rewa. आगामी विधानसभा चुनाव को लेके कांग्रेस ने कमर कस ली है। लगातार फेरबदल किए जा रहे है। सबसे पहले बड़े पदों पर बैठे निष्क्रिय नेताओ को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे मंजुल त्रिपाठी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। वह कांग्रेस की मंशा पर खरे नहीं उतरे और उनसे इस बड़े पद की जिमेदारी छीन ली गई। मात्र 8 माह के छोटे से कार्यकाल के बाद ऐसा निर्णय संगठन को लेना पड़ा। मंजुल को जिम्मेदारी देते ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने संगठन को मजबूत करने की बात कही थी, उन्होंने कहा था कि कॉलेज स्तर पर इकाइयों का गठन कर क्षेत्रीय नेताओं व कार्यकर्ताओं से समन्वय स्थापित कर संगठन को मजबूत कर, हाल ही में छात्रों की छात्रवृत्ति को लेके भी आंदोलन के निर्देश दिए गए थे लेकिन मंजुल त्रिपाठी यह भी नहीं कर सके।
इसलिए छीना गया पद
इतना ही नहीं वह छात्रों की आवाज बुलंद करने की जगह नेताओं की रैली में ज्यादा दिखे। आंदोलन भोपाल, सतना व ग्वालियर तक ही सीमित रह गया। छात्रों के कई मुद्दों पर एनएसयूआई ठीक से आवाज़ नहीं उठा सकी। यहां तक कि रीवा में कन्या महाविद्यालय का मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया, जबकि इसको लेके कांग्रेस लगातार मांग कर रही थी। बता दें कि 2 अक्टूबर 2021 को विपिन वानखेड़े के बाद मंजुल त्रिपाठी को कमान सौंपी गई थी। जिसके बाद से रीवा एनएसयूआई जिला अध्यक्ष की कुर्सी खाली थी इसे भी नहीं भरा जा सका और इसी प्रकार अन्य जगहों पर भी यही हाल संगठन के पदों का रहा। अब जिम्मेदारी आशुतोष चौकसे को दी गई है।