DHAARशासकीय स्कूल के कमाल मास्साब,जेब से खर्चे स्कूल पर 7 लाख,खुद उठा रखी हे छत्राओ को घर से लाने घर तक ले जाने की जिम्मेदारी

author-image
Sanjay Sinha
एडिट
New Update
DHAARशासकीय स्कूल के कमाल मास्साब,जेब से खर्चे स्कूल  पर 7 लाख,खुद उठा रखी हे छत्राओ को घर से लाने घर तक ले जाने की जिम्मेदारी

NITIN JAIN ,धार 



अगर मन में ख्वाहिश हो और अपने काम से प्यार तो कोई भी मुश्किल सामने टिक नहीं सकती लेकिन इसी बात में अगर थोड़ी दरियादिली मिला दी जाए तो फिर मामला अनूठा हो जाता है ऐसा ही एक अनूठा कारनामा कर दिखाया है धार जिले में  मनावर के गांव गुलाटी में सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले एक शासकीय प्रिंसिपल  ने जो जेब से एक बड़ी रकम स्कूल को सुविधा सम्पन्न बनाने में खर्च क्र लोगो की तारीफ बटोरे रहे हे।  



दरअसल धार जिले के मनवार में गांव गुलाटी के शासकीय स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक या यु कहे की प्रिंसिपल का  नाम है मास्टर शंकर लाल काग।   काग ने स्कूल में पढ़ाते पढ़ाते वहां की छात्राओं की परेशानी स्कूल की खराब हालत को देख निर्णय लिया कि क्यों ना स्कूल को निजी स्कूल की तरह सुविधा संपन्न बनाया जाए लेकिन सिर्फ विचार होने से ही काम नहीं चलता है , क्योकि जरूरत थी पैसों की  तो शंकरलाल परेशान हो गए।  समस्या थी पैसो का बंदोबस्त कैसे किया जाए लेकिन शंकरलाल इस परेशानी और दुविधा में ज्यादा समय नहीं रहे और उन्होंने अपनी ही जेब से यानी अपनी ही तनख्वाह से स्कूल में सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्णय लिया। 



SMART SCHHOL



हैरान हो जाएंगे सुविधाएं देखकर



शंकर लाल काग ने गांव के कन्या प्राथमिक शाला के बतौर प्रिंसिपल  काम करते हुए अपनी सैलरी से धीरे-धीरे 9 साल में 7 लाख रुपए खर्च कर दिए।  स्कूल को सुविधाजनक बनाने और पढ़ाई को मनोरंजक बनाने  के लिए शंकरलाल ने एलईडी टीवी, प्रोजेक्टर, म्यूजिक सिस्टम ,आर ओ वाटर, सहित कई अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई। 



ट्रैक्टर से बच्चियों को लाने और छोड़ने का काम करते हैं शंकर लाल काग



स्कूल के प्रिंसिपल शंकरलाल काग ने स्कूल की बच्चियों को स्कूल तक लाने और घर तक छोड़ने के लिए खुद जिम्मेदारी उठा रखी है।  इस जिम्मेदारी उठाने के पीछे भी एक रोचक कहानी है दरअसल कुछ साल पहले एक बच्ची के लापता होने की अफवाह उड़ी और लोगों ने अपनी बच्चियों को स्कूल भेजना बंद कर दिया जिसके बाद शंकरलाल काग ने खुद के खर्च से ट्रैक्टर खरीदा और बच्चियों को उस ट्रैक्टर की मदद से स्कूल तक लाने और घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी उठाना शुरू की। 



शासकीय स्कूल बना स्मार्ट स्कूल



मध्य प्रदेश सरकार के इस कन्या प्राइमरी स्कूल को देखकर ऐसा लगता है कि यह किसी शासकीय नहीं बल्कि निजी स्कूल का भवन है.  यहां पांचवी तक की कक्षा में पढ़ने वाली बच्चियां अध्ययन करती हैं।  स्कूल में सुविधा और सुव्यवस्था की बात करें तो दीवारों और जमीन पर विट्रीफाइड टाइल्स ,वुडन कारपेट ,बच्चों के लिए हैंड वॉश सहित बेसिन ,शौचालय शुद्ध भोजन के लिए पक्का किचन, कमरे ,बच्चों के पालकों के लिए सोफा और पढ़ाई के लिए   एलईडी भी लगाया गया है। 


शासकीय स्कूल spent PRINSIPAL छत्राओ घर से लाने घर तक ले जाने की जम्मेदारी खर्च कर दिए स्कूल पर 7 लाख. कमाल मास्साब of carrying took up the responsibility himself on the school out of pocket 7 lakhs DHAAR Government School