अरुण तिवारी, Bhopal. आज की भागदौड़ की जिंदगी में यदि आप के पास समय की कमी है तो आप टाइम बैंक से समय निकाल सकते हैं। लेकिन इसके लिए पहले आपको टाइम बैंक में अपना फ्री टाइम जमा करना होगा। जी हां ये मुमकिन हो सकेगा। टाइम बैंक बनाने की कल्पना मध्यप्रदेश राज्य आनंद संस्थान ने की है। टाइम बैंक बनाने के पीछे संस्थान का मकसद है कि एकाकी जीवन जी रहे लोग आपसी संबंध बनाकर एक दूसरे के काम आ सकें। यदि व्यक्ति दूसरे की मदद करता है तो दूसरा व्यक्ति भी उसके काम आएगा। विदेशों में ये टाइम बैंक काम कर रहा है क्योंकि वहां लोगों के पास पैसा है लेकिन उनकी उनके काम के लिए कोई आदमी नहीं है।
ऐसे समझिए टाइम बैंक को
मिस्टर ए टाइम बैंक शामिल होते हैं। उनके पास जो कौशल है या जो काम वे कर सकते हैं, उसकी सूची बनाते हैं। मिसेज एक्स टाइम बैंक की सदस्य हैं। सुपर मार्केट में शॉपिंग के लिए किसी की मदद चाहती हैं। मिस्टर ए, मिसेज एक्स के साथ शॉपिंग के लिए जाते हैं और जितना समय वहां लगा वो टाइम बैंक में जमा हो जाता है। मिस्टर ए इस जमा टाइम का उपयोग अपने घर में पार्टी में मिस्टर बी द्वारा म्यूजिकल कार्यक्रम के लिए करते हैं। मिस्टर बी ने जितना समय मिस्टर ए की पार्टी के लिए दिया है उतना समय उन्होंने मिसेज वाय द्वारा उनके बच्चों को पढ़ाए जाने के लिए किया। इसी तरह मिसेज जेड , मिसेज वाय के घर साफ सफाई करती हैं और उतना टाइम बैंक में जमा करती हैं। मिसेज जेड इस टाइम क्रेडिट का उपयोग मिस्टर ए द्वारा उनके घर के गार्डन को ठीक कराने में करती हैं। मिस्टर ए आनलाइन साफ्टवेयर पर अपना खाता चेक करते हैं कि उनके पास कितना टाइम लिमिट क्रेडिट है। मिस्टर ए इस टाइम क्रेडिट का उपयोग जब वे चाहें तब कर सकते हैं।
टाइम बैंक के प्रकार
- संपत्ति, संसाधनों और कौशल के साझा उपयोग की प्रणाली के रुप में।टाइम बैंक संगठनों के बीच काम करता है।
टाइम बैंक के लेनदेन का प्रकार
- वन टू वन लेनदेन — एक सदस्य दूसरे सदस्य की मदद करता है।
टाइम बैंक के मुख्य घटक
- नेतृत्व और ग्रुप की मुख्य रुचि
टाइम बैंक से आएगा ये अंतर
- आपसी जुड़ाव वाला पड़ोस
टाइम बैंक की उपयोगिता
- शहरीकरण के कारण आपसी मेलजोल की कमी
इसलिए है टाइम बैंक की जरूरत
इस समय दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी क्या है। आप में से कई लोग कहेंगे डायबिटिज, हार्ट से जुड़ी बीमारी, किडनी या लीवर से जुड़ी बीमारी। इन बीमारियों से भी बड़ी बीमारी है अकेलापन। दुनियाभर में लोग अकेलेपन से जूझ रहे हैं और उनके पास नहीं अपनों से बातचीत करने का समय। अब मप्र का राज्य आनंद संस्थान कुछ अच्छा काम करने जा रहा है। हर जगह इंसान दौड़ रहा है, उसके पास नहीं है तो वक्त, अंग्रेजी में इसे कहा जाता है रेस अगेंस्ट टाइम। इसके चलते ना तो बच्चे अपने माता-पिता को वक्त नहीं दे पा रहें, बुजुर्ग अकेलापन महसूस कर रहे हैं, बच्चे उनसे दूर रहते हैं, उनके काम करने वाला कोई नहीं। ऐसे ही लोगों के लिए आनंद संस्थान ने टाइम बैंक बनाने की संकल्पना की है, इसमें यदि व्यक्ति दूसरे की मदद करता है तो दूसरा व्यक्ति भी उसके काम आएगा। कुल मिलाकर ये लोगों को एक दूसरे से जोड़े रखने का मकसद है जो आज के समय में बेहद कम हो रहा है। पहले लोग एक दूसरे की मदद करते थे लेकिन आज के जमाने में ये संभव नहीं हो रहा। इसकी जरूरत इसलिए भी महसूस हो रही है कि आने वाले 25 साल में भारत की 25 फीसदी आबादी बूढ़ी हो जाएगी। तब इस कान्सेप्ट की जरूरत पड़ेगी इसलिए तैयारियां अभी से की जाए।