कांग्रेस विधायक सिकरवार की धमकी, सिंधिया की सभा में लगाएंगे जय-जय कमलनाथ के नारे

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Akash Mishra
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कांग्रेस विधायक सिकरवार की धमकी, सिंधिया की सभा में लगाएंगे जय-जय कमलनाथ के नारे

देव श्रीमाली, gwalior. ग्वालियर में सिंधिया समर्थक एक पूर्व विधायक और उप चुनाव में उन्हें हराकर विधायक बने डॉ सतीश सिकरवार के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल द्वारा विधायक सतीश सिकरवार के आयोजनों में अपने समर्थकों से नारेबाजी कराने के मामले में अब सिकरवार की धमकी ने दी कि वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्यक्रमों में जय जय कमलनाथ के नारे लगाएंगे। विधायक की इस घोषणा से प्रशासन की चिंता बढ़ गई है।



दो जगह किया विरोध



इस टकराव की शुरुआत पिछले सप्ताह महलगांव इलाके में हुई थी। यह क्षेत्र ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां के कांग्रेस विधायक डॉ सतीश सिकरवार जब नगर निगम मद से बन रही एक सडक का भूमिपूजन करने पहुंचे तो, वहां गोयल समर्थकों ने जबरदस्त हंगामा किया और गोयल के समर्थन में नारे लगाए। विवाद और टकराव टालने के लिए डॉ सिकरवार वहां से बगैर शिलान्यास के ही लौट गए। सिकरवार ने बाद में चिट्ठी भी जारी की। जिसमे उन्होंने आयुक्त नगर निगम से उन्होंने सड़क की मंजूरी के लिए आग्रह किया था। 

लेकिन मामला यहीं नही थमा, इसके बाद जब विधायक मुरार में भूमिपूजन करने गए तो गोयल समर्थकों ने फिर से नारेबाजी की। लेकिन इस बार वहां विधायक के समर्थक भी तैयार थे तो विधायक आयोजन पूरा करके ही लौटे। 



ये है मामला



दरअसल 2018 का विधानसभा चुनाव में मुन्नालाल गोयल कांग्रेस प्रत्याशी थे और डॉ सतीश सिकरवार भाजपा उम्मीदवार। इस चुनाव में गोयल से सिकरवार चुनाव हार गए थे। लेकिन जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से विद्रोह कर कमलनाथ की सरकार गिराने के लिए अपने समर्थक विधायकों से इस्तीफे देने को कहा तो, गोयल ने भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वे भी सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए। उप चुनाव में भाजपा ने गोयल को प्रत्याशी बनाया। लेकिन ग्वालियर की सियासत में बड़ा उलट-पलट हुआ। भाजपा से गोयल के हाथों हारने वाले सिकरवार ने कांग्रेस जॉइन कर ली, और उन्हें हरा भी दिया। कई बार हारने के बाद विधायक बने गोयल इस हार से परेशान हो गए। वे लगातार ऐसे प्रदर्शन करने लगे, जैसे वे ही एमएलए है। उन्होंने अफसरों के साथ बैठकें और दौरे भी ऐसे किए मानो वे मंत्री हो। 



बीज निगम का चेयरमैन बने



उपचुनाव में विधायक न बन पाने वाले गोयल समेत पांच समर्थकों के लिए सिंधिया ने सीएम शिवराज सिंह चौहान पर दबाव बनाया और सभी को निगम मंडल में अध्यक्ष बना दिया गया। इसमें गोयल को मप्र बीज एवं फार्म विकास निगम का चेयरमैन बना दिया। यहां बैठकर भी वे सरकार के लिए परेशानी का शबब बन रहे है। विगत दिनों उन्होंने निगम की आर्थिक स्थिति को लेकर एक पत्र सीएम को लिखा और फिर मीडिया में जारी कर दिया। उन्होंने अपनी एमडी को भी टारगेट किया। इससे सरकार असहज हो गई क्योंकि वे सारे तथ्य पिछले पंद्रह सालों के है जब राज्य में भाजपा और शिवराज की ही सरकार थी । खास बात ये कि गोयल के पत्र पर न तो भाजपा ने कोई प्रतिक्रिया दी और न ही सीएम शिवराज सिंह ने। 



सिकरवार कर चुके हैं सिंधिया की तारीफ



विधायक सिकरवार जब भाजपा में थे और सिंधिया कांग्रेस में तब भी वे सिंधिया से मिलते रहते थे। अब जब सिंधिया भाजपा में आ गए और सिकरवार कांग्रेस से एमएलए बन गए तो एक कार्यक्रम में दोनो ने मंच साझा किया तो सिकरवार ने सिंधिया के पहले की तरह पैर भी छुए और अपने भाषण में उनके द्वारा विकास को लेकर किये जाने कार्यों की प्रशंसा भी की । इससे हालांकि काँग्रेस नेता असहज हो गए थे। 



अब करेंगे नारेबाजी



लेकिन गोयल समर्थकों के विरोध से आजिज आकर याब सिकरवार ने भी अपनी रणनीति बना ली है । गोयल सिकरवार पर बाहुबली होने का आरोप लगाते रहे है और सिकरवार उन्हें इसीलिए उसी शैली में सडक पर जबाव देने की जगह नया तरीका ले आये । उन्होंने बगैर गोयल का नाम लिए कहा - वह पागल हो गया है । अब कांग्रेस के लोग सिंधिया के कार्यक्रमो में जाकर जय कमलनाथ और कमलनाथ जिन्दावाद के नारे लगाएगी। सिकरवार जानते है कि सिंधिया परिवार इससे असहज हो जाता है और वह पसंद नही करता। जब सिंधिया कांग्रेस में थे तब भाजपा ऐसे ऐलान कर चुकी है आखिरकार उनके समर्थकों को अपना आंदोलन वापिस लेना पड़ा था । यही वजह है कि सिंधिया समर्थक कांग्रेस के समय कभी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर के घर का घेराव या उनके सीधे विरोध वाला आंदोलन नही कर पाते थे। अब सिकरवार ने भी सीएम या भाजपा नेता की जगह यही घोषणा की है कि वे और उनके समर्थक सिंधिया के कार्यक्रमो में कमलनाथ के समर्थन में नारेवाजी करेंगे।



भाजपा चुप ,प्रशासन चिंतित



सिकरवार की इस घोषणा से भाजपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही आई है । भाजपा नेता चुप्पी साधे बैठे है लेकिन प्रशासन चिंतित है क्योंकि टकराव बढ़ने से उसकी दिक्कतें बढ़ेंगी और नगर निगम और पंचायत चुनावों के दौरान यह अतिरिक्त समस्या हो जाएगी।


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