Bhopal. भोपाल के निशातपुरा इलाके में एक कॉन्स्टेबल की इलेक्ट्रिक स्कूटी में आग लग गई। चार्जिंग के दौरान स्कूटी की बैटरी में विस्फोट हुआ और सिर्फ 20 मिनट में पूरी स्कूटी जल गई। स्कूटी का सिर्फ लोहे का ढांचा ही बचा है। स्कूटी काया इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी की है। मध्यप्रदेश में इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने का ये पहला मामला है।
बेटी के लिए खरीदी थी स्कूटी
नयापुरा न्यू जेल रोड के पास रहने वाले राहुल गुरु भोपाल क्राइम ब्रांच में कॉन्स्टेबल हैं। उन्होंने 12वीं क्लास में पढ़ने वाली अपनी बेटी के लिए स्कूटी खरीदी थी। स्कूटी काया कंपनी की थी जो 89 हजार रुपए में खरीदी गई थी।
तेज धमाके के बाद लगी आग
कॉन्स्टेबल राहुल गुरु ने बताया कि शनिवार को करीब साढ़े 10 बजे घर की पार्किंग में ही स्कूटी चार्ज हो रही थी। उनका परिवार पहले फ्लोर पर खाना खा रहा था। अचानक एक तेज धमाका हुआ। बाहर जाकर देखने पर पता चला कि स्कूटी में आग लग गई है। सिर्फ 20 मिनट में पूरी स्कूटी जल गई। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि कोई भी आग बुझाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। आग की वजह से कॉन्स्टेबल के माता-पिता ग्राउंड फ्लोर के कमरे में ही फंसे रहे।
हैदराबाद में बैटरी फटने से हुई थी मौत
हैदराबाद में इलेक्ट्रिक स्कूटर की बैटरी फटने से एक बुजुर्ग की मौत हो चुकी है। पुलिस ने ई-स्कूटर बनाने वाली कंपनी पर लापरवाही से मौत का केस भी दर्ज किया था। इसके बाद केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऐसी घटनाओं की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी गठित करने का फैसला किया था।
इलेक्ट्रिक वाहनों में क्यों लग रही आग ?
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की सबसे बड़ी वजह है कि इनमें चाइनीज बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। चीन में ये बैटरी ठंडे तापमान के हिसाब से बनाई जाती हैं जबकि भारत में तापमान चीन के मुकाबले ज्यादा होता है। ज्यादा तापमान या ओवरचार्ज होने पर बैटरी में ब्लास्ट की आशंका होती है। रेंज बढ़ाने के लिए बैटरी में ज्यादा सेल लगाए जाते हैं, एक सेल में स्पार्किंग होने पर पूरी बैटरी में आग लग जाती है।
सरकार ने लागू नहीं किए सख्त नियम
देश में सभी वाहनों को आईकैट या ARAI से कई पैरामीटर पर सर्टिफिकेट लेना होता है। आयात होने वाली बैटरी से बनने वाले प्रोडक्ट्स के लिए BIS मार्क लेना अनिवार्य है। इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माता सर्टिफिकेट लेते वक्त अच्छे कलपुर्जे दिखाते हैं लेकिन बाद में वे सब-स्टैंडर्ड कलपुर्जों का इस्तेमाल करते हैं। सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की क्वालिटी चेक के लिए सख्त नियम लागू नहीं किए हैं।
इलेक्ट्रिक वाहन उपभोक्ता इन बातों का ध्यान रखें
- इलेक्ट्रिक वाहन को कभी ओवरचार्ज न करें।