Jabalpur. बारिश का मौसम आते ही जबलपुर के परियट नदी से सटे गांवों में मगरमच्छ डेरा डाल रहे हैं। हर सप्ताह किसी न किसी गांव में मगरमच्छों के आतंक की खबरें आम हैं। स्थानीय वन्यप्राणी विशेषज्ञ ग्रामीणों की मदद से मगरमच्छों का रेस्क्यू कर उन्हें नदी में छोड़-छोड़कर परेशान हो चुके हैं। लेकिन वन विभाग है कि न तो मगरमच्छों से परेशान ग्रामीणों की कोई मदद करता है और न ही उनकी कोई सुनवाई हो रही है। मगरमच्छ के होने की खबर दिए जाने पर भी कई-कई दिन तक वनविभाग मौके पर जाकर कोई सुध नहीं ले रहा।
स्कूल के पास तक पहुंच गया मगरमच्छ
ताजा मामला खमरिया के घाना क्षेत्र का है, जहां करीब डेढ़ फीट का मगरमच्छ खेतों के रास्ते स्कूल के करीब पहुंच गया। जिससे आसपास के क्षेत्रीय लोग और स्कूल प्रशासन भी दहशत में आ गया है। ये मगरमच्छ भूखे होने पर आसानी से किसी नौनिहाल को अपना निवाला भी बना सकते हैं या बच्चों पर हमला कर उनके अंग-भंग कर सकते हैं। बावजूद इसके वन विभाग की ओर से इलाके की कोई खबर नहीं ली गई। वन्यप्राणी विशेषज्ञ शंकरेंदु नाथ ने ग्रामीणों की सहायता से उस मगरमच्छ को पकड़कर परियट नदी में छोड़ दिया।
रात के अंधेरे में सड़कों पर घूमते हैं मगरमच्छ
परियट नदी से सटे इलाकों में मगरमच्छों की घुसपैठ कोई नई नहीं है। हर साल बारिश के मौसम में यहां मगरमच्छ आमद दर्ज कराते रहे हैं। हालात यह हैं कि रात के अंधेरे में सड़कों पर डेढ़ से ढाई-ढाई फिट के मगरमच्छ तफरी करते देखा जाना आम बात है। बावजूद इसके ग्रामीण इन दैत्यनुमा मांसखोरों से दहशत में आ जाते हैं जो कि एकदम स्वाभाविक बात है। हर साल यही आलम रहने के चलते वनविभाग भी इस इलाके में मगरमच्छ की खबर पर कोई ध्यान नहीं देता।
रेल ट्रैक पर तड़पते सांपों का किया रेस्क्यू
नागपंचमी के दौरान सपेरों की हुई धरपकड़ के चलते कई सपेरों ने अपनी कमाई होने के बाद अपने-अपने सांपों को वन विभाग की टीम के डर के चलते इधर-उधर फेंक दिया था। जिसके चलते बुधवार को वन विभाग की टीम ने शहर से लगे रेलवे ट्रैकों के आसपास तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान 20 से ज्यादा सांपों को तड़पती हालत में बरामद किया गया। सभी सांपों के मुंह धागों से सिले हुए थे। बाद में वन विभाग की टीम ने सांपों के मुंह खोलकर उन्हें प्राथमिक उपचार दिया और उन्हें सुरक्षित जंगलों में छोड़ दिया गया।