नीमच के सरकारी स्कूलों में हाथ लगाने से गिर रहा छत का प्लास्टर, जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं बच्चे

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Kamlesh Sarda
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नीमच के सरकारी स्कूलों में हाथ लगाने से गिर रहा छत का प्लास्टर, जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं बच्चे

NEEMUCH. एक तरफ तो शिवराज सरकार के मंत्री सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा उपलब्ध करवाने का बखान करते-करते नहीं थक रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर आज भी कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं जहां पर पढ़ाई करने वाले बच्चों के सिर पर मौत मंडराती हुई दिखाई दे रही है। नीमच के जावद और मनासा विधानसभा क्षेत्र के अलग-अलग स्कूलों में छत के गिरते प्लास्टर के नीचे बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं।



बारद और देवरी परदा के स्कूलों की हालत खराब



चार भुजा के बारद शासकीय प्राथमिक स्कूल में छत का प्लास्टर हाथ लगाने से ही गिर रहा है। कक्षा पहली से 5वीं तक के बच्चे इसी छत के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। वहीं देवरी परदा के स्कूल की हालत भी जर्जर है। सवाल ये है कि क्या जिम्मेदारों को ये सब नहीं दिखाई देता। क्या उनकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई है। ये जरूरी तो नहीं जहां सिर पर खतरा मंडरा रहा हो वहीं बच्चो को पढ़ाया जाए।



जावद विधानसभा में भी सरकारी स्कूल जर्जर



जावद विधानसभा क्षेत्र के विधायक और शिवराज सरकार के मंत्री डिजिटल शिक्षा की बात कर रहे हैं लेकिन यहां भी हालात बुरे हैं। शासकीय प्राथमिक विद्यालय देवपुरा जहां पर ढाई साल से स्कूल भवन पूरी तरह खंडर में तब्दील हो चुका है मजबूरन शिक्षकों को बच्चों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाने को मजबूर हैं।



जिम्मेदारों ने नहीं की कोई कार्रवाई



आपको बता दें कि कई बार शिक्षकों ने जिम्मेदारों को लिखित में भी अवगत कराया है लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। पूरे मामले पर अतिरिक्त डीपीसी प्रहलय उपाध्याय का कहना है कि जिले में 204 ऐसे स्कूल है जहां पर छत नहीं है या भवन जर्जर हैं। उनकी स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेज रखा है। जैसे ही स्वीकृति मिलती है काम करवाएंगे। 


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