चित्रकूट में खदानों ने किया जैवविविधता का सत्यानाश, जन-वन दोनों खतरे में; राम वनगमन क्षेत्र में चल रहीं 12 खदानें

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The Sootr CG
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चित्रकूट में खदानों ने किया जैवविविधता का सत्यानाश, जन-वन दोनों खतरे में; राम वनगमन क्षेत्र में चल रहीं 12 खदानें

सचिन त्रिपाठी, CHITRAKOOT. आस्था पर संकट और जनविरोध होने पर सीएम शिवराजसिंह चौहान ने सिद्धा पहाड़ की खदान को भले ही रोकने के निर्देश दिए हों लेकिन राम वनगमन क्षेत्र में 12 खदानें अभी भी चल रही हैं। बारिश के बाद इनका खनन शुरू हो जाएगा। इन खदानों का असर वन्यजीवों और जैव विविधता पर पड़ रहा है। चित्रकूट का मुद्दा विन्ध्यप्रदेश पुनरोदय आंदोलन के साथ भी जुड़ गया है।



राम वनगमन पथ में खदानों का खेल



अगस्त महीने में जब सिद्धा पहाड़ की एक खदान को लेकर पर्यावरण विभाग ने नोटिस जारी किया तो हंगामा मच गया। सिद्धा पहाड़ को राम के उस प्रण के साथ जोड़ा जाता है जिसमें उन्होंने निश्चरहीन करहुं महि...का संकल्प लिया था। जनविरोध को देखते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 2 सितंबर को इस खदान को निरस्त करने का आदेश दिया था। लेकिन सिद्धा पहाड़ की 10 किलोमीटर के दायरे में 10 खदानें अभी भी बिना किसी रोक टोक के चल रही हैं । यह रामवनगमन पथ में आता है। 10 किमी की परिधि में संरभग आश्रम, सुतीक्षण आश्रम, अश्वमुनि आश्रम और विराध कुंड है।



बिना रोक-टोक के चल रहीं 10 खदानें 



हल्का पटवारी के 1 सजरा के अनुसार सिद्धा पहाड़ से 3 किलोमीटर दूर बरहा, 4 किमी. सरभंगा, 10 किमी. लेदरा, 13 किमी. कामाछुहिया, 4किमी. बरुई, 10 किमी. बडेरा, 8 किमी.पगार, 2 किमी. सेलहा, 5 किमी. सुतीक्षण और 5 किमी. दूर पिपरितोला की खदानें चल रही हैं। यहां लेट्राइट, बाक्साइट, ओकर और रेड ऑक्साइड की खदानें हैं। सतना के मझगवां एसडीएम कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार चित्रकूट की 27 खदानों में 12 चालू हैं और 15 बंद हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार चित्रकूट क्षेत्र का कण-कण रामकृपा से अभिसिंचित है। रामवनगमन पथ का मतलब कोई एक पगडंडी नहीं है।



बीजेपी-कांग्रेस के अपने-अपने रामवनगमन पथ



चित्रकूट की आस्था पर राजनीति भी कम नहीं है। जिन सरकारों ने खदानें स्वीकृत की हैं उन्हीं ने अपने-अपने हिसाब से रामवनगमन पथ भी चिन्हित किए हैं। उत्तरप्रदेश के हिस्से में योगी सरकार का काम इस दिशा में व्यवस्थित है। अयोध्या से लेकर चित्रकूट तक का पथ चिन्हित है और विकसित भी हो रहा है। कर्वी अब चित्रकूट जिला कहलाने लगा है। सबसे ज्यादा दुर्दशा मध्यप्रदेश के हिस्से की है, जहां पवित्र चित्रकूट का 3 चौथाई हिस्सा है। बीजेपी सरकार उमा भारती के मुख्यमंत्री काल से रामवनगमन पथ की बात तो कर रही है पर उसकी योजना सिर्फ कागजों में है। 2018 में जब कमलनाथ की सरकार आई तो उसने रामवनगमन पथ का नक्शा भी जारी किया और संस्कृति मंत्री पीसी शर्मा ने एक यात्रा का शुभारंभ भी किया। केन्द्र के भूतल परिवहन मंत्रालय ने रामासर्किट की घोषणा की जो अयोध्या से शुरू होकर रामेश्वरम तक जाएगा। इस परियोजना के तहत हाईवे पर काम भी शुरू हो गया है। लेकिन जो मूल चित्रकूट है जहां प्रभु श्रीराम ने साढ़े 11 वर्ष बिताए उसका हाल बेहाल ही है।



विन्ध्यप्रदेश के आंदोलन के साथ जुड़ा मुद्दा



सिद्धा पहाड़ और राम वनगमन पथ को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी तक अपनी बात पहुंचा चुके मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी ने अब 30 सितंबर को सिद्धा पहाड़ में धर्मसभा बुलाने का आवाहन किया है। 'हमारा विन्ध्य हमें लौटा दो' अभियान के तहत नारायण त्रिपाठी 27 से 29 सितंबर तक चित्रकूट की चौरासी कोस परिक्रमा पथ की यात्रा भी करने जा रहे हैं।



इधर विन्ध्य पुनरोदय मंच के संयोजक प्रणवीर सिंह हीरा ने 8 सितंबर को एक प्रतिनिधि मंडल के साथ कलेक्टर को ज्ञापन दिया था, जिसमें उन्होंने चित्रकूट के 84 कोस क्षेत्र को मानव और मशीन के हस्तक्षेप से मुक्त करने की मांग की है। विन्ध्य पुनरोदय मंच 3 सितंबर को सिद्धा पहाड़ में रामध्वजा फहराकर चित्रकूट बचाओ का ऐलान भी कर चुका है।

 


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