Bhopal. मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा के साथ ही उज्जैन में भी आचार संहिता लागू हो गई है। जिसके चलते प्रशासन की सख्ती दिखने लगी है। आचार संहिता के चलते विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर की दर्शन व्यवस्था में बदलाव किया गया है। नियमों के तहत आचार संहिता लागू रहने तक राजनीतिक दल के नेता या उनके माध्यम से आने वाले श्रद्धालुओं को भस्म आरती के लिए वीआईपी अनुमति और प्रोटोकॉल से दर्शन की सुविधा नहीं मिल पाएगी। गुरुवार से ही यहां राजनीतिक दल के माध्यम से आने वाले अतिथियों को प्रोटोकॉल से दर्शन की सुविधा पर ब्रेक लग गया है।
आम जनता को मिलेगा भस्मआरती का सीधा लाभ
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां दर्शन करने और भोर में होने वाली भस्म आरती देखने दूर-दूर से लोग उज्जैन पहुंचते हैं। सामान्य श्रद्धालुओं के दर्शन और भस्म आरती के लिए अभी तक 300 सीट की अनुमति है। वहीं मंदिर समिति प्रोटोकॉल से राजनीतिक दल और उससे जुड़े जनप्रतिनिधियों के लिए 50 सीट का कोटा निर्धारित कर रखा है। आचार संहिता लागू होने और पॉलिटिकल प्रोटोकॉल स्थगित होने का सीधा लाभ सामान्य दर्शनार्थियों और भस्मारती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को मिलेगा।
प्रोटोकॉल दर्शन मतलब आचार संहिता का उल्लंघन
प्रोटोकॉल के लिए आने वाले अतिथियों का नाम लेना बंद कर दिया गया है। अगर यह सुविधा जारी रखी जाती तो आचार संहिता उल्लंघन की श्रेणी में आता। इसलिए गुरुवार से ही मंदिर समिति ने यह व्यवस्था बंद कर दी है। महाकाल मंदिर की भस्म आरती में अब यह सुविधा सामान्य श्रद्धालुओं को मिलेगी। राजनीतिक दल के माध्यम से महाकालेश्वर मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन सुविधा लेने वाले श्रद्धालुओं को आचार संहिता के खत्म होने तक यह सुविधा नहीं मिलेगी। अब तमाम ऐसे श्रद्धालु जो राजनीतिक दल के माध्यम से VIP द्वार से प्रवेश करते थे वे सभी सामान्य श्रद्धालुओं की तरह ही प्रवेश कर सकेंगे।
पीएम मोदी का दौरा निरस्त
आचार संहिता के चलते महाकाल पथ के लोकार्पण का कार्यक्रम भी निरस्त हो गया है। जून में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसका लोकार्पण होना था। बताया जाता है अब चुनाव परिणाम18 जुलाई के बाद ही कार्यक्रम की नई तारीख तय की जाएगी।