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भोपाल। गुरुवार,17 मार्च को होलिका दहन पर्व है। बुराइयों को पवित्र अग्नि में दहन कर समाज में प्रेम और भाईचारे की स्थापना का पर्व है। इस दिन लोग शहर में लकड़ी और कंडों की सैकड़ों होली बनाकर पूजा-अर्चना करने के बाद उसे जलाते हैं। लेकिन अब होली जलाने के लिए लकड़ियों के बजाय गोकाष्ठ (गोबर और लकड़ी के बुरादे से बनी लकड़ी) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। पिछले साल भोपाल में करीब 60 प्रतिशत होलिका दहन गोकाष्ठ से बनी लकड़ियों से हुआ है। इस बार लक्ष्य है कि करीब 80 फीसदी होलिका दहन गोकाष्ठ से ही हो।
गोकाष्ठ से 4 साल में जलने से बची 9 हजार क्विटल लकड़ी: गोकाष्ठ सेवा समिति के अध्यक्ष अरूण चौधरी ने बताया कि उनकी समिति बीते 4 साल से होली पर गोकाष्ठ उपलब्ध करा रही है। पहले साल 1500, दूसरे साल 2000, तीसरे साल 2500 और चौथे साल 3000 क्विंटल गोकाष्ठ की खपत होली पर हुई। मतलब होली पर इन 4 सालों में अकेले भोपाल में 9 हजार क्विंटल लकड़ी जलने से बच गई। पर्यावरणविद् सुभाष सी पांडे ने बताया कि एक औसत छोटे पेड़ से भी करीब-करीब एक से डेढ़ क्विंटल लकड़ी मिलती है। इस दृष्टिकोण से हम यह कह सकते हैं कि राजधानीवासियों ने 4 साल में 9 हजार पेड़ों को कटने से बचा लिया। उनके अनुसार 1 पेड़ औसतन 5 लोगों की जरूरत की ऑक्सीजन मुहैया कराता है। यानी होली पर जो 9 हजार पेड़ कटने से बचे वे 45 हजार लोगों को ऑक्सीजन दे रहे हैं।
ऐसे समझे पर्यावरण में एक पेड़ का योगदान: एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे 5 लोगों को प्राण वायु मिलती है। यह मिट्टी के क्षरण यानी उसे धूल बनने से रोकता है। जमीन से उसे बांध रखता है। भू-जल स्तर को बढ़ाने में सबसे ज्यादा मदद करता है। इसके अलावा यह वायु मंडल के तापक्रम को कम करता है। पेड़ों की छाया वाली जगह पर दूसरी जगहों की अपेक्षा 2 से 4 डिग्री तक तापमान कम होता है।
50 साल की अवधि में एक पेड़ देता है 52 लाख रुपए का लाभ: डायरेक्टर जनरल काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन के मुताबिक एक पेड़ 50 साल की अवधि में करीब 52 लाख रुपए का लाभ देता है। इसमें से 11.97 लाख रुपये की ऑक्सीजन होती है। इसके अलावा वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने में 23.68 लाख रुपये का योगदान देता है। मिट्टी के कटाव को रोकने में 19 लाख रुपये और वॉटर फिल्ट्रेशन में 4 लाख रुपये का योगदान देता है। इस तरह से देखें तो एक पेड़ अपनी कुल आयु में करीब 60 लाख रुपये का लाभ देता है।
लकड़ी से 8 रूपए किलो सस्ती होती है गोकाष्ठ: होलिका दहन पर लकड़ी का उपयोग न कर गोकाष्ठ को अपनाने का एक और फायदा है। गोकाष्ठ सेवा समिति के कोषाध्यक्ष मम्तेश शर्मा ने बताया कि गोकाष्ठ 10 रूपए किलो मिलती है, जबकि बाजार में जलाऊ लकड़ी के दाम 17-18 रूपए किलो हैं। मम्तेष शर्मा ने बताया कि भोपाल में होलिकादहन के लिए कई स्थानों पर गोकाष्ट उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
भोपाल और आस-पास इन स्थानों पर उपलब्ध है गोकाष्ठ: गोकाष्ठ सेवा समिति के मुताबिक शहर में कालिका मंदिर भदभदा रोड, श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर, भोजपुर क्लब, नर्मदा इंडस्ट्रीज गोविंदपुरा, माता मंदिर प्लेटिनम प्लाजा के सामने, शुभम नर्सरी बावडिया कला, राम मंदिर हमीदिया रोड, ओल्ड भास्कर कोतवाली रोड , मानस भवन श्यामला हिल्स, मिलन टेंट एंड केटर्स बरखेड़ा, शुभम नर्सरी C-21मॉल के सामने, मानस उद्यान गुफा मंदिर, गिरधर स्टोर गोमती कॉलोनी नेहरू नगर, खंडेलवाल स्टील करोंद,मंदाकिनी ग्राउंड कोलार, शिव मंदिर मेहता मार्केट सुभाष नगर,रेलवे स्टेशन मंडीदीप, बस स्टैंड बैरसिया, गंगेश्वर शिव मंदिर एम्स के पीछे साकेत नगर, महात्मा गांधी चौराहा भेल, अफसरा टॉकीज, पिपलानी पेट्रोल पंप, अशोका गार्डन 80 फीट रोड, मंगलवारा थाने के पास, mpeb ग्राउंड मिनाल रेसीडेंसी जेके रोड, शुभम नर्सरी पटेल नगर, दीप इलेक्ट्रिकल गौतम नगर,फायर ब्रिगेड आफिस के पास बैरागढ, नगर निगम ऑफिस के पास गांधी नगर, एन एम मार्बल क्लास रूम के सामने लाल घाटी। गोकाष्ठ समिति ने गोकाष्ठ की घर पहुंच सेवा भी उपलब्ध कराई है लेकिन इसके लिए ट्रांसपोर्ट खर्च अलग से वहन करना होगा।
गोकाष्ठ खरीदने के लिए गोकाष्ठ सेवा समिति के इन नंबरों पर संपर्क करें-
- मम्तेश शर्मा- 9977890859