Bhopal. मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव के ऐलान होने के बाद आयोग में शिकायतों की बाढ़ आ गई है। इन शिकायतों ने आयोग को दुविधा में डाल दिया है। अचानक इतनी ज्यादा संख्या में शिकायतों का आना आम बात नहीं है। पिछले 15 दिनों के अंदर 750 से ज्यादा शिकायतें रजिस्टर्ड हुईं हैं। इनमें से ज्यादातर शिकायतें सालों से एक ही स्थान पर जमे हुए कर्मचारियों और अधिकारियों से जुड़ी हुई हैं। पिछले दो दिनों के बाद से नगरीय निकायों से भी शिकायतें बढ़ी हैं। इनमें ज्यादातर लोग निकाय के इंजीनियरों और निकाय के कर्मचारियों की कर रहे हैं।
कलेक्टरों में मिले कार्रवाई के निर्देश
स्थानीय चुनाव में ज्यादातर शिकायतें जनप्रतिनिधियों और प्रत्याशियों की तरफ से की जा रही हैं। आयोग ने इन शिकायतों की जांच कर कलेक्टरों को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। बताया जाता है कि शिकायत होने के तुरंत बाद इन्हें संबंधित जिलों को भेज दी जाती है। जिलों से इन पर कार्रवाई करने के बाद उसके पालन के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग को भी अवगत कराया जाता है। 80 फीसदी शिकायतें पंचायतों से आ रही हैं, जो पंचायत सचिवों और ग्राम सहायकों से जुड़ी हैं। शिकायतों में इस बात का भी उल्लेख किया जाता है कि सचिव और ग्राम सहायक पूर्व संरपंच और उनके सगी संबंधियों का फेवर करते हैं। इनका ट्रांसफर ब्लाक से दूर किया जाए।
मतदाता सूची में गड़बड़ियों की भी शिकायतें
मतदाता सूची में तमाम गड़बड़ियों को लेकर भी नगरीय निकायों से शिकायतें आ रही हैं। इसमें भोपाल और इंदौर से ज्यादा शिकायतें हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि कई लोगों का नाम सूची से बाहर हो गया है, उन्हें फिर से जोड़ा जाए। इसके अलावा कई नाम मतदाता सूची में नहीं होने को लेकर आई हैं। आयोग इस मामले की आरओ स्तर पर जांच करा रहा है। हालांकि आयोग ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी है।