केके मिश्रा. सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा है कि एक फक्कड़, हरफनमौला, ईमानदार और सक्रिय भाजपाई मित्र श्री उमेश शर्मा आज हमें हमेशा हमेशा के लिए छोड़कर चले गए। निःसंदेह वे एक विपरीत विचारधारा के राजनीतिक कार्यकर्ता थे किंतु उनकी संघर्षशील जीवन शैली, राजनीति और मित्रों में फकीराना अंदाज, बौद्धिक क्षमताओं का बेहतरीन सदुपयोग एक अकाल्पनिक धरोहर है। अच्छे इंसान होने के साथ वे एक बहुत अच्छे दोस्त थे, जो 24 घंटे राजनैतिक क्षेत्र की फितरतबाजी से दूर, अपने मित्र धर्म का पालन करने में भी कोई संकोच नहीं करते थे।
राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रेरणा थे उमेश
बीती रात को ही उन्होंने उज्जैन बाबा महाकाल से जुड़े एक राजनीतिक प्रसंग पर मेरे बयानों को लेकर कुछ लिखा किंतु विरोध करते हुए भी जिन आदर्श शब्दों का उसमें उन्होंने उपयोग किया। वो इस मौजूदा दौर की राजनीति में अब दिखाई नहीं देता है। उमेश सरस्वती पुत्र होने के साथ ही बौद्धिक धरातल, भाषाई ज्ञान, उसका प्रयोग और बुद्धिमतापूर्ण भाषण शैली की एक मिसाल मिसाल थे। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य जिसमें संबंधों को तरजीह देना लगभग बंद ही कर दिया गया है। उस दौर में भाई उमेश इस पीढ़ी के मौजूदा राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रेरणा थे।
हर वर्ग और राजनीतिक दल के चहेते
उन्हें किसी एक राजनीतिक दल की धरोहर मानना एक दिवंगत आत्मा का अपमान होगा। वैचारिक ईमानदार प्रतिबद्धता के बावजूद भी इंदौर जैसे राजनीतिक माहौल और प्रदेश की राजधानी में भी हर वर्ग और राजनीतिक दल के चहेते रहे। आज से 20-22 वर्ष पहले उन्होंने उनके राजनैतिक कार्यक्षेत्र इंदौर के शंकरबाग में बस्ती को हटाए जाने को लेकर एक सशक्त आंदोलन किया। उस वक्त मेरी ही पार्टी की सरकार थी, आंदोलन बहुत सुव्यवस्थित और लंबा चल रहा था। उन्होंने सभी राजनीतिक दल को गरीबों की इस लड़ाई में जुड़ने का आह्वान किया था, क्योंकि उस समय मैं सत्तारूढ़ पार्टी का शहर उपाध्यक्ष था। राजनीतिक तौर पर मेरा वहां जाना उचित नहीं था किंतु उमेश जी द्वारा लड़ी जा रही गरीबों के प्रति ईमानदार लड़ाई मेरे कदमों को रोक नहीं सकी। इंदौर के व्यस्ततम छावनी चौराहे पर इस बाबत हुई आमसभा, जिसमें तीन से चार हजार गरीब रहवासी मौजूद थे। मैं निःसंकोच और बिना भय के गरीबों के उस संघर्ष और आम सभा में शामिल हुआ। उमेश जी मेरी उपस्थिति को लेकर इतने भावुक हो गए कि अपने भाषण के पूर्व ही मुझसे गले मिलकर फफक-फफक कर रो पड़े। उन्होंने यहां तक कह डाला कि जब अपनी ही सरकार के खिलाफ या उसके निर्णय के विरुद्ध किसी सत्तासीन दल का पदाधिकारी हिम्मत के साथ गरीबों के संघर्ष में शामिल हुआ है तो उसे गरीबों की दुआएं और ईश्वर का आशीर्वाद इतना मिलेगा कि उससे मेरी पार्टी के लोगों को टकराना भी आने वाले दिनों में महंगा पड़ सकता है। जब मेरे अपने लोग ही गरीबों की इस लड़ाई में संकोच कर रहे हैं, ऐसे में अपनी ही सरकार और प्रशासन के खिलाफ के के भाई ने आकर एक उच्च आदर्श प्रस्तुत किया है। करीब 5 मिनट तक वे अपने संबोधन में भी रोते रहे।
हम एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी
मेरे भोपाल आ जाने के बाद भी हम एक-दूसरे के सुख-दुख में न केवल शामिल होते रहे बल्कि एक वफादार पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते कई बार विभिन्न चैनलों या अन्य मंचों पर उमेश जी और मेरी राजनैतिक मुठभेड़ भी होती रही। हम दोनों ही ईमानदारी से अपनी-अपनी विचारधारा का पक्ष रखते रहे। कुछ कटु विचारों की अभिव्यक्ति के बाद भी कई बार उन्होंने मेरे पर्सनल व्हाट्सएप पर माफी मांगते हुए खेद व्यक्त किया और वे यहां तक कहते थे कि आप मेरे बड़े भाई हैं, बेशक हम दोनों ही अपने-अपने राजनैतिक दलों और विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हैं। हम दोनों की मजबूरियां भी हैं किंतु मेरे आचरण से यदि आपको कोई ठेस पहुंची हो तो मुझे क्षमा कीजिएगा। ऐसा लिखने और बोलने वाला एक ईमानदार कार्यकर्ता आज हमारे बीच से उठ गया है। मैं फिर कहना चाहूंगा कि मौजूदा राजनैतिक परिदृश्य में राजनैतिक और सामाजिक हितों के कारण अपने को बड़ा दिखाने का जो दौर चला है, वह ईमानदारी से राजनीति करने के इच्छुक कार्यकर्ताओं के आचरण को भी भ्रष्ट करने के लिए पूर्णतः जिम्मेदार है। जिस दौर में विचारधारा से परे मूल्यहीन राजनीति और चरित्रहनन निरंतर हो रहा है। तब वे उन राजनेताओं में शुमार थे जिन्होंने जनहित के मुद्दों और अपनी ही पार्टी के गलत निर्णयों का मुखर विरोध किया।
उमेश जी का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति
राजनीति के इस दौर में उमेश से भाजपा सहित अन्य दलों के नए और युवा साथियों को प्रेरणा लेनी चाहिए। शायद ईश्वर को भी अच्छे इंसान अपने दरबार में अच्छे लगते हैं यही कारण है कि उन्होंने उमेश को असमय अपने पास बुला लिया है। मैं उनके निधन को अपनी व्यक्तिगत क्षति मानता हूं। ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह फकीराना अंदाज में जी चुके इस प्रिय साथी को अपने श्री चरणों में न केवल स्थान दें बल्कि अन्य राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भी इसी आधार पर अपना जीवन जीने की प्रेरणा भी दें।