Seoni: पेंच प्रबंधन नहीं कर पा रहा चीतलों का विस्थापन, 5 के बजाय 1.5 हजार चीतल ही करा पाए शिफ्ट

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Rajeev Upadhyay
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Seoni: पेंच प्रबंधन नहीं कर पा रहा चीतलों का विस्थापन, 5 के बजाय 1.5  हजार चीतल ही करा पाए शिफ्ट

Seoni. टाइगर स्टेट का तमगा प्राप्त मध्यप्रदेश में बाघ और अन्य मांसाहारी वन्यजीवों को पर्याप्त भोजन मुहैया कराने बड़ी संख्या में मौजूद चीतल, नीलगाय और हिरण जैसे बहुतायत में मिलने वाले वन्यजीवों को अभ्यारण्यों में शिफ्ट कराया जाता है। वन्यजीवों के इस विस्थापन से जहां संरक्षित और संकटग्रस्त प्रजातियों को प्रश्रय मिलता है वहीं अचानक कोई रोग फैलने की कंडीशन में प्रजाति का बचाव भी हो जाता है। लेकिन पेंच राष्ट्रीय उद्यान का प्रबंधन चीतलों को शिफ्ट कराने के काम का टारगेट पूरा नहीं कर पा रहा है। पेंच से 5 हजार चीतलों को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और नौरादेही अभ्यारण्य भेजा जाना था लेकिन वे अब तक डेढ़ हजार चीतल को ही शिफ्ट कर पाए हैं। 





शिफ्टिंग की प्रक्रिया है पेचीदा




दरअसल चीतल-हिरन जैसे वन्यजीव बहुत जल्दी सदमे में पहुंच जाते हैं जिसमें उनकी जान भी चली जाती है। ऐसे में इन वन्यजीवों को बिना छुए पकड़ना पड़ता है। जिसके लिए पेमा पद्धति का उपयोग किया जाता है जिसमें जानवरों को हाका लगाकर बांस के एक बड़े बाड़े तक लाया जाता है। फिर बाड़े के गेट पर कैटल वाहन लगाकर गेट खोला जाता है जिससे घबराए वन्यजीव वाहन के अंदर पहुंच जाते हैं। 





संकटग्रस्त बारहसिंगा को भी ऐसे ही करते हैं शिफ्ट




कुछ दशक पहले कान्हा के बारहसिंगा की प्रजाति भी विलुप्त होने की कगार पर थी तब ऐसी ही पद्धति से बारहसिंगों को पकड़कर अन्य नेशनल पार्क में शिफ्ट कराया गया था ताकि उन्हें विलुप्त होने से बचाया जा सके। 





पर्याप्त भोजन मिलने पर आदमखोर नहीं बनते बाघ




हाल ही के कुछ सालों में देखा गया है कि प्रदेश में टाइगर की संख्या बढ़ने से बाघों द्वारा इंसान पर किए जाने वाले हमलों की घटनाएं भी एकाएक बढ़ी हैं। ऐसे में बाघों को जंगल में पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो इसके लिए बहुतायत में पाए जाने वाले चीतलों को अलग-अलग नेशनल पार्क और अभ्यारण्य में शिफ्ट करने का प्लान बनाया गया था।


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