Jabalpur. जबलपुर की धर्मशास्त्र लॉ यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स और यूनिवर्सिटी प्रबंधन के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। छात्र-छात्राएं जहां 10 दिन से कुलपति वी नागराज को हटाने समेत अन्य मांगों को लेकर अनशन पर बैठे हुए हैं। वहीं यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने यूनिवर्सिटी को बंद कराकर एकेडेमिक बिल्डिंग को खाली कराने का फरमान निकाल दिया है। वहीं दूसरी तरफ अनशन के दौरान हालत बिगड़ने पर 3 छात्राओं को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। विधि छात्र अपनी समस्याओं को हाईकोर्ट के जजों तक पहुंचा चुके हैं यहां तक कि एक हाईकोर्ट के जज तो बकायदा टू व्हीलर में बैठकर स्टूडेंट्स के बीच पहुंचे और उनकी पीड़ा भी सुनी।
पुलिस बल का भी हो सकता है प्रयोग
बता दें कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने यूनिवर्सिटी बंद कर ऑनलाइन क्लास चालू रखने का फरमान सुनाया है। इस दौरान हॉस्टल और मैस व्यवस्था चालू रहेगी लेकिन क्लासेस को बंद रखा जाएगा। स्टूडेंट्स को धरना देने के लिए पुरानी लाइब्रेरी में अनुमति दी गई है। लेकिन एकेडेमिक बिल्डिंग को तत्काल प्रभाव से खाली कराने विश्वविद्यालय प्रबंधन पुलिस बल को भी बुलाने के बारे में विचार कर रहा है।
ये हैं स्टूडेंट्स की मांगें
दरअसल विधि छात्र मैस के खाने और मूलभूत सुविधाओं समेत कुलपति और कुलसचिव को पद से हटाने की मांग पर अड़े हैं। वैसे विश्वविद्यालय प्रबंधन ने छात्रों को छिटपुट मांगें तो मान लीं लेकिन छात्रों के रुख को देखते हुए अब प्रबंधन ने विश्वविद्यालय ही बंद कर देने का फैसला ले लिया, जो कि प्रथम दृष्टया तानाशाहीपूर्ण फैसला प्रतीत हो रहा है।
प्रबंधन ने बनाए मनमाने नियम
बता दें कि प्रबंधन ने छात्र-छात्राओं पर चप्पल पहनने और देर रात कैंपस में लौटने पर 10 हजार रुपए जुर्माना लगाने का फैसला लिया था, यहां तक कि एक्स्ट्रा क्लास और फीस पर भी ऊलजलूल नियम बनाए थे। छात्र-छात्राओं की एक्स्ट्रा क्लास की फीस 500 से बढ़ाकर 7500 कर दी गई और सालाना फीस 1.8 लाख से बढ़ाकर छात्रों के लिए 2.2 लाख और छात्राओं के लिए 2.5 लाख कर दी गई। जिसके बाद प्रबंधन के मनमाने और तानाशाहीपूर्ण रवैए के चलते छात्र अनशन पर बैठ गए थे।
छात्राओं ने भी लगाए कुलपति पर आरोप
अनशन पर बैठी छात्राओं ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रबंधन लगातार अपनी मनमानी करता चला आ रहा है। कुलपति और उनके सुरक्षाकर्मी अक्सर छात्राओं को उनके पहनावे पर भद्दे कमेंट्स करने के साथ-साथ अक्सर टिप्पणी करना आदत बना चुके हैं। उन्होंने बताया कि आंदोलन वापस लेने के लिए कुलपति समेत प्रबंधन के अधिकारी लगातार उन पर दबाव डाल रहे हैं।