ललित उपमन्यु, Indore. 14 अप्रैल को महावीर जयंती है और प्रतिष्ठित दिगंबर जैन समाज में बीते सालों में विवाद के बाद बने दो-दो अध्यक्ष का मसला इस साल भी सुलझता नहीं दिख रहा है। समाज के प्रबुद्धजनों ने 'एक समाज-एक संसद' की मंशा से सुलह के जो प्रयास किए थे उसे शुरू में ही तगड़ा झटका लग गया है।
3 साल पहले शुरू हुआ था विवाद
विवाद की शुरुआत 3 साल पहले हुई थी। तब समाज के दो गुटों ने अलग-अलग चुनाव कराकर अपने-अपने अध्यक्ष चुन लिए थे। एक गुट से नरेंद्र वेद और दूसरे से राजकुमार पाटौदी अध्यक्ष बन गए थे। उसके बाद उलझनें इतनी बढ़ीं कि विवाद सुलझ ही नहीं रहा। समाज के आयोजनों को लेकर भी दोनों गुट आमने-सामने होने लगे। 3 साल पहले तो दोनों गुटों का विवाद थाने तक पहुंच गया था।
एक संसद-एक अध्यक्ष का फार्मूला
इस बार समाज के 10 प्रबुद्धजनों ने दोनों अध्यक्षों को बुलाकर एक समाज-एक संसद का फार्मूला देना चाहा था। इन लोगों का सोचना था कि अलग-अलग अध्यक्ष होने से समाज के आयोजनों, कार्यों से लेकर महत्वपूर्ण मुद्दों पर असमंजस की स्थिति हो रही है। हालांकि प्रबुद्धजनों का फार्मूला फिलहाल तो चलता दिख नहीं रहा है। सूत्रों के मुताबिक दोनों गुटों के अध्यक्ष में से एक ने इस फार्मूले में कोई रुचि न दिखाते हुए खुद को फिर अध्यक्ष घोषित कर दिया है।
मंत्री और सदस्य चुनते हैं जिनालय के अध्यक्ष
समाज के अध्यक्ष का चुनाव जिनालयों के अध्यक्ष, मंत्री और उन जिनालयों से जुड़े सदस्य करते हैं। जिनालयों से जुड़े हर 40 परिवार पर एक सदस्य होता। जितने ज्यादा परिवार होते हैं उस जिनालय के सदस्य उतने ज्यादा होते हैं। अपनी पहल असफल होती देख प्रबुद्धजनों ने जिनालयों से संपर्क कर इस मुहिम को आगे बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। अध्यक्षों को पत्र भेजकर पूछा जा रहा है कि वे एक समाज-एक संसद की पहल को स्वीकार करते हैं या नहीं। फिलहाल रायशुमारी जारी है और विवाद भी जारी है।
इंदौर में 8 हजार परिवार
दिंगबर जैन समाज के इंदौर में 8 हजार परिवार हैं और इनके 100 मंदिर हैं। ये समाज काफी समृद्ध माना जाता है और किसी जमाने में बाबूलाल पटौदी जैसे समाजसेवी रहे हैं, जिन्होंने कई मोर्चे पर इंदौर का नेतृत्व किया था।
14 अप्रैल को महावीर जयंती
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की 2548वीं जयंती 14 अप्रैल को मनाई जाएगी। समाज की सामाजिक संसद के प्रवक्ता मनीष अजमेरा के मुताबिक इसे लेकर बड़ी बैठक आयोजित की गई। तय हुआ कि इस दिन घरों पर ध्वज, दीप प्रज्ज्वलन के साथ ही जैन एकता और संगठन शक्ति को मजबूत बनाने का संकल्प लिया गया। इस मौके पर अध्यक्ष नरेंद्र वेद ने कहा कि एक गुट का अध्यक्ष पूरे समाज का अध्यक्ष नहीं हो सकता।
कभी एक हो गए थे दिंगबर-श्वेतांबर
इंदौर में एक दौर ऐसा भी आया था जब दिगंबर और श्वेतांबर समाज तक एक हो गए थे और महावीर जयंती का जुलूस साथ निकाल दिया था। लेकिन बाद में इस एकता में तमाम पेचिदिगियां आने लगीं तो फिर दोनों समाज के आयोजन अलग-अलग होने लगे। अब दोनों समाज तो ठीक, एक समाज में ही अलग-अलग गुट हो गए हैं।