Indore. इंदौर नगर निगम के बर्खास्तशुदा बेलदार असलम खान की बेनामी संपत्ति को लेकर आए दिन खुलासे हो रहे हैं। भ्रष्टाचार की काली कमाई से खरीदी गई संपत्ति की अब परत दर परत खुलती जा रही है। वह लगातार जांच एजेंसियों के निशाने पर है। साथ ही उसे आश्रय देने वालों का चेहरा भी सामने आ रहा है। इस मामले में एक बार फिर लोकायुक्त, ईडी, नगर निगम जैसी संस्थाओं के जिम्मेदारों की मेहरबानी सामने आई है। साल 2018 में लोकायुक्त छापे के बाद लोकायुक्त और ईडी ने सभी बैंक खाते सील कर संपत्ति अटैच कर ली थी। इसके बावजूद साल 2020 में असलम ने ना सिर्फ करोड़ों की जमीनें खरीदी, बल्कि खाते से भुगतान भी किया।
20 साल पुरानी टीसीपी के आधार पर निलंबन के दौरान 2021 में नक्शा भी पास करवा लिया। दरअसल, असलम ने अगस्त-2018 में लोकायुक्त छापे के करीब एक साल बाद दिसंबर-2019 में माणिकबाग रोड स्थित अशोका कॉलोनी में 76 लाख में 4500 वर्गफीट का प्लॉट खरीदा। खुद और अपने भाई के नाम हुई इसकी रजिस्ट्री के एवज में एसबीआई के खातों से 75 लाख रुपए चुकाना बताया गया।
रजिस्ट्री के स्टांप शुल्क आदि के एवज में किया गया लगभग 7 लाख का भुगतान अलग है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब लोकायुक्त और ईडी की कार्यवाही में खाते सील कर संपत्तियां कुर्क हो गई थी तो राशि का भुगतान खाते से कैसे हुआ। इस प्लॉट की बाजार कीमत 3 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है। असलम ने अशोका कॉलोनी में जो तीन प्लॉट खरीदे, उनमें से प्लॉट नं. 125, 126 विकास अपार्टमेंट गृह निर्माण संस्था के हैं। आश्चर्यजनक रूप से इनके बीच का एक प्लॉट (नंबर 124) आयशा गृह निर्माण संस्था से खरीदा बताया गया।
जमकर किया अवैध निर्माण
हालांकि आयशा गृह निर्माण के पते 1 गुलजार कॉलोनी पर ऐसी किसी संस्था का अस्तित्व नहीं मिला। इसके चैन डाक्यूमेंट्स देखें तो 2009 में हुई इसकी पुरानी रजिस्ट्री में भी असलम ही साक्षी है। यही नहीं, प्लॉट से सटी 30 फीट रोड भी 10 फीट दबाकर बाउंड्री बना दी गई, जिससे रोड 20 फीट रह गई।
कोठी के 100 मीटर के दायरे में असलम व परिजनों के बने अन्य चार-पांच अवैध बहुमंजिला भवनों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। संपत्ति कर चोरी और अवैध निर्माण का आलम यह है कि 1000 फीट के प्लॉट पर तीन से चार मंजिला इमारतें तान दी गई हैं।
बर्खास्तगी, फिर बहाली... और फिर बर्खास्तगी
असलम के रसूख का एक मामला जनवरी में आया था, जब निगमायुक्त के बर्खास्तगी आदेश को संभागायुक्त ने पलट दिया था। बवाल होने पर संभागायुक्त को आदेश बदलना पड़ा। जून में उसे फिर बर्खास्त कर दिया गया।