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बीपी गोस्वामी, भोपाल. शिवराज सरकार के लिए पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। कर्मचारी संगठन फिर से बड़ा प्रदर्शन करने की रणनीति बना रहे हैं। 21 मार्च को राजगढ़ में अधिकारी-कर्मचारी संगठन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें संगठन ने सरकार को घेरने की तैयारियों को लेकर बातचीत की। इससे पहले भी प्रदेश के सभी अधिकारी-कर्मचारी संगठन शेयर मार्केट पर आधारित न्यू पेंशन योजना (NPS) के विरोध में लामबंद हुए हैं।
बता दें कि ओल्ड पेंशन स्कीम में रिटायर्ड होने पर कर्मचारी को मिलने वाली अंतिम मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में दिया जाता है। लेकिन नई स्कीम के अनुसार रिटायर्ड होने पर मिलने वाली पेंशन यदि 1000 है, तो खाते में 451 रुपए आएंगे। सरकार ने 2018 में नवीन संवर्ग बनाते हुए अध्यापक संवर्ग को शिक्षा विभाग में सम्मिलित किया लेकिन पूर्व में की गई सेवा अवधि को शून्य मानकर नवीन नियुक्ति दी गई। इसका विरोध करते हुए संगठन के पदाधिकारियों ने नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता बहाल करने की मांग प्रमुखता से की।
सरकार को घेरने की तैयारी: पड़ोसी राज्यों में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा हो चुकी है, जबकि मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन के नाम पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे अधिकारियों और कर्मचारियों में निराशा का भाव पनप रहा है। अब कर्मचारी लामबंद होकर सड़कों पर उतर कर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। राजगढ़ के होटल मिडवे ट्रीट में जिला स्तरीय और प्रदेश स्तरीय कर्मचारी संघ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। जहां सभी विभाग से जुड़े संघों के जिला अध्यक्ष और प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी सम्मिलित हुए। इस दौरान कर्मचारियों ने 3 अप्रैल को प्रदेश सरकार को घेरने की रणनीति बनाई।
संगठनों ने ये रणनीति बनाई: अलग-अलग संघ के पधाधिकारियों ने अपना अधिकार और बुढ़ापे का सहारा पुरानी पेंशन और नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता बहाल करने पर अपना पक्ष रखते हुए सरकार द्वारा सुनवाई न करने का आरोप लगाया। रणनीति तय करते हुए ब्लॉक स्तर पर 23 मार्च को धरना प्रदर्शन और ज्ञापन देने का निर्णय लिया। आने वाली 27 मार्च को प्रदेश के समस्त जिलों में जिला स्तरीय एक दिवसीय धरना और ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया। शासन द्वारा इसके बाद भी मांगों पर निराकरण नहीं किया जाता, तो आगामी 3 अप्रैल को प्रदेश में प्रांत स्तरीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा।