अधिकारी हैं कि गलतियों पर गलतियां करते जा रहे हैं। मानों ये किसी स्कूल में बच्चे की शैतानी का मामला हो ना कि भूसे के ढेर की तरह जले अस्पताल में भस्म हुई आठ जिंदगियों का।
गफलत पर गफलत हो रहीं
दरअसल मंगलवार की शाम जनसंपर्क विभाग जबलपुर की फेसबुक आईडी पर एक आदेश की फोटो बकायदा चस्पा की गई। स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह आदेश कम एडवायजरी जारी किया गया था कि जबलपुर शहर के 51 अस्पतालों में कई प्रकार की खामियां हैं जिनकी एनओसी अब तक जमा नहीं गई है, जिसके चलते उक्त अस्पतालों को नोटिस दिए जाने की बात आदेश में थी। साथ ही लोगों से भी यह अपील की गई थी कि वे लिस्ट में शामिल अस्पतालों में अपने मरीज को भर्ती न करें। उक्त अस्पतालों को भी यह ताकीद दी गई थी कि वे न तो नया मरीज भर्ती करेंगे और जो मरीज भर्ती हैं उन्हें या तो डिस्चार्ज कर देंगे या कहीं और रेफर करेंगे। लेकिन कुछ घंटे बीतने के साथ ही आदेश को जनसंपर्क की फेसबुक आईडी से भी हटा लिया गया और पूरी लिस्ट को ही फर्जी करार दे दिया गया।
सीएम पढ़ रहे गंभीरता का पहाड़ा, अधिकारियों को परवाह नहीं
भीषण अग्निकांड के बाद सीएम गंभीरता से जांच करके सख्त कार्रवाई की बात करते हैं। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी घटना पर अफसोस जताते हैं। लेकिन बावजूद इसके जबलपुर के अधिकारियों का रवैया देखिए। दूसरी तरफ इस सवाल का जवाब ही किसी सक्षम अधिकारी के पास नहीं है कि आखिर जनसंपर्क विभाग की साइट के जरिए कथित तौर पर फर्जी लिस्ट अपलोड कैसे कर दी गई। या सख्त कार्रवाई का संदेश देने वाली लिस्ट जारी हुई तो उसे किसके दबाव में फर्जी घोषित करना पड़ गया।
लिस्ट में खुल गई थी पोलपट्टी
दरअसल लिस्ट में जिन 51 अस्पतालों के तमाम रसूखदारों के अस्पताल हैं। कई अस्पताल शहर के ख्यातिलब्ध डॉक्टर के परिवार के सदस्यों के अस्पताल थे। कुल मिलाकर जिला प्रशासन ने लिस्ट के जरिए यह मान लिया था कि इतने सालों से तमाम नियमों को ताक पर रखकर शहर के नामचीन अस्पताल बेधड़क चल रहे थे। लेकिन किसी के कान में जूं तक नहीं रेंग रही थी। वो तो सोमवार को भीषण अग्निकांड का धमाका हो गया वरना ये अधिकारी आज भी अलमस्त नींद में होते।
लिस्ट जारी नहीं की
तत्कालीन सीएमएचओ डॉ रत्नेश कुररिया ने साफ कहा है कि आज दिनांक तक उनके हस्ताक्षर से किसी प्रकार की कोई लिस्ट जारी की ही नहीं गई है। उनका कहना है कि जिन अस्पतालों में कमियां हैं उनकी जांच कर अलग से नोटिस भेजा जाएगा।
आखिर किसकी आत्मा जाग गई थी
पूरे घटनाक्रम में दिलचस्प बात यह है कि आखिर किस अधिकारी की इस भीषण कांड के बाद आत्मा जाग गई और उसने सीएमएचओ के हूबहू असली दिखने वाले दस्तखत किए और उसे जनसंपर्क विभाग की फेसबुक आईडी को हैक करके अपलोड कर दिया। या यह मूकबधिर और प्रशासन को जानबूझकर फंसाए जाने की साजिश थी। जो प्रशासन न बुरा देखता है, न सुनता है और सोचता भी नहीं है।