संजय गुप्ता, INDORE. प्रखर वक्ता, हमेशा पार्टी को पहले रखने वाले उमेश शर्मा का 56 साल की उम्र में निधन हो गया। सभी स्तब्ध हैं लेकिन जिसे पार्टी ने कभी कोई पद देने से गुरेज किया, उसके साथ मौत ने भी छलावा कर दिया। बात दोपहर करीब दो-ढाई बजे की है। उन्हें थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लगी, गैस्ट्रिक प्रॉब्लम लगी, ड्राइवर और अपने साथ हमेशा रहने वाले जीतू को कहा अस्पताल चलते हैं। वे करीब तीन बजे रॉबर्ट नर्सिंग होम पहुंच गए। वहां डॉक्टर ने चेकअप किया, ईसीजी किया, सब सामान्य। जिनकी मौत हार्ट अटैक से हो रही है, उनका ईसीजी मौत से डेढ़ घंटे पहले सामान्य। डॉक्टर ने दवा लिखकर घर जाने का बोल दिया।
बाथरूम में आया हार्ट अटैक
उमेश शर्मा जीतू को बोलते हैं, थोड़ा ठीक नहीं लग रहा एक बोतल लगवाने के लिए रुक जाएं क्या ? चल पहले तू दवा ले आ। जीतू दवा लेने जाता है। इसी बीच शर्मा बाथरूम जाते हैं और फिर वहीं गिर जाते हैं। जब अस्पताल के लोग उन्हें गिरा हुआ देखते हैं तो फिर तत्काल ले जाते हैं। काफी प्रयास किए जाते हैं लेकिन फिर वे नहीं उठे। करीब साढ़े 4 बजे उन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
नगर अध्यक्ष से लेकर महापौर तक नाम चला पद नहीं मिला
आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज से छात्र राजनीति में उन्होंने कदम रखा। वाद-विवाद प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर मौजूदगी दिखाई। भाषण ऐसा कि लोग दूर-दूर से उन्हें सुनने आते थे। दिग्विजय सिंह के सीएम काल में भारतीय जनता युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष के रूप में शानदार कार्य किया। इसके बाद नगर महामंत्री बने। प्रदेश प्रवक्ता थे। नगर अध्यक्ष के तौर पर नाम चला लेकिन गौरव रणदिवे को पद मिला, फिर महापौर पद के लिए नाम चला तो पुष्यमित्र भार्गव को मिल गया। बीजेपी ने कभी उन्हें वो नहीं दिया जिसके वे हकदार थे।