अविनाश तिवारी, REWA. रीवा में यूरिया की कमी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है जल्द ही इसकी कमी दूर नहीं की गई तो किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यूरिया की कमी की देखते हुए निजी डीलरों ने इसके दाम बढ़ा दिए हैं। कृषि और राजस्व विभाग को ऐसे डीलरों पर कार्रवाई करने का अधिकार है लेकिन वो भी चुप बैठे हैं जिससे ये डीलर यूरिया की कमी का फायदा उठाते हुए उसके दाम बढ़ा दिया है।
ज्यादा गहरा सकता है यूरिया का संकट
जिले में यूरिया की कमी है, इसी वजह से निजी डीलरों ने यूरिया के मनमाफिक दाम बढ़ा दिए हैं। समितियों के साथ डबल लॉक में भी खाद का संकट गहराया है। अगर 4 से 5 दिन के भीतर रेक नहीं आती है तो यूरिया का संकट और भी बढ़ेगा। जानकारों की मानें तो निजी डीलरों के पास 4 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा यूरिया है जिसे वे मनमाफिक दाम पर बेच रहे हैं। यूरिया खाद 267 रुपए बोरी निर्धारित है जिसे व्यापारी 350 रुपए से लेकर 400 रुपए तक बेच रहे हैं।
हर साल होती है यूरिया की कमी
इस समय अच्छी बारिश होने के कारण रोपा धान के लिए यूरिया खाद की जरूरत है। शासन स्तर से खाद का भण्डारण पर्याप्त किया जाता है लेकिन कालाबाजारी के चलते यूरिया खाद का कृत्रिम संकट हर वर्ष उत्पन्न होता है यही स्थिति इस वर्ष भी है। जिले में 143 कृषि साख समितियों के माध्यम से किसानों को यूरिया डीएपी एनपी के खाद का वितरण होता है। इसके अलावा मार्कफेड के सात डबल लॉक भी हैं। जवा, चाकघाट, हनुमना के डबल लॉक पूरी तरह से खाली हैं। सात जो डबल लॉक है यहां से समितियों की डिमांड पर खाद दी जा रही है। मऊगंज के डबल लॉक में 80 मीट्रिक टन, चोरहटा में 1 हजार 279 मीट्रिक टन, उमरी में 443 गॉटिक टन यूरिया अभी उपलब्ध है।
6 समितियों में 2 दिन में खत्म हो जाएगा यूरिया
जानकारी के मुताबिक सात कृषि शाख समितियां पहले से खाद विहीन हैं। 6 समितियों में दो दिन के भीतर यूरिया खत्म हो जाएगी 136 समितियों में थोड़ा बहुत यूरिया बची हुआ है। यूरिया की इस कमी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है जल्द ही उन्हें यूरिया खाद नहीं मिला तो उन्ंहे नुकसान उठाना पड़ सकता है। कृषि विभाग कारवाई के नाम पर औपचारिकता निभाता है, जब छापामार कार्रवाई होती है तो नोटिस देकर व्यापारियों को बुलाया जाता है लाइसेंस रद्द करने का अल्टीमेटम दिया जाता है लेकिन बाद में कुछ नहीं होता। अगर कृषि और राजस्व विभाग नियमित रूप से निजी डीलरों के दुकानों को चेक करें तो यूरिया को लेकर किसानों के सामने जो समस्या आई है, वो दूर हो सकती है। बाजार में गुणवत्ताविहीन खाद भी किसानों को दी जा रही है। गुणवत्ता को लेकर विभाग द्वारा नमूने लिए जाने का प्रावधान है लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है।