INDORE: बीजेपी-कांग्रेस के बीच झूल रहे दिग्विजय सिंह के कट्टर समर्थक कमलेश खंडेलवाल का इस्तीफा

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Lalit Upmanyu
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INDORE: बीजेपी-कांग्रेस के बीच झूल रहे दिग्विजय सिंह के कट्टर समर्थक कमलेश खंडेलवाल का इस्तीफा

Indore. लंबे  समय से बीजेपी और कांग्रेस के बीच झूल रहे शहर के कांग्रेस (Congress) नेता और दिग्विजय के कट्टर् स्मर्थक कमलेश खंडेलवाल (Kamlesh Khandelwal) ने अंततः कांग्रेस से मुक्त होने का फैसला कर लिया। शनिवार को उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamalnath) को अपना इस्तीफा भेज दिया। हालांकि उनके बीजेपी प्रवेश को लेकर अभी बाधाएं हटी नहीं हैं।



       खंडेलवाल और कांग्रेस लंबे समय से एक-दूसरे के साथ सहज महसूस नहीं कर रहे थे। इसकी वजह कमलेश का दो बार बागी हो जाना है। 2013 में एक नंबर विधानसभा से विधायक टिकट की मजबूत दावेदारी के बावजूद पार्टी ने उन्हें टिकट न देते हुए पूर्व विधायक रामलाल यादव (भल्लू) के बेटे दीपू यादव  (Deepu Yadav) को टिकट दे दिया तो वे  बागी हो गए थे। उसका असर चुनावों पर भी दिखा। खंडेलवाल 46 हजार वोट लाकर भाजपा के सुदर्शन गुप्ता (Sudarshan Gupta) के बाद दूसरे नंबर पर रहे, जबकि दीपू यादव 37 हजार वोट लाकर तीसरे नंबर पर चले गए थे। उसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। इसके अलावा नगर निगम चुनाव में भी वे एक बार बगावत कर चुके हैं। तब उनके घरेलू वार्ड (मल्हारगंज) से उनकी पत्नी तनुजा खंडेलवाल मजबूत उम्मीदवार थीं लेकिन पार्टी ने तब के शहर अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता कृपाशंकर शुक्ला की बहू सोनिया शुक्ला को टिकट दे दिया था। तब तनुजा खंडेलवाल बीजेपी और कांग्रेस दोनों को हराकर पार्षद बन गई थीं। उस समय बीजेपी-कांग्रेस के उम्मीदवारों को जितने वोट मिले थे उन दोनों के जोड़ से करीब पांच सौ वोट तनुजा खंडेलवाल को ज्यादा मिले थे।





2018 में भी थे दावेदार





खंडेलवाल दिग्विजय सिंह के कट्टर समर्थक हैं। वे 2018 में भी टिकट के दावेदार थे लेकिन तब एक नंबर में कांग्रेस की खूब फजीहत हुई थी। पार्टी ने पहले गोलू अग्निहोत्री को टिकट दिया। विरोध हुआ तो खंडेलवाल का नाम चला लेकिन टिकट ले उड़े संजय शुक्ला जो 2008 में हार चुके थे। इस बार भी खंडेलवाल बागी हो जाते लेकिन संजय शुक्ला ने उन्हें मना लिया। उसके बाद से खंडेलवाल कांग्रेस में लगातार उपेक्षित महसूस कर रहे थे जिसकी परिणति आज इस्तीफे के रूप में सामने आई।







बीजेपी में विजयवर्गीय के भरोसे





खंडेलवाल बीते कई महीनों से बीजेपी में जाने की कोशिश में हैं। बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय (Kailsh Vijayvergiya) और रमेश मेंदोला (Ramesh Mendola) भी उन्हें पार्टी से जोड़ना चाहते हैं। पार्टी के अन्य नेताओं की भी इसमें तकरीबन सहमति है लेकिन एक नंबर के पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता उन्हें पार्टी में शामिल करने पर सहमत नहीं हैं इसलिए लगातार मामला अटक रहा है। जानकारों का कहना है कि गुप्ता संभवतः अपने क्षेत्र में टिकट का नया दावेदार तैयार नहीं होने देना चाहते हैं इसलिए कमलेश के आगमन के खिलाफ हैं। हाल ही में उपजे ग्यारह साल पुराने जमीन विवाद के कारण भी उनके बीजेपी में प्रवेश में बाधाएं आईं हैं।





बीजेपी का गणित मेयर चुनाव का भी है





मेयर के चुनाव में कांग्रेस ने संजय शुक्ला (Sanjay Shukla) को उम्मीदवार बनाया है, वे एक नंबर से ही विधायक हैं। बीजेपी चाहती है खंडेलवाल को समय रहते अपने साथ जोड़ लें तो मेयर चुनाव में उसे संजय की विधानसभा में ज्यादा फायदा मिल सकता है क्योंकि खंडेलवाल भी एक नंबर क्षेत्र के ही नेता हैं। 





कांग्रेस कर सकती थी कार्रवाई





सूत्रों का यह भी कहना है कि मेयर चुनाव में सक्रियता नहीं दिखाने और बीजेपी से लगातार निकटता के चलते कांग्रेस एक बार फिर खंडेलवाल पर कार्रवाई करने की तैयारी में थी, उससे पहले उन्होंने खुद ही कांग्रेस से मुक्ति पा ली। 



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