मैरिज सर्टिफिकेट बांटना आर्य समाज का काम नहीं, मान्यता पर सवाल

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Anjali Singh
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मैरिज सर्टिफिकेट बांटना आर्य समाज का काम नहीं, मान्यता पर सवाल

Bhopal. सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज मंदिर की ओर से जारी होने वाले मैरिज सर्टिफिकेट को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है। मामला नाबालिग से रेप और किडनैपिंग से जुड़ा हुआ था। इस दौरान आरोपी ने आर्य समाज मंदिर की ओर से जारी मैरिज सर्टिफिकेट दिखाते हुए जमानत देने की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया। इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का काम आर्य समाज का नहीं, बल्कि अथॉरिटी का है।



क्या है मामला




मामला प्रेम विवाह का है। लड़की के घरवालों ने उसे नाबालिग बताते हुए लड़के पर रेप और किडनैपिंग का केस दर्ज करवाया था। इसी मामले में आरोपी लड़के ने मैरिज सर्टिफिकेट दिखाते हुए दावा किया कि लड़की बालिग है और दोनों की शादी हो चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे ये कहते हुए मानने से इनकार कर दिया कि आर्य समाज का काम मैरिज सर्टिफिकेट जारी करना नहीं है। 



अदालत ने 4 अप्रैल को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी, जिसने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (एसएमए के प्रावधानों के अनुपालन को इंगित करता है) पारित किया था। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय ने नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में आर्य समाज के ‘मंत्री’ द्वारा जारी प्रमाण पत्रों की जांच के आदेश दिए थे।



1. सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?



- आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि आर्य समाज का काम मैरिज सर्टिफिकेट देना नहीं है। ये अथॉरिटी का काम है।



- इसी साल अप्रैल में, मध्य प्रदेश के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आर्य समाज मंदिर में होने वाली शादियों को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर करवाने की जरूरत नहीं है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आर्य समाज के मंदिरों में होने वाली शादियों को रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है।



- इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आर्य समाज के मंदिरों में होने वाली शादियों के लिए हिंदू मैरिज एक्ट और आर्य समाज मैरिज वैलिडेशन एक्ट पर्याप्त है।



- इस मामले में मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा पक्षकार है। सभा ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि एमपी हाईकोर्ट ने मैरिज सर्टिफिकेट की वैलिडिटी को मानने को इनकार कर दिया था, जिसने आर्य समाज के मंदिरों के मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने के अधिकार को छीन लिया है। ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है।




2. क्या आर्य समाज का सर्टिफिकेट वैलिड है?



- आर्य समाज संस्था की ओर से मैरिज सर्टिफिकेट जारी किए जाने का मतलब ये नहीं है कि आपकी शादी को कानूनी मान्यता मिल गई।



- सर्टिफिकेट मिलने के बाद शादी को कानूनों के तहत एसडीएम ऑफिस में रजिस्टर्ड करवाना जरूरी है। अगर दूल्हा-दुल्हन दोनों हिंदू हैं तो हिंदू मैरिज एक्ट के तहत सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करना होगा। लेकिन अगर दोनों अलग-अलग धर्म के हैं तो स्पेशल मैरिज एक्ट लागू होगा।



- हालांकि, अभी भी इससे जुड़े कई सारे सवाल सुप्रीम कोर्ट में हैं। लेकिन किसी भी मामले में आर्य समाज के सर्टिफिकेट को एक वैध कानूनी दस्तावेज नहीं माना जा सकता।




3. आर्य समाज मंदिर में कैसे होती है शादी?



- आर्य समाज मंदिर में वैदिक रिति-रिवाज से शादी करवाई जाती है। इसके बाद मैरिज सर्टिफिकेट भी जारी किया जाता है। यहां शादी के दौरान वही परंपरा अपनाई जाती है, जो हिंदू धर्म में अपनाई जाती है।



- यहां होने वाली शादियों को आर्य समाज मैरिज वैलिडेशन एक्ट 1937 और हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत मान्यता मिली है। अगर दूल्हे की उम्र 21 साल या उससे ज्यादा है और दुल्हन की उम्र 18 साल या उससे ज्यादा है, तो आर्य समाज की ओर से मैरिज सर्टिफिकेट जारी किया जा सकता है।



- दो अलग-अलग जातियों और दो अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग भी आर्य समाज मंदिर में शादी कर सकते हैं, बशर्ते शादी करने वालों में से कोई एक मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी न हो।


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