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शेख रेहान, खंडवा. हरसूद के एक किसान की 21 एकड़ जमीन इंदिरा सागर डूब क्षेत्र में आई थी। किसान को जमीन के बदले में 3 लाख रुपए का मुआवजा मिला। इसके खिलाफ नरेंद्र सांड ने हाईकोर्ट में 17 साल लड़ाई लड़ी। हाईकोर्ट ने तीन महीने के अंदर मुआवजा देने के लिए एनएचडीसी ऑफिस और कलेक्टर कार्यालय को निर्देशित किया था। आदेश पारित होने के बाद भी जब किसान को राशि नहीं मिली तो दोबारा जिला कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने मुआवजे की रकम के लिए एनएचडीसी ऑफिस और कलेक्टर कार्यालय की कुर्की के आदेश दिए। जिसके बाद कुर्की के लिए किसान अपने वकील के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। जबकि एनएचडीसी अधिकारी कार्यालय को बंद कर निकल गए।
मुआवजे के लिए 22 साल लड़ाई लड़ी: डूब प्रभावित नरेंद्र कुमार सांड ने बताया कि हमारी जमीन इंदिरा सागर बांध में ली गई थी। इसका मुआवजा हमें 2004 में दिया गया था। उस समय हमें 13 हजार रुपए एकड़ के हिसाब से मुआवजा मिला। जिससे हमने असंतुष्ट हो कर हाईकोर्ट की शरण ली। इस मामले में केस और रिफ्रेंस केस लगाए। हमने 22 साल इसकी लड़ाई लड़ी। साल 2021 में हाईकोर्ट से ऑडर हुआ। उसमें 21 एकड़ का लगभग 16 करोड़ रुपए का अवार्ड पारित हुआ। हमने इस अवार्ड के लिए एनएचडीसी से रकम अदायगी की बात कही लेकिन उन्होंने हमें रकम नहीं दी। जिसके बाद खंडवा न्यायालय में एक अर्जी दी जिस पर कोर्ट ने उनकी स्टे अर्जी खारिज करते हुए आज मुझे कुर्की का आदेश दिया था।
चार लोगों को मामले में पार्टी बनाया: कुर्की आदेश मिलने के बाद हम एनएचडीसी कार्यालय गए थे। वहां एनएचडीसी के कर्मचारियो ने हमें बैठाया लेकिन कुछ समय बाद वह सब ऑफिस बंद कर के बिना कुछ बताए निकल गए। सांड ने कहा कि वह चाहते हैं कि 22 साल बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था तो उन्हें हमें पूरी राशि देना चाहिए थी लेकिन हमें एनएचडीसी ने परेशान किया और ऑफिस में ताला लगा के चले गए। इस मामले में चार लोगों को पार्टी बनाया गया था। उनमें एक जरनल मैनेजर आर एल डार, दूसरा कार्यपालन यंत्री एनएचडीसी 13 नंबर, तीसरा भूअर्जन अधिकारी हरसूद और चौथी पार्टी के रूप में जिला कलेक्टर खंडवा थे।
कुर्की की कार्यवाही जारी: सांड के वकील मयंक मिश्रा ने बताया कि भूअर्जन की प्रथम अपील थी। दिसंबर में उच्च न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए। मुआवजे की रकम बढ़ाते हुए आदेश दिया कि प्रतिवादी जरनल मैनेजर एनएचडीसी और खंडवा कलेक्टर को आदेशित किया की मुआवजा रकम की अदायगी की जाए। तीन महीने बीत जाने के बाद भी मुआवजा रकम की अदायगी नहीं की गई। इस मामले में जिला न्यायालय के समक्ष एक अर्जी लगाई गई की इस राशि पर रोक लगाई जाए। इस अर्जी को जिला न्यायालय ने निरस्त कर दिया। साथ ही अदालत ने पार्टी को आदेशित किया की यह रकम अदा करें। उन्होंने रकम अदा नहीं की इसलिए जिला न्यायालय ने उनके विरुद्ध कुर्की का आदेश पारित किया। कार्यपालन यंत्री, एनएचडीसी 13 नंबर के कार्यालय में कुर्की की गई। उन को इस निर्देश के साथ सामान की सुपर्दगी दी गई की जब भी न्यायालय उनसे सामान मांगेगा उन्हें देना होगा। वहीं एनएचडीसी कार्यालय में न्यायालय के आदेश की टालमटोली की गई। एनएचडीसी के अफसर बिना कुछ बताए ऑफिस में ताला लगा के चले गए। हम लोग कलेक्टर ऑफिस आए है यहां जिला कलेक्टर के संज्ञान में इस आदेश को लाया गया हैं अभी कुर्की की कार्यवाही जारी हैं।