मंडियों में लगेंगे कलर सॉर्टिंग प्लांट: अनाज का रंग फीका तो रिजेक्ट होगा सैंपल

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मंडियों में लगेंगे कलर सॉर्टिंग प्लांट: अनाज का रंग फीका तो रिजेक्ट होगा सैंपल

भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के करीब 80 लाख किसानों (Farmers)के लिए अपनी उपज सरकारी मंडी (Government Market) में बेचने की राह में  एक और चुनौती बढ़ने वाली है। मंडी में बिकने आने वाले अनाज की क्वालिटी (Quality of Grain) और चमक परखने के लिए सरकार कलर सॉर्टिंग प्लांट (Color Sorting Plant) लगाने जा रही है। प्लांट में सॉर्टिंग के दौरान यदि अनाज के दाने निर्धारित मापदंड और रंग के अनुरूप नहीं हुए तो किसान का सैंपल अमान्य यानि रिजेक्ट हो जाएगा। जिन किसानों का सैंपल रिजेक्ट (Sample Reject) होगा उनकी उपज की खरीद नहीं होगी। मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड (Madhya Pradesh State Agricultural Marketing Board) ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत 12 मंडियों में कलर सॉर्टिंग प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।



यह है पूरा प्रोजेक्ट : मंडी बोर्ड प्रदेश की सागर, खुरई, दमोह, खंडवा, गंजबासौदा, इंटारसी, बदनावर, देवास, डबरा, जावरा, गुना, जबलपुर, कटनी, सिवनी, सतना एवं आष्टा मंडी में कलर सॉर्टिंग प्लांट लगाने जा रहा है। सागर, खुरई और दमोह मंडी में तो प्लांट लगाने के लिए टेंडर भी जारी किए जा चुके हैं।  यहां 3 से 4 महीने में प्लांट लग जाएंगे। एक प्लांट की लागत करीब 5 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इसमें 25 फीसदी राशि सरकार के अनुदान के रूप में होगी और 75 फीसदी राशि मंडी बोर्ड खर्च करेगा। 



मंडी में अभी अनाज की खरीद में कलर-चमक नहीं मापी जाती : मंडी में लगाए जा रहे कलर सॉर्टिंग प्लांट को किसानों के लिए नई आफत कहा जा रहा है क्योंकि इससे किसानों की उपज को एक नए पैरामीटर से होकर गुजरना होगा। किसान नेता केदार सिरोही ने बताया कि अभी तक एफसीआई (FCI) ने खरीदी के जो मानक निर्धारित किए हैं उनमें दाने के कलर-चमक जैसे पैरामीटर नहीं है। प्लांट शुरू होने के बाद नए पैरामीटर पर भी किसानों की उपज को मापा जाएगा।  



बीज के लिए निजी कंपनियां करती है ग्रेडिंग : अभी जो व्यवस्था है उसमें व्यापारी किसानों से उपज खरीदकर उसे कंपनियों को बेचता है। इसके बाद निजी कंपनी अपने प्लांट में इसकी ग्रेडिंग करती है। यह पूरी प्रक्रिया बीज के लिए की जाती है, जिसमें चार से पांच स्तर की ग्रेडिंग (Grading) होती है। अब यह व्यवस्था किसानों के लिए भी लागू होने वाली है। इसके लिए किसानों को मंडी में  50 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से मंडी को चार्ज भी देना होगा।  



किसानों को यह नुकसान होगा : किसान अभी अपनी उपज खेतों से कटवाकर छन्ना लगाकर सीधे मंडी लेकर आता है। व्यापारी उपज के ढेर से अपने हाथ से सैंपल लेकर उसकी क्वालिटी और दाम निर्धारित करता है और पूरी उपज खरीदता है। नई व्यवस्था में मशीन से उपज की ग्रेडिंग होगी। किसानों को आशंका है कि प्लांट लगने के बाद मंडी में ए और बी ग्रेड के बाद बची उपज को व्यापारी या तो खरीदेगा नहीं या फिर औने-पौने दाम पर लेगा, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होगा। 



किसानों को मंडियों के बजाय बाजार के हवाले करना चाहती है सरकार : भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) द्वारा गेहूं-धान की सरकारी खरीदी के नियम और सख्त करने के प्रस्ताव के बाद अब कृषि उपज मंडियों में कलर सॉर्टिंग प्लांट लगाने के निर्णय को जानकार नए कृषि कानूनों (New Agricultural Laws) की बैकडोर एंट्री मान रहे हैं। दरअसल विवादित कृषि कानूनों के विरोध के पीछे मुख्य कारण किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बाजार पर निर्भर करना भी था। किसानों के आंदोलन (Farmers' Movement) के दबाव में केंद्र सरकार (Central Government) ने 3 कृषि कानून तो वापस ले लिए, लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकार ऐसे नए-नए नियम और प्रयोग कर रही है जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए मंडियों के अलावा बाजार ही जाना होगा। कृषि विशेषज्ञ इरफान जाफरी (agriculture expert Irfan Jaffrey) का कहना है कि एफसीआई पहले ही सरकारी खरीदी कम करने का संकेत दे चुका है, इसलिए गेहूं और धान खरीदी के नियम सख्त किए जा रहे हैं। किसान अपनी उपज लेकर मंडी में बेचने आएगा तो यहां व्यापारी उसे अपनी उपज कलर सॉर्टिंग मशीन में डालने के लिए कहेंगे। इससे किसानों की उपज का एक बहुत बड़ा हिस्सा रिजेक्ट हो जाएगा और किसान इसे मजबूरन औने-पौने दामों पर बेचने को विवश होगा। 



मंडी में ग्रेडिंग के बाद बचे माल की खरीदी की भी व्यवस्था हो : किसान नेता केदार सिरोही (farmer leader Kedar Sirohi) का कहना है कि सरकार लगातार कार्पोरेट सेक्टर को फायदा पहुंचाने के लिए नीतियां बना रही है। सॉर्टिंग और ग्रेडिंग के बाद मंडी में किसान की जो उपज बचेगी सरकार को उसकी खरीदी की व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी चाहिए, नहीं तो किसानों को घाटा होगा। उनकी सलाह है कि सरकार को चाहिए कि किसानों को व्यापारी से जोड़ने की बजाए सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ने की नीति बनाए।  



ग्रेडिंग के बाद बाजार में मिलेंगे ऊंचे दामः एमडी मंडी बोर्ड : मंडी बोर्ड के एमडी विकास नरवाल का कहना है कि मंडियों में अनाज की ग्रेडिंग की व्यवस्था से प्रदेश के किसान सरकारी खरीद के निर्धारित मापदंड से आगे निकल जाएगा। इससे उसे बाजार में उसकी उपज के ज्यादा दाम मिलेंगे। 



राहुल शर्मा और खंडवा से शेख रेहान की रिपोर्ट 

 


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