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BHOPAL: मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की दर अनियंत्रित रूप से बढ़ती जा रही हैं। राज्य आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार 2020 में राज्य में बेरोजगारों की संख्या 24.72 लाख थी जो 2021 में 30.23 लाख हो गई। हालांकि, विश्वस्त सूत्रों के अनुसार तो असल आंकड़ा इससे तीन गुना ज्यादा यानि करीब एक करोड़ के आसपास हैं। जहाँ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर महीने 2 लाख युवाओं को नौकरी देने का दावा करते हैं वहीँ हकीकत यह है की आज प्रदेश के लगभग हर गरीब व मध्य वर्ग परिवार में ऐसे युवा हैं, जो रोजगार की तलाश में हैं। मध्य प्रदेश में रोजगार का संकट कितना गहरा हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि हाल ही में जहाँ बेरोजगारी को लेकर प्रदेश में कई बार व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। तो वहीं कई बार यह देखने सुनने को मिलता हैं कि सफाईकर्मी, चालक, चपरासी, सुरक्षाकर्मी जैसी पोस्ट्स के लिए लाखों एमबीए और इंजीनियरिंग स्नातक आवेदन करते हैं।
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इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने करोड़ो की राशि खर्च कर कई योजनाएं तो शुरू कर दी पर इन योजनाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। और अगर अपवाद स्वरूप जो रोजगार दिए भी गए हैं, तो वह ऊंट के मुँह में जीरे के समान हैं। जिन लोगों को रोजगार मिला...बाद में वहां से भी उन्हें चलता कर दिया गया। द सूत्र की पड़ताल में रोजगार योजनाएँ बेरोजगारी दूर करने की कोशिश के नाम पर बस खानापूर्ति ही नज़र आई। देखिये मध्य प्रदेश में चलने वाली कुछ रोजगार योजनाओं की असलियत:
दीनदयाल अंत्योदय योजना: राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन केंद्र प्रवर्तित योजना है जो स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के स्थान पर अक्टूबर, 2013 से लागू की गई है। वर्तमान में यह योजना 120 शहरों में लागू है। भारत सरकार द्वारा इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है। इस योजना के 3 मुख्य काम हैं:
- सामाजिक एकजुटता एवं संस्थागत विकास (यानि स्वयं सहायता समूहों का गठन करना)
हालांकि, राज्य आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट की वार्षिक रिपोर्ट्स के अनुसार देखा जाए तो मध्य प्रदेश में योजना की प्रोग्रेस ठीक नहीं दिखाई देती। वर्ष 2019 वर्ष 2022 तक इन तीनों में से सिर्फ एक ही पार्ट यानी स्वयंसहायता समूहों का गठन करने में ही टारगेट कुछ-कुछ पूरा हुआ हैं...बाकी दोनों कार्य यानी कि कौशल प्रशिक्षण एवं उसके माध्यम से प्लेसमेंट और स्वरोजगार कार्यक्रम (यानि व्यक्तिगत ऋण देना) का टारगेट पूरा करने में सरकार असफल हैं।
- वर्ष 2019-2020
- सामाजिक एकजुटता एवं संस्थागत विकास (स्वयं सहायता समूहों का गठन): लक्ष्य - 4,000; उपलब्धि - 3,269
- वर्ष 2020-2021
- सामाजिक एकजुटता एवं संस्थागत विकास (स्वयं सहायता समूहों का गठन): लक्ष्य - 1750; उपलब्धि - 5,159
- वर्ष 2021-2022
- सामाजिक एकजुटता एवं संस्थागत विकास (स्वयं सहायता समूहों का गठन): लक्ष्य - 11,000; उपलब्धि - 8,700
PMKVY: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा कार्यान्वित कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) की प्रमुख योजना है। योजना के तीसरे चरण जो 15 जनवरी 2021 से शुरू हुआ उस पर 948.90 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान हुआ। इस कौशल प्रमाणन योजना का उद्देश्य बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से बेहतर आजीविका हासिल करने में मदद करना है। यह योजना भी अपने उद्देश्य में फेल ही हैं...क्यूंकि जितने लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही हैं उसके मुकाबले में कुछ लोगों को ही नौकरी मिल पा रही हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार PMKVY योजान में अब तक कुल 8,79,843 लोगों को ट्रेन किया गया, जिसमें से सिर्फ 2,15,936 लोगों को नौकरी मिली। 1 जून, 2022 तक मध्य प्रदेश में योजना की स्थिति इस प्रकार है:
- वर्ष 2016 तक: 1,54,452 लोगों को ट्रेन किया गया, जिसमें से सिर्फ 20,178 लोगों को नौकरी मिली
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI), कौशल विकास संचालनालय, मध्य प्रदेश के प्लेसमेंट ट्रैकिंग रिकॉर्ड के हिसाब से वर्ष 2015 से 2020 तक करीब 2,29,461 लोगों को ट्रेनिंग के लिए एडमिशन दिया गया जिसमें से सिर्फ 76,584 लोगों को प्लेसमेंट दिया गया-
- वर्ष 2015: ट्रेनिंग के लिए एडमिशन -33,321 ; प्लेसमेंट -18,150
मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना: यह राज्य सरकार द्वारा वित्त-पोषित योजना है जिसके अंतर्गत रोजगारोन्मुखी राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप युवाओं हेतु कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालन करना है। योजना के अनुसार वर्ष 2017-18 से प्रतिवर्ष 2.50 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना था। योजना की सफलता के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 254.78 करोड़ का बजट निर्धारित किया है। और योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार में 274.35 करोड़ रुपए की राशि भी प्रदान की है। 2017 से 2020 अब तक 70,915 लोगों को ही ट्रेन किया जबकि वर्ष 2017-18 से प्रतिवर्ष 2.50 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का टारगेट था। इसमें से 3,796 लोगों को ही प्लेसमेंट मिला।
सरकार कर रही पुरानी फेल योजनाओ को नए लिफाफे में पेश, मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना भ्रष्टाचार की वजह से ठप्प: अक्षय हुनका राष्ट्रीय अध्यक्ष, बेरोजगार सेना
- बेरोजगार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अक्षय हुनका का कहना हैं कि मध्य प्रदेश में बेरोज़गारी की हालत बहुत खराब है। अगर हम बात करें तो सरकार आंकड़े देने में टालमटोल करती हैं और कहती है कीउनके पास कोई आंकड़ें नहीं हैं की कितने लोग राज्य में बेरोजगार हैं। उनके पास जो आंकड़ें हैं वे इसके हैं कि कितने लोगों ने रोजगार कार्यालय में रोजगार के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है।
रोजगार मेले से जॉब पा रहे कई लोग वापस हो रहे बेरोजगार: नरेंद्र बिरथरे, उपाध्यक्ष, मध्य प्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड
- वहीँ मध्य प्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड के उपाध्यक्ष नरेंद्र बिरथरे का कहना हैं कि रोजगार निर्माण बोर्ड में रोजगार के लिए संकल्प योजना, प्रधान मंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY) स्कीम और जल जीवन मिशन के लिए कार्य किया जाता है। जल जीवन मिशन के थ्रू करीब 21,000 लोगों की ट्रेनिंग की गई है।