GWALIOR. मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री राम निवास रावत ने श्योपुर जिले की आदिवासी बहुल जनपद पंचायत पर अपनी समर्थक महिला को अध्यक्ष बनवाने में सफलता पाई । उनका दावा है कि वे जिला पंचायत और बाकी जनपद भी जीतने की स्थिति में है । हार से पहले ही बौखलाई बीजेपी के नेता अब ओछी हरकतों पर उतर आए हैं। उन्होंने कराहल में हारते ही उन पर दवाब बनाने के लिए बगैर नोटिस के ही उनके भाई के क्रेशर पर धाबा बोलकर प्रशासन से उसे सील करवा दिया।
आदिवासी महिला बनी अध्यक्ष
श्योपुर पूर्व मंत्री रावत का जिला है । इसकी विजयपुर सीट से वे अनेक बार विधायक रहे और दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री भी । हालांकि 2018 का चुनाव वे मामूली अंतर से हार गए। रावत को सिंधिया परिवार का खास माना जाता था । माधव राव सिंधिया का नाम जब हवाला मामले में आया और उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी तब रावत दिग्विजय सिंह की कैबिनेट के हिस्सा थे , सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़ने की घोषणा करने वाले वे पहले मंत्री थे । लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जाने की घोषणा की तो रावत ने बीजेपी में जाने से इनकार कर दिया। तब से वे बीजेपी और सिंधिया के निशाने पर हैं। रावत के कारण श्योपुर जिले में कांग्रेस का दबदबा कायम है। माना जा रहा है कि वे जिला पंचायत, विजयपुर जनपद और नगर पालिका और कराहल जनपद पंचायत में कांग्रेस को जीत दिलाने की स्थिति में है । आज आदिवासी बहुल कराहल जनपद अध्यक्ष पद पर वे अपनी समर्थक बतों बाई आदिवासी को इकतरफा जीत दिलाने में कामयाब रहे।
प्रशासन ने सील किया क्रेशर
रावत का कहना है कि हार और आगे की हार से बौखलाए बीजेपी नेताओं के इशारे पर प्रशासन ने उनकी खीज मिटाने के लिए उनके भाई के क्रेशर पर भारी पुलिस फोर्स और प्रशासनिक अमले के साथ छापा मारा । न कोई नोटिस दिया और न कोई कारण बताया और जाकर उसे सील कर दिया। इसके जरिये वह हमें डराने की कोशिश कर रही है क्योंकि उन्हें पता है जनमत मेरे साथ है। हमने एक जनपद बना ली है । जिला पंचायत और विजयपुर जनपद भी हम बनाएंगे और नगर पालिका पर भी कांग्रेस को पार्षदों का समर्थन मिल रहा है। लेकिन बीजेपी जनता में बढ़ती अपनी अलोकप्रियता की खीझ मिटाने के लिए राजनीतिक विद्वेष से काम करने में जुट गई है । आज मेरे भाई का क्रेशर बगैर नोटिस के सील किया गया। इससे पहले मेरे बेटे के पेट्रोल पंप की सभी एनओसी रद्द कर उसे खुलने से पहले ही बन्द करा दिया गया। यह लोकतंत्र में आवाज को कुचलने के बीजेपी और सामंती सोच वालों का तरीका है। यही तरीका हमारी नेता श्रीमती सोनिया गांधी के खिलाफ अपनाया जा रहा है और वही मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ।