छतरपुर. यहां दबंगों ने दलित दूल्हे को घोड़ी चढ़ने से रोका। दूल्हा दयाचंद्र अहिरवार पुलिस महकमे में कांस्टेबल के पद पर पदस्थ हैं। कथित कुप्रथा के अनुसार गांव में किसी दलित दूल्हे की निकासी घोड़े पर बैठकर नहीं हुई। कांस्टेबल दयाचंद्र ने इस कुप्रथा को तोड़ने की कोशिश की। ये बात गांव के दबंगों को नागवार गुजरी और उन्होंने घोड़े पर बैठे दयाचंद्र और DJ से निकलती बारात को अपने मुहल्ले से निकलने नहीं दिया।
ये है पूरा मामला: मामला भगंवा थाना क्षेत्र के कुडल्लया गांव का है। दयाचंद्र टीकमगढ़ में पदस्थ है। 10 फरवरी को दयाचंद्र की शादी थी। गांव में निकासी के लिए दयाचंद्र की बारात जा रही थी। तब गांव के एक खास वर्ग के लोगों ने दयाचंद्र को रोका। इसके बाद कांस्टेबल दूल्हे ने इसकी जानकारी प्रशासन को दी। बाद में पुलिस के बड़े अधिकारियों ने सुरक्षा में कांस्टेबल की निकासी गाजे बाजे के साथ कराई।
दूल्हे की निकासी कराई: ASP विक्रमसिंह ने बताया कि गांव में शादी का कार्यक्रम था। समाज में कई तरह की कुरीतियों रहती है। इसको लेकर विवाद बना था। मौके पर मामले का निपटारा का दिया गया है। इसके बाद छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर सहित बड़ामलहरा और बिजावर अनुभाग के कई थानों से पुलिस बल ने कुंडल्लया जाकर कड़ी सुरक्षा के बीच दूल्हे को घोड़ी पर बैठाकर गांव में दूल्हा निकासी कराई और बाद में विवाह की रस्म पूरी कराई गई। कलेक्टर ने दूल्हे को गुलदस्ता भेंट करके शादी की शुभकामनाएं दी।