संजय गुप्ता, INDORE. सेंट्रल जीएसटी की इंदौर प्रिवेंटिव विंग ने जीएसटी में 27 करोड़ का फर्जी ITC घोटाला पकड़ा है। फर्जीवाड़े के तार कम से कम 5 राज्यों में फैले हैं। घोटाले को अंजाम देने वाले गिरोह ने बंद पड़ी कंपनी को फर्जी दस्तावेजों के जरिए फिर से चालू बता दिया। इसके बाद इन कंपनियों से फर्जी बिल जारी कर दिए। इन बिलों के जरिए कारोबारियों को जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) पास कराकर चोरी को अंजाम दिया गया। बंद कंपनी को खड़ा करने के लिए घोटालेबाजों ने फर्जी आधार कार्ड और पहचान पत्र भी इस्तेमाल किए।
कोएंबटूर की है कंपनी
सीजीएसटी को डाटा विश्लेषण के दौरान पता चला कि इंदौर की एक कंपनी को कोयंबटूर की एक कंपनी से 27.58 करोड़ का ITC पास हुआ है। तमिलनाडु की जिस कंपनी के नाम से ITC इंदौर की कंपनी को पास किया गया असल में उस कंपनी के खाते या जीएसटीआर-2 में ITC थी ही नहीं। इसके बाद सीजीएसटी इंदौर की प्रिवेंटिव विंग ने जांच आगे बढ़ाई। पता चला कि इंदौर की जिस कंपनी के नाम से ITC ली गई है उसके संचालक उसे बंद कर चुके हैं। जीएसटी के अधिकारियों ने जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि कंपनी बनाने वाले ने इसे बंद कर दिया है लेकिन बंद करने में ज्यादा खर्च का हवाला देकर कुछ लोगों ने दलाल के माध्यम से कंपनी अपने नाम ट्रांसफर करवा ली। इस कंपनी को टैक्स चोरी करने वाले गिरोह के लोगों ने हथिया लिया।
फर्जी आधार कार्ड से संचालकों के नाम बदले
फर्जी आधार कार्ड और पहचान पत्र के नाम से कंपनी के संचालकों का नाम बदलकर संचालन अपने हाथ में ले लिया गया। इसके बाद बोगस बिलों और कागजी कामकाज दिखाकर फर्जी ITC देशभर की कंपनियों को ट्रांसफर किया गया। सीजीएसटी की प्रिवेंटिव विंग इंदौर की कंपनी के पते पर पहुंची तो वहां कोई नहीं मिला। कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए पेश दस्तावेज भी फर्जी निकले। इस कंपनी ने बाद में आगे उत्तराखंड की कंपनियों को ITC पास की। वहां से दिल्ली और अन्य प्रदेशों की कंपनियों को भी ITC पास की जाती रही।
घोटालेबाजों तक पहुंचने की कोशिश
सीजीएसटी इंदौर के प्रिंसिपल कमिश्नर पार्थराय चौधरी के अनुसार विभाग फर्जी ITC लेने वालों की कड़ियां जोड़कर आखिर में लाभ लेने वाली असल कंपनियों और लोगों तक पहुंचने में लगा हुआ है। इसके लिए जांच शुरू कर दी गई है। कंपनियों के जरिए फर्जी ITC का गिरोह चला रहे लोगों तक भी पहुंचने में सफलता मिलेगी। जरूरत पड़ने पर जीएसटी विभाग इसमें अन्य जांच एजेंसियों की मदद भी लेगा। क्योंकि फर्जी दस्तावेज आधार कार्ड भी बनाए गए हैं इसलिए इसमें आइटी एक्ट और अन्य कानूनों के तहत भी कार्रवाई की जाएगी।