BJP सरकार के लिए गले की फांस बनी पुरानी पेंशन स्कीम, कांग्रेस लाएगी संकल्प पत्र

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Aashish Vishwakarma
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BJP सरकार के लिए गले की फांस बनी पुरानी पेंशन स्कीम, कांग्रेस लाएगी संकल्प पत्र

भोपाल. मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम बहाली का मुद्दा बीजेपी सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। वहीं कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को लपक लिया है। वह चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाकर बीजेपी के खिलाफ इस्तेमाल करना चाह रही है। सरकारी कर्मचारियों पर डोरे डालने के लिए कांग्रेस पुरानी पेंशन स्कीम बहाली के मुद्दे पर विधानसभा में संकल्प पत्र पेश करेगी। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें पहले ही पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा कर चुकी हैं। कांग्रेस पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर बीजेपी की दुविधा को समझती है। यही कारण है कि कांग्रेस अब इस मुद्दे को किसी भी हालत में भुनाने से नहीं चुकना चाहती। इधर पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारी संगठन 13 मार्च को कलियासोत ग्राउंड नेहरू नगर भोपाल में प्रदर्शन करेंगे और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन सौंपेगे। प्रदर्शन को पुरानी पेंशन बहाली संघ के साथ-साथ पटवारी संघ, पंचायत सचिव संघ, प्रांतीय शिक्षक संघ, अध्यापक कांग्रेस, शासकीय अध्यापक संघ समेत अन्य संगठनों का समर्थन हासिल है। 



बीजेपी की यह है दुविधा: केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तब अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद करने की घोषणा की थी। यदि शिवराज सरकार कांग्रेस की मांग मान लेती है तो उसे अपनी ही पार्टी की सरकार के फैसले को बदलना होगा। वहीं, यदि मांग को नहीं माना जाता है तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकारी कर्मचारियों के हितैषी होने की छवि पर चोट होगी।  



कमलनाथ ने सीएम को लिखा पत्र: पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राजस्थान सरकार की तरह पुरानी पेंशन बहाली की मांग के लिए पत्र लिखा है। कमलनाथ ने लिखा है कि राजस्थान सरकार ने जिस तरह से पुरानी पेंशन को बहाल किया है वैसा ही मध्य प्रदेश सरकार को भी करना चाहिए। पुरानी पेंशन बहाली से कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर निश्चिंत हो सकेंगे। कमलनाथ ने कहा कि 1 जनवरी 2005 से लागू नई पेंशन योजना से कर्मचारी सहमत नहीं हैं। वे कई सालों से पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं और उसकी बहाली के लिए आंदोलनरत हैं।



3.35 लाख कर्मचारी के परिवार से जुड़ा मुद्दा: राजनीतिक दृष्टिकोण से यह मुद्दा इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मध्य प्रदेश कर्मचारी संघ के मुताबिक राज्य में 1 जनवरी 2005 के बाद करीब 3.35 लाख सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों की नियुक्ति हुई है। ये नई पेंशन स्कीम के दायरे में आते हैं। शिक्षक, संविदाकर्मी और स्थाईकर्मी लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग कर रहे हैं। कुल मिलाकर 3.35 लाख कर्मचारियों का परिवार सीधे तौर पर इससे जुड़ा है। 



शेयर मार्केट पर आधारित है वर्तमान पेंशन स्कीम: कर्मचारी संगठनों ने कहा कि नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी के कुल वेतन का 10 प्रतिशत कटौती की जाती है तथा शासन की ओर से 12 प्रतिशत राशि जमा की जाती है। इस राशि को शेयर मार्केट में लगाया जाता है जिसके चलते कर्मचारियों का भविष्य शेयर मार्केट के ऊपर निर्भर हो गया है। इस प्रकार रिटायरमेंट तक शेयर मार्केट में जमा कुल राशि का रिटायरमेंट होने पर 60 प्रतिशत कर्मचारी को नगद दिया जाता है तथा शेष 40 प्रतिशत जमा राशि के ब्याज से प्राप्त राशि को पेंशन के रूप में कर्मचारी को प्रदान किया जाता है जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।



बुढ़ापे में आजीविका चलाना मुश्किल: मंत्रालय कर्मचारी संघ के प्रवक्ता संजय राठौर ने कहा कि मध्यप्रदेश में 1 जनवरी 2005 से नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था बंद कर नई पेंशन योजना लागू की है। इसके तहत कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने पर प्रतिमाह 800 से 1 हजार तक पेंशन मिलती है। कर्मचारी संगठन सरकार से लगातार पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन में बुढ़ापे में कर्मचारियों की आजीविका चलाना मुश्किल हो गया है। 



जयवर्धन बोले- कमलनाथ सरकार आते ही पुरानी पेंशन स्कीम करेंगे लागू: पूर्व मंत्री और दिग्विजय सिंह के एमएलए बेटे जयवर्धन सिंह ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर हमने सीएम को पत्र लिखा है। राजस्थान में इसे लागू किया गया है। कमलनाथ सरकार आते ही इसे लागू किया जाएगा। वहीं बैतूल से कांग्रेस विधायक निलय डागा ने कहा कि हम कर्मचारियों के साथ है और जल्द पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू होना चाहिए।



मंत्रियों का रवैया: किसी ने सवाल टाला तो कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं: कैबिनेट मिनिस्टर गोपाल भार्गव ने कहा कि वित्त विभाग इस पर विचार करेगा और मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, जीएडी को जो भी मत बनेगा उस अनुसार निर्णय होगा। मैं इसके बारे में कुछ भी कहने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति नहीं हूं। वहीं मंत्री उषा ठाकुर ने यह कहकर सवाल को टाल दिया कि अभी विचार चल रहा है। वहीं मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की है उसे बुलाएंगे, फिर उस पर विचार करेंगे।


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