अविनाश नामदेव, Vidisha. धार्मिक आस्था आज भी विज्ञान पर भारी दिखाई दे रही है। विदिशा की ग्यारसपुर तहसील के सीहोद गांव में मेडिकल साइंस को चुनौती दी जा रही है। जमुनागिरी महाराज के नाम की माला पहनने से सर्पदंश पीड़ितों के ठीक होने का दावा किया जाता है। माला या धागे में पांच गांठ बांधी जाती हैं और उसे पहनने से जहर का असर नहीं होने का दावा किया जाता है।
सर्पदंश पीड़ितों के ठीक होने का दावा
विदिशा की ग्यारसपुर तहसील मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर सीहोद गांव है। यहां एक ऐसी जगह है जो 900 सालों से मौजूद है। ऐसी मान्यता है कि जिंदा समाधि में विराजित जमुनागिरी महाराज के नाम की गांठ लगा धागा या रस्सी पहनने से सर्पदंश का कोई असर नहीं होता और सर्पदंश पीड़ित ठीक हो जाते हैं। दावा है कि सर्पदंश का मरीज डॉक्टरी इलाज से पहले ही ठीक हो जाता है।
जमुनागिरी महाराज ने 900 साल पहले ली थी समाधि
सेवादार और जमुनागिरी महाराज के वंशज कमलेश गिरी बताते हैं कि 900 साल पहले उनके पूर्वज जमुनागिरी महाराज ने यहां समाधि ली थी। यहां सर्पदंश से पीड़ित व्यक्तियों का उपचार किया जाता है। इस उपचार में किसी भी प्रकार का तंत्र-मंत्र, जादू-टोना या दवाई का उपयोग नहीं होता। वे बताते हैं कि यदि कोई सर्पदंश का शिकार हो जाता है तो वह अपने ही घर पर जमुनागिरी महाराज के नाम की उतारी (किसी भी रस्सी या धागे में) विश्वास के साथ 5 गांठ बांधकर सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति के गले में पहना दे और इसके बाद व्यक्ति को जब भी वह चाहे 8 से 15 दिन बाद इस स्थान पर आता है तो उसे नहाने को बोला जाता है ओर गीले बदन के साथ समाधि के पास खड़ा कर दिया जाता है फिर उसके ऊपर जमुनागिरी महाराज के नाम के पानी के छींटे सेवादार द्वारा मारे जाते हैं। छींटें मारने के बाद सर्पदंश पीड़ित के गले में पहनया हुआ धागा निकाल दिया जाता है और वह व्यक्ति पूरी तरह ठीक हो चुका होता है।
दूर-दूर से समाधि पर आते हैं लोग
जमुनागिरी महाराज की समाधि पर किसी भी प्रकार की कोई भी दान, दक्षिणा या प्रसाद चढ़ाने की यहां कोई बंदिश नहीं है। सेवादार की मानें तो लगभग 500 किलोमीटर दूर से भी यहां पर मरीज आते हैं और ठीक होकर जाते हैं। उनका कहना है कि किसी भी समय दिन हो या रात मरीज के पहुंचने पर वहां मौजूद सेवादार उपरोक्त इलाज की प्रक्रिया को पूरी करते हैं। हालांकि यहां पहुंचने के बाद भी सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति की मौत हो चुकी है, इससे वे इनकार नहीं करते। सर्पदंश से पीड़ित भावना उज्जैनिया ने बताया कि उसके परिवार के लोगों ने जमुनागिरी महाराज के नाम की धागे में पांच गांठ बांधकर उसके गले में पहना दिया था उसी धागे को खुलवाने के लिए वो समाधि पर आई थी। अब वो अपने आप को स्वस्थ महसूस कर रही है।