महाशिवरात्रि पर नृत्य-संगीत के आयोजन पर डेढ़ करोड़ खर्च करेगा संस्कृति विभाग

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महाशिवरात्रि पर नृत्य-संगीत के आयोजन पर डेढ़ करोड़ खर्च करेगा संस्कृति विभाग

रूचि वर्मा/ राहुल शर्मा, भोपाल. इस बार महाशिवरात्रि (mahashivratri) पर सरकार प्रदेश के पुराने शिवालयों में बड़े पैमाने पर नृत्य और संगीत के आयोजन कराने जा रही है। ये आयोजन सरकारी खर्च पर संस्कृति विभाग (Department of Culture) कराएगा। सरकार के इस फैसले से ये सवाल खड़ा हो रहा है क्या संस्कृति विभाग दूसरे धर्मों से जुड़े त्योहारों पर भी इस तरह के आयोजन (Events) कराएगा। सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है कि संविधान के मुताबिक सरकार को सर्वधर्म समभाव के अनुरूप सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए न कि किसी धर्म विशेष का। हालांकि सरकार शिवरात्रि के अवसर पर इस तरह के नृत्य-संगीत के आयोजन छोटे पैमाने पर पहले भी कराती रही है। इस संबंध में संस्कृति विभाग के अफसरों का कहना है कि शिवरात्रि पर सांस्कृतिक आयोजन से उन कलाकारों (artists) को मदद मिलेगी जो कोविड संकट (corona crisis) की वजह से दो साल से खाली बैठे थे।



9 स्थानों पर होगा 'महादेव' का आयोजन: दरअसल, काशी विश्वनाथ में हुए एक भव्य आयोजन के बाद से ही मध्यप्रदेश सरकार ने तय किया था कि इस बार महाशिवरात्रि पर एक बड़ा आयोजन किया जाए। संस्कृति प्रबंधन विभाग अपनी 8 अकादमियों के साथ मिलकर यह आयोजन प्रदेश भर में 9 जगहों पर करेगा। यह आयोजन वहीं होंगे, जहां प्राचीन शिव मंदिर हैं। इन मंदिरों में आयोजन होंगे-




  • उज्जैन का त्रिवेणी संग्रहालय 


  • मंदसौर का पशुपतिनाथ मंदिर 

  • महू का प्रतिष्ठित शिव मंदिर

  • भोजपुर शिव मंदिर

  • नटेरन में ग्राम आमखेड़ा कालू में स्थित विशाल वट वृक्ष 

  • महेश्वर शिव मंदिर  

  • टीकमगढ़ का कुण्डेश्वर धाम मंदिर

  • ओंकारेश्वर शिव मंदिर 

  • पन्ना के सलेहा का महादेव मंदिर   



  • मुंबई, दिल्ली और भोपाल के कई नामचीन कलाकार प्रस्तुतियां देंगे: इस कार्यक्रम में मुंबई, दिल्ली और भोपाल के कई नामचीन कलाकार द्वारा नृत्य नाटिका, लोकगायन एवं भक्ति संगीत गायन किया जाएगा। जिन नामों पर विचार हो रहा है, उसमें मुंबई की संध्या पुरेचा, दिल्ली की कलाकार संगीता शर्मा, दिल्ली के ही राकेश साईबाबू, और भोपाल के कलाकार शामिल हैं।



    आयोजन में लगेंगे डेढ़ करोड़: इस पूरे मामले में ध्यान देने योग्य बात ये है कि यह आयोजन सरकारी पैसे से होंगे। सूत्र बताते हैं कि संस्कृति विभाग ने इस आयोजन के लिए सरकार से बजट की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक आयोजन में करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 9 स्थानों पर कार्यक्रम होगा। इस हिसाब से एक स्थान पर कार्यक्रम के लिए 14 लाख रुपए की राशि खर्च की जाएगी। 



    गृहमंत्री के हिसाब से ये आयोजन एक अच्छी पहल: जब गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से इस तरह के धार्मिक आयोजन के बारे में पूंछा गया तो उन्होंने इसे अच्छी पहल करार दिया। उन्होंने कहा कि अच्छी बात है ये तो। करना भी चाहिए। भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना हैं कि हमारे प्रदेश में सुख, शांति और समृद्धि रहे।  



    कांग्रेस ने कहा सरकार सभी धर्मों के आयोजन एक स्तर पर करे: कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने सरकार के इस आयोजन पर टिप्पणी देते हुए कहा कि शिवरात्रि के पर्व पर इस तरह के आयोजन करने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन अगर सरकार द्वारा इस तरह के आयोजन शासकीय खर्च पर हो रहे हैं तो फिर सरकार को सभी धर्मों के आयोजन करने चाहिए। नानक जयंती एवं जैन समाज के कार्यक्रम भी इसी स्तर पर मनाने चाहिए। क्योंकि भारतीय संविधान के हिसाब से ये सरकार की जिम्मेदारी होती है की वह सभी धर्मों के बीच में समता बनाए रखे। 



    अधिकारियों ने दी आयोजन के माध्यम से कलाकारों को मदद की दलील: जब एक विभागीय अधिकारी से यह पूछा गया कि क्या इस तरह से सरकारी खजाने का उपयोग करके इस तरह का धार्मिक आयोजन करना ठीक है? क्योंकि सरकार किसी एक धर्म विशेष की नहीं होती है, बल्कि वो सभी धर्मों की होती है। इस पर अधिकारियों की दलील है कि इस आयोजन से उन कलाकारों को मदद मिलेगी, जो कोरोना की वजह से पिछले दो सालों से खाली बैठे हैं। हालांकि, इसके आगे उन्होंने संस्कृति विभाग के डायरेक्टर अदिति कुमार त्रिपाठी से बात करने के लिए कहा। अदिति कुमार त्रिपाठी ने मीटिंग में होने की बात कहकर किसी तरह की बात करने से मना कर दिया। 



    यानि कलाकारों को काम देने के लिए जनता के पैसे का इस्तेमाल किया जाएगा। सरकारी खजाने से धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन पर किसी को आपत्ति नहीं है लेकिन जहां टैक्सपेयर के पैसे का इस्तेमाल होता है तो फिर ये सभी जाति-धर्म के लोगों के लिए होता है। इसलिए सवाल उठता है कि क्या सरकार संविधान के मुताबिक समदृष्टि रखते हुए बाकी धर्मों के धार्मिक आयोजन करेगी?


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