आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के 46 निकायों में जल्द होंगे चुनाव, सितंबर में हो सकती है घोषणा, 18 जिलों में चुनी जाएंगी नगर सरकार

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The Sootr CG
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आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के 46 निकायों में जल्द होंगे चुनाव, सितंबर में हो सकती है घोषणा, 18 जिलों में चुनी जाएंगी नगर सरकार

Bhopal. प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के 46 निकायों में जल्द चुनाव होंगे। राज्य निर्वाचन आयोग सितंबर के पहले सप्ताह में इन चुनाव की घोषणा कर सकता है। प्रदेश के 18 जिलों में 17 नगर पालिका और 29 नगर परिषद के चुनाव होंगे। इनमें 15 जिले ऐसे हैं जिनमें कुछ नए निकाय गठित हुए हैं या फिर कुछ के कार्यकाल पूरे नहीं हो पाए थे। शेष तीन जिले मंडला, डिंडोरी और अलीराजपुर ऐसे हैं जिनमें पंचायत चुनाव हो चुके हैं, अब नगर पालिका के चुनाव होंगे।  ये निकाय चुनाव जितने बीजेपी और कांग्रेस के लिए अहम हैं, उससे ज्यादा  आदिवासी संगठन जयस के लिए महत्वपूर्ण है। दरअसल जयस जितने निकायों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल होगी, उतनी ही उसकी आवाज 2023 में बुलंद होगी। 



आदिवासी संगठन जयस की विशेष नजर



हालांकि निकाय चुनाव में आप की एंट्री होने से आप भी इन चुनावों में अपना हाथ आजमा सकती है। दरअसल इन निकायों को आदिवासियों की पसंद के पैरामीटर के रुप में देखा जा रहा है। इनमें से कई निकाय तो नए बने हैं, जबकि बाकी का कार्यकाल अब समाप्त होने वाला है। इन निकायों में चुनाव के लिए आयोग से लेकर जिला प्रशासन द्वारा लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। संबंधित जिलों ने इन चुनावों की तैयारी कर नगरीय प्रशासन को भेज दी है। चुनाव आरक्षण का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की घोषणा करेगा। 18 जिलों के 46 निकायों का राजनैतिक रुप से महत्व बहुत अधिक है। 



जनजाति वोट पर सभी की नजरें



यही वजह है की इन चुनावों को लेकर भाजपा व कांग्रेस संगठन अभी से तैयारी में जुट गया है। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर आदिवासी वोट बैंक पर हैं। दोनों ही दल आदिवासी हितैषी होने का दावा कर रहे हैं, वहीं आदिवासी युवाओं ने अपना जयस संगठन भी खड़ा किया है। प्रदेश में सवा साल बाद 2023 में विधानसभा चुनाव होना है ऐसे में इन निकाय के चुनावों से तय हो जाएगा कि आदिवासी वोटर का रुख किधर है। जानकारी के अनुसार 37 नगरीय निकायों में से 2 का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो चुका है और बचे हुए 35 निकायों का कार्यकाल 12 सितंबर को पूरा होने जा रहा है। यह सभी निकाय आदिवासी बाहुल्य हैं। इनके अलावा शेष नौ सीटों में से गढ़ाकोटा, खुरई और मलाजखंड नगर पालिका की सीमा में वृद्धि के कारण परिसीमन नहीं हो पाया था। इस कारण इन तीनों निकायों के चुनाव जुलाई में नहीं होने की वजह से अब कराए जा रहे हैं। वहीं, करार्पुर, पुनासा, बरगवां (सिंगरौली), सरई, देवरी (रायसेन) और बरगवां (अमलाई) नवगठित नगर परिषद बनीं हैं।



इन निकायों में होंगे चुनाव 



नगर पालिका- मंडला, नैनपुर, नेपानगर, सारनी, झाबुआ, आलीराजपुर, जुन्नारदेव, दमुआ, पांदुर्णा, सौंसर, शहडोल, कोतमा, बिजुरी, पाली, गढ़ाकोटा, खुरई, मलाजखंड । नगर परिषद- बरगवां (अमलाई), देवरी (रायसेन), सरई, बरगवां (सिंगरौली), पुनासा, करार्पुर, बुढार, जयसिंहनगर, बैहर, डिंडोरी, बिछिया, बम्हनीबंजर, निवास, लखनादौन, मोहगांव, हर्रई, मंडलेश्वर, महेश्वर, भीकनगांव, चंद्रशेखर आजाद नगर, जोबट, पेटलावद, थांदला, रानापुर, चिचोली, आठनेर, सैलाना, छनेरा और शहपुरा ।



विधानसभा की 47 सीटें आरक्षित



मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 21.1 प्रतिशत है। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से एसटी के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने एसटी की 47 में से 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी और वह सत्ता में आ गई थी। इसके पहले आदिवासी वर्ग की सीटों पर भाजपा को बढ़त मिलती रही है , जिसकी वजह से भाजपा लगातार डेढ़ दशक तक सत्ता में रही है। यही नहीं प्रदेश में जनसंख्या के हिसाब से आदिवासी समाज लगभग 90 सीटों पर हार-जीत के लिए प्रभावी माना जाता है।


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