नवीन मोदी, GUNA. जिला बार एसोसिएशन गुना के तत्वाधान में स्व. रतनलाल लाहोटी एडवोकेट ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन किया गया। जिला कोर्ट परिसर में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में न्याय जगत की कई हस्तियां मौजूद रहीं। यह ई-लाइब्रेरी मध्यप्रदेश के गुना में शुरू की गई है। इस ई-लाईब्रेरी में 1950 से लेकर अब तक के जजमेंट ऑनलाईन मिल सकेंगे। इसमें फिलहाल तीन कम्प्यूटर स्थापित किए हैं और आगे उसको और भी अत्याधुनिक बनाने पर काम किया जाएगा।
स्व. रतनलाल लाहोटी एडवोकेट ई-लाइब्रेरी उद्घाटन समारोह की शुरूआत माँ सरस्वती वंदना के साथ की गई। इसके बाद कार्यक्रम को अतिथियों ने संबोधित किया। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके माहेश्वरी रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माहेश्वरी ने कहा कि तलवार को तेज बनाने के लिए जिस तरह पत्थर की जरूरत होती है, उसी तरह पुस्तकालय से ज्ञान को तेज किया जा सकता है। नई पीढ़ी के लिए ई-लाइब्रेरी एक नया उपकरण है। पुस्तक मंदिर में हमेशा ज्ञान मिलेगा। वेद, पुराण, रामायण और महाभारत आदि के आदर्शों को फॉलो करके हम जीवन को सार्थक बना सकते हैं। डिजीटल लाइब्रेरी से हम 4 घंटे का काम 4 मिनट में कर सकते हैं। यह गुना के अभिभाषकों के लिए काफी उपयोगी साबित होगी।
इसी क्रम में स्व. रतनलाल लाहोटी और रमेशचंद्र लाहोटी के जीवन परिचय पर जस्टिस मोदी ने प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुना बार एसोसिएशन मामूली बार नही है, इस बार से न्यायिक क्षेत्र में ऐसी हस्तियां दी हैं जिसे आने वाली पीढ़ी याद करेगी।
कार्यक्रम में न्यायमूर्ति रवि मलिमठ ने कहा कि स्व. लाहोठी नैतिकता और साहित्यिक मूल्यों के आदर्शों के साथ आगे बढ़ाया। गुना में उनका अद्वितीय योगदान रहा है। वे सभी बड़े पदों पर रहते हुए गरीबों की लड़ाई न्यायालय में लड़ते रहे और खुद खर्च करते रहे। लाहोटी शिक्षा और धार्मिक क्षेत्र में काफी रूचि रखते थे। वे ज्यादातर पुस्तकें भेंट करते थे और गुप्तदान में ज्यादा विश्वास रखते थे। उन्होंने कहा कि आदमी कितना भी ऊपर पहुंच जाए, लेकिन उसको अपनी जड़ों को कभी नही छोडऩा चाहिए।
ई-लाइब्रेरी के उद्घाटन समारोह में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रामपालसिंह परमार ने न्यायमूर्तियों के बीच न्यायालय के लिए जमीन उपलब्ध कराने की बात रखी। वहीं बार एसोसिएशन के सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता वरूण कुमार सूद ने बताया कि पुरानी कलेक्ट्रेट खाली पड़ी हुई है, इसको अभिभाषकों को उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने लेबर कोर्ट और पॉस्को एक्ट से संबंधित विधि शिविर लगाने का जिक्र किया। जिससे छोटी-छोटी समस्याओं को स्थानीय स्तर पर हल किया जा सके।
कार्यक्रम में गुरूकुल की छात्रा रिया चंदेल और मॉडर्न चिल्ड्रन स्कूल के छात्र लक्ष्यदीप धाकड़ न्यायधिपतियों के हाथों सम्मान पत्र देकर सम्मानित किए गए। इस मौके पर मार्डन स्कूल की प्राचार्य डॉ. श्वेता अरोरा भी मौजूद रहीं। कार्यक्रम को जस्टिस गुरूपालसिंह अहलूवालिया और जस्टिस रोहित आर्य ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि श्री लाहोटी की न्यायप्रियता और संवेदनशीलता से हर कोई परिचित है। वे अधिवक्ता ही नही, गांधीवादी मूल्यों के पक्षधर भी थे, साथ ही वे एक समाजसेवी और अच्छे राजनेता भी थे।
जिसमें मुख्य अतिथि जस्टिस जेके माहेश्वरी सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, विशिष्ट अतिथि जस्टिस रवि मलिमठ हाईकोर्ट मप्र, जस्टिस रोहित आर्य हाईकोर्ट ग्वालियर और जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया मुख्य रूप से मौजूद रहे। उद्घाटन समारोह में न्यायमूर्ति मिलिंद पड़ते, न्यायमूर्ति डीडी बंसल, कौशल्या लाहोटी, एमपी सिंह हाई कोर्ट अधिवक्ता, आशीष सिंह जबलपुर भी मंच पर उपथित थे।